बदलते मौसम से निपटने की तैयारी: राजस्थान सरकार दे रही है ग्रीन हाउस पर सब्सिडी
Gaon Connection | Apr 09, 2025, 11:03 IST
राजस्थान सरकार की यह पहल न केवल किसानों को मौसम की मार से बचाएगी, बल्कि उन्हें आधुनिक तकनीकों से जोड़कर उनकी आय भी बढ़ाएगी।
बदलते मौसम और जलवायु परिवर्तन ने देशभर के किसानों के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। राजस्थान जैसे राज्य, जहाँ पहले से ही पानी की कमी है, वहाँ पर खेती करना और भी मुश्किल हो गया है। बारिश के अनिश्चित पैटर्न, अत्यधिक गर्मी, ठंड या तूफान जैसी प्राकृतिक घटनाएं फसलों को नुकसान पहुंचा रही हैं। इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, राजस्थान सरकार ने संरक्षित खेती को बढ़ावा देने की पहल शुरू की है।
संरक्षित खेती या Protected Cultivation एक ऐसी आधुनिक तकनीक है, जिसमें फसलों को नियंत्रित वातावरण में उगाया जाता है। इसके लिए ग्रीन हाउस, पॉलीहाउस, शेड नेट हाउस जैसी संरचनाओं का उपयोग किया जाता है। इन संरचनाओं के जरिए तापमान, नमी, प्रकाश और हवा को नियंत्रित किया जाता है, जिससे फसलें मौसम की मार से सुरक्षित रहती हैं और बेहतर उत्पादन देती हैं।
सरकार द्वारा इस योजना के अंतर्गत किसानों को ग्रीन हाउस निर्माण पर सब्सिडी दी जा रही है:
किसान ई-मित्र केंद्र पर जाकर इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के साथ सभी ज़रूरी दस्तावेज जमा करने होंगे।
अनुदान की राशि किसान के बैंक खाते में सीधे भेजी जाएगी, या फिर किसान की सहमति से यह राशि निर्माण करने वाली फर्म को भी दी जा सकती है।
यह योजना वर्तमान वित्तीय वर्ष तक मान्य है, यानी 31 मार्च तक इसके लिए आवेदन किया जा सकता है।
टमाटर, शिमला मिर्च, खीरा, स्ट्रॉबेरी, गुलाब, जर्बेरा जैसी नकदी फसलें संरक्षित खेती में बहुत अच्छा परिणाम देती हैं। इसके अलावा औषधीय पौधों की खेती भी ग्रीन हाउस में की जा सकती है। ग्रीन हाउस तकनीक में कृषि जलवायुवीय कारकों जैसे तापमान, आर्द्रता और सूर्य प्रकाश को नियंत्रित किया जाता है। इसके जरिए किसान सब्जियों, फूलों और फलों जैसी उद्यानिकी फसलों की खेती सालभर कर सकते हैं और मौसम के प्रभाव से बचते हुए बेहतर उत्पादन और मुनाफा कमा सकते हैं।
राज्य सरकार ने किसानों को मौसम की मार से बचाने और उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए संरक्षित खेती को बढ़ावा देना शुरू किया है। इसमें ग्रीन हाउस तकनीक को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है।
संरक्षित खेती क्या है?
अनुदान कितना मिलता है?
- सामान्य वर्ग के किसानों को: 50% अनुदान
- अनुसूचित जाति / जनजाति के किसानों को: 70% अनुदान
- अधिसूचित जनजाति क्षेत्र, लघु व सीमांत किसानों को: अतिरिक्त 25% अनुदान भी देय है।
पात्रता क्या है?
- किसान के पास कृषि योग्य भूमि और सिंचाई का स्रोत होना चाहिए।
- 6 महीने के अंदर की जमाबंदी नकल
- आधार / जनाधार कार्ड
- मिट्टी व पानी की जांच रिपोर्ट
- अनुमोदित फर्म का कोटेशन
- सिंचाई स्रोत का प्रमाण
- जाति प्रमाण पत्र (यदि SC/ST)
- 6 महीने के अंदर की जमाबंदी नकल
- आधार / जनाधार कार्ड
- मिट्टी व पानी की जांच रिपोर्ट
- अनुमोदित फर्म का कोटेशन
- सिंचाई स्रोत का प्रमाण
- जाति प्रमाण पत्र (यदि SC/ST)
आवेदन कैसे करें?
निर्माण कब होगा?
- ग्रीन हाउस का निर्माण तभी किया जा सकता है जब उद्यान विभाग द्वारा प्रशासनिक स्वीकृति / कार्यादेश जारी किया गया हो।
- निर्माण पूरा होने के बाद विभागीय कमेटी द्वारा सत्यापन किया जाएगा।
- किसान को प्रशासनिक स्वीकृति जारी होने के 30 दिन के भीतर या 31 मार्च (जो पहले हो) तक शपथ पत्र, त्रिपक्षीय अनुबंध व किसान अंश राशि विभाग में जमा करनी होगी।
भुगतान की प्रक्रिया
वैधता
संरक्षित खेती के लाभ
- मौसम से सुरक्षा – फसलें तेज गर्मी, अधिक ठंड, बारिश या तूफान से सुरक्षित रहती हैं।
- साल भर खेती – ग्रीन हाउस के अंदर साल के 12 महीने फसलें उगाई जा सकती हैं।
- कम पानी में अधिक उत्पादन – संरक्षित खेती में ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिस्टम का उपयोग होता है, जिससे पानी की बचत होती है।
- बेहतर गुणवत्ता और मूल्य – ऐसी फसलों की गुणवत्ता अच्छी होती है और बाजार में ऊंचे दाम मिलते हैं।
किन फसलों के लिए उपयुक्त है?
राज्य सरकार ने किसानों को मौसम की मार से बचाने और उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए संरक्षित खेती को बढ़ावा देना शुरू किया है। इसमें ग्रीन हाउस तकनीक को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है।