बारिश के मौसम में लोबिया की अच्छी पैदावार के लिए इन किस्मों की करें बुवाई

vineet bajpai | Jun 07, 2017, 09:10 IST
agriculture
लखनऊ। लोबिया की खेती करने का समय आ गया है। इसकी खेती के लिए गर्म व आर्द्र जलवायु उपयुक्त है। लगभग सभी प्रकार की भूमियों में इसकी खेती की जा सकती है। भूमि में पानी निकास का उचित प्रबंध होना चाहिए और क्षारीय भूमि इसकी खेती के लिए उपयुक्त नहीं है।

किस्में

पूसा कोमल

यह किस्म बैक्टीरियल ब्लाईट प्रतिरोधी है इसे बसंत, ग्रीष्म तथा वर्षा तीनो मौसम लगाते है। फली का रंग हल्का हरा, मोटा गुदेदार 20-22 सेमी लम्बा होता है। इसकी उपज 100-120 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।

अर्का गरिमा

यह खम्भा (पोल) प्रकार की किस्म है यह 2-3 मी उची होती है। इसे वर्षा ऋतु एवं बसंत ऋतु लगाया जा सकता है।

पूसा बरसाती

इस किस्म को वर्षा ऋतु लगाया जाता है फली का रंग हल्का हरा 26-28 सेमी लम्बा एवं 45 दिनो मे पक कर तैयार हो जाती है। इसकी उपज 70-75 क्ंविटल प्रति हेक्टेयर होती है।

पूसा फालगुनी

यह छोटी झाड़ीनुमा किस्म है फली का रंग गहरा हरा, सीधा एवं 10-20 सेमी लम्बा एवं 60 दिनो मे पक कर तैयार हो जाती है। इसकी उपज 70-75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।

पूसा दोफसली

यह किस्म बसंत, ग्रीष्म तथा वर्षा तीनो मौसम के लिये उपयुक्त है फली का रंग हल्का हरा एवं 18 सेमी लम्बा होता है। 45-50 दिनो मे पक कर तैयार हो जाती है। इसकी उपज 75-80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।

बीज दर

साधारणतया 12-20 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर की दर से पर्याप्त होता है। बीज की मात्रा प्रजाति तथा मौसम पर निर्भर करती है। बेलदार प्रजाति के लिए बीज की कम मात्रा की आवष्यकता होती है।

बुवाई का समय

गर्मी के मौसम के लिए इसकी बुवाई फरवरी-मार्च में तथा वर्षा के मौसम में जून अंत से जुलाई माह में की जाती है।

बुवाई की दूरी

झाड़ीदार किस्मों के बीज की बुवाई के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45-60 सेमी तथा बीज से बीज की दूरी 10 सेमी रखी जाती है तथा बेलदार किस्मों के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 80-90 सेमी रखते हैं। बुवाई से पहले बीज का राइजोबियम नामक जीवाणु से उपचार कर लेना चाहिए। बुवाई के समय भूमि में बीज के जमाव हेतु पर्याप्त नमी का होना बहुत आवष्यक है।

उर्वरक व खाद

गोबर या कम्पोस्ट की 20-25 टन मात्रा बुवाई से 1 माह पहले खेत में डाल दें। लोबिया एक दलहनी फसल है, इसलिए नत्रजन की 20 कि.ग्रा, फास्फोरस 60 किग्रा तथा पोटाष 50 किग्रा/हेक्टेयर खेत में अंतिम जुताई के समय मिट्टी में मिला देना चाहिए तथा 20 किग्रा नत्रजन की मात्रा फसल में फूल आने पर प्रयोग करें।

खरपतवार नियंत्रण

दो से तीन निराई व गुड़ाई खरपतवार नियंत्रण के लिए करनी चाहिए। रासायनिक खरपतवार नियंत्रण के लिए स्टाम्प 3 लीटर/हेक्टेयर की दर से बुवाई के बाद दो दिन के अन्दर प्रयोग करें।

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