ऐसे बना सकते हैं वर्मी कम्पोस्ट, एजोला जैसी जैविक खाद

Kirti Shukla | Jul 03, 2019, 10:42 IST
#Organic farming
सीतापुर (उत्तर प्रदेश)। फसल वृद्धि के लिए किसान रसायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते हैं, जबकि हमारे आस-पास ही जैविक उर्वरक मिल जाते हैं, जिनसे फसल वृद्धि में मदद मिलती है। इस बारे में कृषि विज्ञान केंद्र के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. दया श्रीवास्तव बता रहे हैं कैसे जैविक तरीकों से फसलों में तत्व की मात्रा बढ़ा सकते हैं।

वो बताते हैं, "हमारे वातावरण में 80 हजार टन नाइट्रोजन तैरता रहता है, अगर यही 80 हजार टन नाइट्रोजन अगर पौधे को मिल जाए तो कई साल तक हमें नाइट्रोजन देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।"

वो आगे बताते हैं, "अगर पोषक तत्वों की बात करनी है तो एजोला कल्चर का प्रयोग करें, ये एक तरह का फ़र्न होता है, इसे छोटी से जगह में भी उगा सकते हैं, ये पानी के ऊपर तैरता रहता है। अगर आपके पास छोटा सा जलाशय है तो उसमें उसमें भी उगा सकते हैं, नहीं तो छोटा सा गड्ढा बनाकर भी उगा सकते हैं।"

RDESController-2087
RDESController-2087


वो आगे बताते हैं, "यही नहीं किसान इसे सुखाकर खेत में बढ़िया जैविक खाद के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं। इससे मिट्टी में जीवांश की मात्रा बढ़ती है, इसलिए ये बढ़िया जैविक खाद के रूप में भी काम करता है।"

एजोला एक अति पोषक छोटा जलीय फर्न (पौधा) है, जो स्थिर पानी में ऊपर तैरता हुआ होता है। एजोला को घर में हौदी बनाकर, तालाबों, झीलों, गड्ढों, और धान के खेतों में कही भी उगाया जा सकता है। कई किसान इसको टबों और ड्रमों में भी उगा रहे है। यह पौधा पानी में विकसित होकर मोटी हरी चटाई की तरह दिखने लगती है। सभी प्रकार के पशुओं के साथ-साथ एजोला मछलियों के पोषण के लिए भी बहुत उपयोगी होता है।

वर्मी कम्पोस्ट बनाने की विधि

वर्मी कम्पोस्ट विधि का प्रचलन अन्य विधियों की तुलना में कही अधिक है। इस विधि में खाद का निर्माण अपेक्षाकृत कम समय में हो जाता है। इस विधि से प्राप्त खाद की गुणवत्ता भी अधिक होती है। वर्मी कम्पोस्ट विधि से प्राप्त खाद का भण्डारण भी आसानी से हो जाता है।

RDESController-2088
RDESController-2088


छायादार जगह पर जमीन के ऊपर तीन-चार फिट की चौड़ाई और अपनी आवश्यकता के अनुरूप लम्बाई के बेड बनाए जाते हैं। इन बेड़ों का निर्माण गाय-भैंस के गोबर, जानवरों के नीचे बिछाए गए घासफूस-खरपतवार के अवशेष आदि से किया जाता है। ढेर की ऊंचाई लगभग लगभग एक फुट तक रखी जाती है।

बेड के ऊपर पुवाल और घास डालकर ढक दिया जाता है। एक बेड का निर्माण हो जाने पर उसके बगल में दूसरे उसके बाद तीसरे बेड बनाते हुए जरूरत के अनुसार कई बेड बनाये जा सकते हैं। शुरूआत में पहले बेड में केंचुए डालने होते हैं जोकि उस बेड में उपस्थित गोबर और जैव-भार को खाद में परिवर्तित कर देते हैं। एक बेड का खाद बन जाने के बाद केंचुए स्वतः ही दूसरे बेड में पहुंच जाते हैं। इसके बाद पहले बेड से वर्मी कम्पोस्ट अलग करके छानकर भंडारित कर लिया जाता है तथा पुनः इस पर गोबर आदि का ढ़ेर लगाकर बेड बना लेते हैं।

Tags:
  • Organic farming
  • Nitrogen

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.