सुभाष पालेकर : दुनिया को बिना लागत यानी जीरो बजट खेती करना सिखा रहा ये किसान
गाँव कनेक्शन | Feb 02, 2018, 19:40 IST
किसानों के गुरु सुभाष पालेकर: उनकी पद्धति को अपनाकर लाखों को बिना लागत के खेती से अपनी आय बढ़ाते हुए मुनाफा कमा रहे हैं।
साल 2019-20 के बजट में जिस शब्द की सबसे ज्यादा चर्चा है वो है जीरो बजट खेती। जीरो बजट या शून्य लागत खेती। बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार जीरो बजट खेती को बढ़ावा देगी। इससे पहले नई सरकार ने जीरो बजट खेती के जनक सुभाष पालेकर की पद्दति को आगे बढ़ावा देनी की बात की थी। जानिए कौन हैं Subhash Palekar और क्या है उनकी zero budget natural farming
महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के अमरावती जिले के मूलरूप से रहने वाले सुभाष पालेकर को देश में जीरो लागत यानि शून्य लागत कृषि का जन्मदाता कहा जाता है। किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए वह लखनऊ में हैं। गांव कनेक्शन से बातचीत करते हुए सुभाष पालेकर ने बताया ''कृषि स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह अपने गांव में एक किसान के रूप में 1973 से लेकर 1985 तक खेती की, लेकिन आधुनिक और रासायनिक खेती करने के बाद भी जब उत्पादन नहीं बढ़ा तो चिंता होने लगी।''
सुभाष पालेकर बताते हैं कि जब खेत में पर्याप्त इनपुट डालने के बाद भी उत्पादन नहीं बढा तो उन्होंने अपने कृषि शिक्षक से इसका निदान पूछा तो उन्होंने इनपुट बढ़ाते रहने के लिए कहा। इसके बाद वह इसके समाधान के लिए जंगलों की तरफ चले गए। जंगल में जाकर उनके मन में प्रश्न पैदा हुआ कि बिना मानवीय सहायता के हरे-भरे जंगल खड़े हैं, यहां के इनके इनके पोषण के लिए रासायनिक उर्वरक कौन डाल रहा है? जब यह बिना रासायनिक खाद के खड़े रह सकते हैं तो हमारे खेत क्यों नहीं? इसी को आधार बनाकर मैंने बिना लागत की खेती करने का अनुसंधान शुरू किया।
#Budget2019 हमारे प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी की कृषि विकास और किसानों के कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है...
वित्त मंत्री श्रीमती @nsitharaman जी द्वारा प्रस्तुत बजट में किसानों व कृषि क्षेत्र के विकास को विशेष प्राथमिकता दी गयी है...#BudgetForNewIndia pic.twitter.com/BCvIdqCWXw
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) July 5, 2019
सुभाष पालेकर ने बताया कि 15 सालों के गहन अनुसंधान के बाद उन्होंने एक पद्धति विकसित की थी, जिसको शून्य लागत प्राकृतिक कृषि का नाम दिया। इस पद्धति को प्रचार-प्रसार के लिए वह किसानों को प्रशिक्षण देने लगे। उन्होंने बताया कि वह पिछले 20 सालों से लगातार शून्य लागत प्राकृतिक कृषि की खेती का प्रशिक्षण देने सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी गए। आज इस पद्धति को अपनाकर लाखों को बिना लागत के खेती से अपनी आय बढ़ाते हुए मुनाफा कमा रहे हैं।
देश की कृषि में सुभाष पालेकर के इस योगदान को देते हुए साल 2016 में भारत सरकार ने उन्हें पदमश्री सम्मान से अलंकृत किया। आंध्रप्रदेश की चंद्रबाबू नायडू सरकार ने उन्हें अपने राज्य का कृषि सलाहकार बनाया है साथ ही एक शून्य लागत प्राकृतिक कृषि विश्वविद्यालय बनाने की भी घोषणा की है।
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