नमो ड्रोन दीदी योजना: किस राज्य की महिलाएँ बन रहीं हैं टेक्नोलॉजी की अगुवा?
Gaon Connection | Jul 30, 2025, 15:54 IST
खेती को तकनीक से जोड़ते हुए भारत सरकार की 'नमो ड्रोन दीदी' योजना ग्रामीण महिलाओं को ड्रोन पायलट बनाकर आत्मनिर्भर बना रही है। अब तक 1,094 ड्रोन सौंपे जा चुके हैं, और महिलाएं आधुनिक कृषि सेवाओं की अगुवा बन रही हैं। जानिए इस योजना की पूरी जानकारी, चुनौतियां और अवसर।
खेती को तकनीक से जोड़ते हुए, भारत सरकार ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और कृषि कार्यों को अधिक सटीक, लाभकारी व आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल की है-‘नमो ड्रोन दीदी योजना’। इस योजना के तहत 2023-24 से 2025-26 तक की अवधि में 1261 करोड़ रुपये की लागत से देशभर की महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को 15,000 किसान ड्रोन वितरित किए जा रहे हैं।
महिला शक्ति की टेक्नोलॉजी में उड़ान
इस योजना का मकसद सिर्फ फसलों पर ड्रोन से दवा छिड़काव करना नहीं, बल्कि गांव की महिलाओं को ड्रोन सेवा प्रदाता के रूप में प्रशिक्षित करके आजीविका के नए रास्ते खोलना भी है। सरकार का लक्ष्य है कि SHG से जुड़ी महिलाएं टेक-समझदार बनें और कृषि में आधुनिक तकनीक के जरिए अपनी आय बढ़ाएं।
योजना के अंतर्गत, हर महिला SHG को ड्रोन पैकेज की कीमत का 80% (अधिकतम 8 लाख रुपये) तक की वित्तीय सहायता दी जाती है। साथ ही, एक सदस्य को 15 दिन का ड्रोन पायलट प्रशिक्षण, और एक अन्य को 5 दिन का ड्रोन सहायक प्रशिक्षण भी मिलता है।
अब तक 1094 ड्रोन महिलाओं को सौंपे जा चुके हैं
प्रमुख उर्वरक कंपनियों (LFCs) की मदद से वर्ष 2023-24 में 1094 ड्रोन महिला SHGs को दिए जा चुके हैं। इनमें से 500 ड्रोन ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना के तहत वितरित हुए। सभी SHG सदस्य DGCA अधिकृत प्रशिक्षण संस्थानों से ड्रोन उड़ाने का विधिवत प्रशिक्षण भी प्राप्त कर चुके हैं।
राज्यवार वितरण में कर्नाटक (145), उत्तर प्रदेश (128), आंध्र प्रदेश (108) और हरियाणा (102) अग्रणी रहे। अब योजना के तहत 14500 अतिरिक्त ड्रोन का आवंटन भी राज्य सरकारों को किया गया है।
आर्थिक और तकनीकी रूप से सफल है यह मॉडल
कृषि विकास एवं ग्रामीण परिवर्तन केंद्र (ADRTC), बेंगलुरु ने योजना के तहत वितरित 500 ड्रोनों पर अध्ययन किया। निष्कर्षों के अनुसार:
किसान ड्रोन 7-8 मिनट में 1 एकड़ जमीन को कवर कर सकते हैं।
एक बैटरी चार्ज पर उड़ान समय 5 से 20 मिनट तक होता है।
ड्रोन पैकेज में एक मानक बैटरी सेट के अलावा 4 अतिरिक्त बैटरियां दी जाती हैं।
यानी काम तेजी से और दक्षता के साथ हो सकता है।
लेकिन आईं कुछ चुनौतियां भी…
ADRTC की रिपोर्ट यह भी बताती है कि जिन SHGs को यूटिलिटी वाहन नहीं दिए गए, उन्हें ड्रोन के परिवहन में दिक्कत हुई।
42.68% ड्रोन दीदियों को लाने-ले जाने में समस्या हुई,
दक्षिण भारत में यह परेशानी 78.82% महिलाओं ने झेली,
और 68.66% ड्रोन दीदियों ने कहा कि वाहन किराए पर लेना बेहद महंगा पड़ा।
इस समस्या के समाधान के लिए अब कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन (SMAM) के तहत इन महिला SHGs को बहुउपयोगी वाहन खरीदने के लिए भी 80% तक की वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया है।
महिलाएं बनीं आधुनिक कृषि की अगुवा
इस योजना का सबसे बड़ा असर यह हुआ है कि गांव की महिलाएं, जो अब तक पारंपरिक खेती तक सीमित थीं, अब ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीकों की मदद से कृषि नवाचार की भागीदार बन रही हैं। वे सिर्फ अपने खेतों में नहीं, बल्कि आसपास के गांवों में भी सेवा प्रदान कर रही हैं, जिससे उनकी आय में विविधता और बढ़ोतरी हुई है।
अध्ययन में यह भी सामने आया कि अधिकांश SHGs अब कृषि और उससे जुड़ी सेवाओं में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं, और उन्हें ड्रोन के जरिये आधुनिक कृषि पद्धतियों तक पहुंच मिली है।
‘नमो ड्रोन दीदी’ सिर्फ एक योजना नहीं, गाँव की महिलाओं के हाथों में टेक्नोलॉजी की ताकत सौंपने की एक क्रांतिकारी पहल है। यह योजना ना केवल कृषि को आधुनिक बना रही है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को स्वरोज़गार और आत्मनिर्भरता की दिशा में भी सशक्त कर रही है।
अगर यातायात, रखरखाव और प्रशिक्षण से जुड़ी चुनौतियों को दूर किया जाए, तो यह मॉडल देशभर में कृषि बदलाव और महिला सशक्तिकरण का एक नया उदाहरण बन सकता है।
आप भी बन सकती हैं ड्रोन पायलट
आपके मन में भी सवाल आ रहा होगा कि क्या आप भी ड्रोन पायलट बन सकते हैं? आपके ऐसे ही कई सवालों के जवाब दे रहे हैं कृषि विज्ञान केंद्र-2, सीतापुर के प्रभारी और वैज्ञानिक डॉ दया शंकर श्रीवास्तव…
डॉ दया श्रीवास्तव बताते हैं, “कृषि में तकनीक का जो प्रयोग आज हम देख रहे हैं निश्चित तौर पर आज उसकी ज़रूरत हैं। खेती में जो हमारा बहुत ज़्यादा समय लगता था, पैसा लगता था, लेबर कॉस्ट लगता था इसको कम करने के लिए आज कृषि ड्रोन लाया गया है।”
वो आगे कहते हैं, “कृषि ड्रोन किसानों के लिए एक मददगार तकनीक साबित हो रहे हैं ; जो दिक़्कतें हमको मैनुअल स्प्रेइंग में आती थी, जैसे कि जब कोई भी स्प्रे करने जाता था तो सबको प्रशिक्षित करना संभव नहीं है और देश में ज़्यादातर किसान ऐसे ही हैं जिन्हें छिड़काव का सही तरीका नहीं पता है। “
कैसे बनें ड्रोन दीदी और ड्रोन भैया?
सरकार कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल को बहुत बढ़ावा दे रही हैं और इसके लिए कई योजनाएँ सरकार द्वारा चलाईं जा रहीं हैं। इसी को लेकर डॉ दया गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “किसान ड्रोन के लिए भारत सरकार ने कई तरीके के माध्यम दे रखे हैं; यानी अगर आप कोई सरकारी संस्था हैं तो आपको शत प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है; अगर आप कृषक उद्पादक संगठन यानी की FPO हैं तो आपको 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा हैं और यदि आप किसान है तो आप 50 प्रतिशत अनुदान आप ले सकते हैं।”
“इसके अलावा IFFCO की तरफ से भी ड्रोन दीदी और ड्रोन भैया बनाये जा रहे हैं; अगर आप ड्रोन दीदी या भैया बनना चाहते हैं तो अपने ज़िले के IFFCO के केंद्र से क्षेत्रीय प्रबंधक से संपर्क करें, ये उसके बारे में जानकारी देंगे; रही बात ड्रोन ट्रेनिंग की तो अगर आपने ड्रोन खरीद रखा हैं तो उसकी ट्रेनिंग के लिए अलग अलग केंद्र निर्धारित किए हुए हैं कुछ गुड़गांव में हैं कुछ IFFCO के सेंटर भी हैं, “डॉ श्रीवास्तव ने आगे कहा।
ड्रोन से कैसे और कितनी होगी कमाई?
ड्रोन न सिर्फ किसान और उसके खेतो के लिए एक वरदान है, बल्कि उसके साथ साथ ये युवाओं के लिए भी आय और आत्मनिर्भर बनने का एक अच्छा मौका है। इसी पर डॉ दया कहते हैं, “इससे जुड़े रोज़गार की बात करें तो मैं तो कहूँगा कि युवाओ के लिए रोज़गार का एक बहुत बड़ा मौका है, खुद को आत्मनिर्भर बनाने का एक बहुत अच्छा मौका हैं ; आज अगर हम बात करें तो हर ज़िले में इतनी सम्भावनाएँ हैं, हर ज़िले मैं नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के फार्मूलेशन आ गए हैं, इनको अगर ड्रोन से किया जाए तो भी इसके अच्छे रिजल्ट्स आएंगे; धीरे-धीरे सरकार भी इस पर ज़ोर दे रही है कि नैनो फार्मूलेशन का ही इस्तेमाल किया जाए।”
महिला शक्ति की टेक्नोलॉजी में उड़ान
इस योजना का मकसद सिर्फ फसलों पर ड्रोन से दवा छिड़काव करना नहीं, बल्कि गांव की महिलाओं को ड्रोन सेवा प्रदाता के रूप में प्रशिक्षित करके आजीविका के नए रास्ते खोलना भी है। सरकार का लक्ष्य है कि SHG से जुड़ी महिलाएं टेक-समझदार बनें और कृषि में आधुनिक तकनीक के जरिए अपनी आय बढ़ाएं।
योजना के अंतर्गत, हर महिला SHG को ड्रोन पैकेज की कीमत का 80% (अधिकतम 8 लाख रुपये) तक की वित्तीय सहायता दी जाती है। साथ ही, एक सदस्य को 15 दिन का ड्रोन पायलट प्रशिक्षण, और एक अन्य को 5 दिन का ड्रोन सहायक प्रशिक्षण भी मिलता है।
अब तक 1094 ड्रोन महिलाओं को सौंपे जा चुके हैं
प्रमुख उर्वरक कंपनियों (LFCs) की मदद से वर्ष 2023-24 में 1094 ड्रोन महिला SHGs को दिए जा चुके हैं। इनमें से 500 ड्रोन ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना के तहत वितरित हुए। सभी SHG सदस्य DGCA अधिकृत प्रशिक्षण संस्थानों से ड्रोन उड़ाने का विधिवत प्रशिक्षण भी प्राप्त कर चुके हैं।
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आर्थिक और तकनीकी रूप से सफल है यह मॉडल
कृषि विकास एवं ग्रामीण परिवर्तन केंद्र (ADRTC), बेंगलुरु ने योजना के तहत वितरित 500 ड्रोनों पर अध्ययन किया। निष्कर्षों के अनुसार:
किसान ड्रोन 7-8 मिनट में 1 एकड़ जमीन को कवर कर सकते हैं।
एक बैटरी चार्ज पर उड़ान समय 5 से 20 मिनट तक होता है।
ड्रोन पैकेज में एक मानक बैटरी सेट के अलावा 4 अतिरिक्त बैटरियां दी जाती हैं।
यानी काम तेजी से और दक्षता के साथ हो सकता है।
लेकिन आईं कुछ चुनौतियां भी…
ADRTC की रिपोर्ट यह भी बताती है कि जिन SHGs को यूटिलिटी वाहन नहीं दिए गए, उन्हें ड्रोन के परिवहन में दिक्कत हुई।
42.68% ड्रोन दीदियों को लाने-ले जाने में समस्या हुई,
दक्षिण भारत में यह परेशानी 78.82% महिलाओं ने झेली,
और 68.66% ड्रोन दीदियों ने कहा कि वाहन किराए पर लेना बेहद महंगा पड़ा।
इस समस्या के समाधान के लिए अब कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन (SMAM) के तहत इन महिला SHGs को बहुउपयोगी वाहन खरीदने के लिए भी 80% तक की वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया है।
महिलाएं बनीं आधुनिक कृषि की अगुवा
इस योजना का सबसे बड़ा असर यह हुआ है कि गांव की महिलाएं, जो अब तक पारंपरिक खेती तक सीमित थीं, अब ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीकों की मदद से कृषि नवाचार की भागीदार बन रही हैं। वे सिर्फ अपने खेतों में नहीं, बल्कि आसपास के गांवों में भी सेवा प्रदान कर रही हैं, जिससे उनकी आय में विविधता और बढ़ोतरी हुई है।
अध्ययन में यह भी सामने आया कि अधिकांश SHGs अब कृषि और उससे जुड़ी सेवाओं में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं, और उन्हें ड्रोन के जरिये आधुनिक कृषि पद्धतियों तक पहुंच मिली है।
‘नमो ड्रोन दीदी’ सिर्फ एक योजना नहीं, गाँव की महिलाओं के हाथों में टेक्नोलॉजी की ताकत सौंपने की एक क्रांतिकारी पहल है। यह योजना ना केवल कृषि को आधुनिक बना रही है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को स्वरोज़गार और आत्मनिर्भरता की दिशा में भी सशक्त कर रही है।
अगर यातायात, रखरखाव और प्रशिक्षण से जुड़ी चुनौतियों को दूर किया जाए, तो यह मॉडल देशभर में कृषि बदलाव और महिला सशक्तिकरण का एक नया उदाहरण बन सकता है।
आप भी बन सकती हैं ड्रोन पायलट
आपके मन में भी सवाल आ रहा होगा कि क्या आप भी ड्रोन पायलट बन सकते हैं? आपके ऐसे ही कई सवालों के जवाब दे रहे हैं कृषि विज्ञान केंद्र-2, सीतापुर के प्रभारी और वैज्ञानिक डॉ दया शंकर श्रीवास्तव…
डॉ दया श्रीवास्तव बताते हैं, “कृषि में तकनीक का जो प्रयोग आज हम देख रहे हैं निश्चित तौर पर आज उसकी ज़रूरत हैं। खेती में जो हमारा बहुत ज़्यादा समय लगता था, पैसा लगता था, लेबर कॉस्ट लगता था इसको कम करने के लिए आज कृषि ड्रोन लाया गया है।”
वो आगे कहते हैं, “कृषि ड्रोन किसानों के लिए एक मददगार तकनीक साबित हो रहे हैं ; जो दिक़्कतें हमको मैनुअल स्प्रेइंग में आती थी, जैसे कि जब कोई भी स्प्रे करने जाता था तो सबको प्रशिक्षित करना संभव नहीं है और देश में ज़्यादातर किसान ऐसे ही हैं जिन्हें छिड़काव का सही तरीका नहीं पता है। “
ड्रोन तकनीक से किसानों का समय, पैसा, मेहनत सब कुछ बच जाता है और मशीन का इस्तेमाल होने की वजह से गलती की संभवना कम रह जाती है। इससे फसल की पैदावार और गुणवत्ता भी बढ़ जाती हैं। इस तकनीक के ज़रिये मात्र 8 मिनट में एक एकड़ खेत में स्प्रे कर सकते हैं और इसमें पानी की भी बचत होती है। जहाँ हमको पहले 200 लीटर पानी की ज़रुरत होती थी वहाँ अब बस 10 लीटर पानी में हम एक एकड़ खेत में स्प्रे कर पाते हैं। अगर लागत की बात करें तो मात्र 300 रूपए में आपका एक एकड़ खेत में स्प्रे हो जाता है।
कैसे बनें ड्रोन दीदी और ड्रोन भैया?
सरकार कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल को बहुत बढ़ावा दे रही हैं और इसके लिए कई योजनाएँ सरकार द्वारा चलाईं जा रहीं हैं। इसी को लेकर डॉ दया गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “किसान ड्रोन के लिए भारत सरकार ने कई तरीके के माध्यम दे रखे हैं; यानी अगर आप कोई सरकारी संस्था हैं तो आपको शत प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है; अगर आप कृषक उद्पादक संगठन यानी की FPO हैं तो आपको 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा हैं और यदि आप किसान है तो आप 50 प्रतिशत अनुदान आप ले सकते हैं।”
“इसके अलावा IFFCO की तरफ से भी ड्रोन दीदी और ड्रोन भैया बनाये जा रहे हैं; अगर आप ड्रोन दीदी या भैया बनना चाहते हैं तो अपने ज़िले के IFFCO के केंद्र से क्षेत्रीय प्रबंधक से संपर्क करें, ये उसके बारे में जानकारी देंगे; रही बात ड्रोन ट्रेनिंग की तो अगर आपने ड्रोन खरीद रखा हैं तो उसकी ट्रेनिंग के लिए अलग अलग केंद्र निर्धारित किए हुए हैं कुछ गुड़गांव में हैं कुछ IFFCO के सेंटर भी हैं, “डॉ श्रीवास्तव ने आगे कहा।
ड्रोन से कैसे और कितनी होगी कमाई?
ड्रोन न सिर्फ किसान और उसके खेतो के लिए एक वरदान है, बल्कि उसके साथ साथ ये युवाओं के लिए भी आय और आत्मनिर्भर बनने का एक अच्छा मौका है। इसी पर डॉ दया कहते हैं, “इससे जुड़े रोज़गार की बात करें तो मैं तो कहूँगा कि युवाओ के लिए रोज़गार का एक बहुत बड़ा मौका है, खुद को आत्मनिर्भर बनाने का एक बहुत अच्छा मौका हैं ; आज अगर हम बात करें तो हर ज़िले में इतनी सम्भावनाएँ हैं, हर ज़िले मैं नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के फार्मूलेशन आ गए हैं, इनको अगर ड्रोन से किया जाए तो भी इसके अच्छे रिजल्ट्स आएंगे; धीरे-धीरे सरकार भी इस पर ज़ोर दे रही है कि नैनो फार्मूलेशन का ही इस्तेमाल किया जाए।”