बारिश के मौसम में कैसे करें खीरे की उन्नत खेती

Vineet BajpaiVineet Bajpai   28 May 2017 11:36 AM GMT

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बारिश के मौसम में कैसे करें खीरे की उन्नत खेतीखीरे की खेती।

लखनऊ। आज अधिकतर उन्नत किसान सब्जियों की खेती करके अधिक से अधिक लाभ ले रहा है। खीरे की खेती भी इन में से एक है जो किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। बाजार में खीरे की अधिक मांग बने रहने के कारण खीरे की खेती किसान भाइयो के लिए बहुत ही लाभदायक है।

खीरे का उपयोग खाने के साथ सलाद के रूप में बढ़ता ही जा रहा है, जिससे बाजार में इसकी कीमते भी लगातार बढ़ रही हैं। इसके साथ ही खीरे की खेती रेतीली भूमि में अच्छी होती ऐसे में किसान भाइयो के पास जो ऐसी भूमि है, जिसमे दूसरी फसलो का उत्पादन अच्छा नहीं होता है उसी भूमि में खीरे की खेती से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है।

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यह हर प्रकार की भूमियों में जिनमें जल निकास का सही रास्ता हो, उगाया जाता है। अच्छी उपज के लिए जीवांश पदार्थयुक्त दोमट भूमि सबसे अच्छी होती है। इसकी फसल जायद और वर्षा में ली जाती है। अत: उच्च तापक्रम में अच्छी वृद्धि होती है, यह पाले को नहीं सहन कर पाता, इसलिए इसको पाले से बचाकर रखना चाहिए।

खीरे की उन्नत किस्मे

पंजाब नवीन : पंजाब नवीन खीरे की अच्छी किस्म है। इस किस्म में कड़वाहट कम होती है और इसका बीज भी खाने लायक होता है। इसकी फसल 70 दिन मे तुड़ाई लायक हो जाती हैं। इसकी औसत पैदावार 40 से 50 कुंतल प्रति एकड़ तक होती है।

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इसके अलावा खीरे की प्रमुख प्रजातियां निम्नलिखित है।

हिमांगी, जापानी लॉन्ग ग्रीन, जोवईंट सेट, पूना खीरा, पूसा संयोग, शीतल, फ़ाईन सेट, स्टेट 8 , खीरा 90, खीरा 75, हाईब्रिड1 व हाईब्रिड-2, कल्यानपुर हरा खीरा इत्यादि प्रमुख है।

खेत की तैयारी

खीरे की फसल के लिए खेत की कोई खास तैयारी करने की आवश्यकता नही पड़ती है। क्योंकि इसकी फसल के लिए खेत की तैयारी भूमि की किस्म के ऊपर निर्भर होती है। बलुई भूमि के लिये अधिक जुताई की आवश्यकता नहीं होती। 2-3 जुताई से ही खेत तैयार हो जाता है। जुताई के बाद खेत में पाटा लगाकर क्यारियां बना लेनी चाहिए। भारी-भूमि की तैयारी के लिये अधिक जुताई की आवश्यकता पड़ती है। बगीचों के लिये भी यह फसल उपयोगी है जोकि आसानी से बुआई की जा सकती है।

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खेत की बिजाई

खीरे की फसल के लिए खेतो में बिजाई का समय सही समय जून-जुलाई है।

बीज की मात्रा :- एक किलो प्रति एकड़

बिजाई का ढंग :- बीज को ढाई मीटर की चौड़ी बेड पर दो-दो फुट के फासले पर बोया जा सकता है। खीरे की बिजाई उठी हुई मेढ़ो के ऊपर करना ज्यादा अच्छा हैं। इसमें मेढ़ से मेढ़ की दूरी 1 से 1.5 मीटर रखते है। जबकि पौधे से पौधे की दुरी 60 सें.मी. रखते हैं। बिजाई करते समय एक जगह पर कम से कम दो बीज लगाएं।

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खाद तथा उर्वरक की उचित मात्रा

खीरे की अच्छी फसल के लिए खेत की तैयारी करते समय ही 6 टन गोबर की अच्छी तरह सड़ी खाद खेत में जुताई के समय मिला दें। 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 12 किलोग्राम फास्फोरस व 10 किलोग्राम पोटाश की मात्रा खीरे के लिए पर्याप्त रहती है। खेत में बिजाई के समय 1/3 नाइट्रोजन, फास्फोरस की पूरी मात्रा तथा पोटाश की पूरी मात्रा डाल दे। बची हुई नाइट्रोजन को दो बार में बिजाई के एक महीने बाद व फूल आने पर खेत की नालियों में डाल कर मिट्टी चढ़ा दें।

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खेत की सिंचाई

बरसात में ली जाने वाली फसल के लिए प्राय: सिंचाई की आवश्यकता कम ही पड़ती है। यदि वर्षा लम्बे समय तक नहीं होती है तो सिंचाई कर देनी चाहिए। बेलो पर फल लगते समय नमी का रहना बहुत ज़रूरी है। अगर खेत में नमी की कमी हो तो फल कड़वे भी हो सकते हैं।

खरपतवार नियन्त्रण

किसी भी फसल की अच्छी पैदावार लेने की लिए खेत में खरपतवारो का नियंत्रण करना बहुत जरुरी है। इसी तरह खीरे की भी अच्छी पैदावार लेने के लिए खेत को खरपतवारों से साफ रखना चाहिए। इसके लिए बरसात में 3-4 बार खेत की निराई-गुड़ाई करनी चाहिए।

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