पीएम धन-धान्य कृषि योजना: पढ़िए क्या है ये योजना और किसानों को कैसे होगा फायदा?
Gaon Connection | Jul 18, 2025, 15:08 IST
प्रधान मंत्री धन-धान्य कृषि योजना एक नई और व्यापक पहल है, जिसका उद्देश्य देश के पिछड़े कृषि जिलों में किसानों की आय बढ़ाना, उत्पादन क्षमता सुधारना और कृषि को आधुनिक तकनीक व सुविधाओं से जोड़ना है। 2025 से शुरू होने वाली इस छह वर्षीय योजना के तहत केंद्र सरकार ₹1.44 लाख करोड़ खर्च करेगी, जिससे करीब 1.7 करोड़ किसानों को सीधे लाभ मिलने की उम्मीद है। यह योजना किसानों के लिए एक नया अवसर और भारतीय कृषि के लिए एक निर्णायक बदलाव साबित हो सकती है।
भारत सरकार ने हाल ही में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए प्रधान मंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PM Dhan-Dhanya Krishi Yojana) को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य देश के पिछड़े कृषि जिलों में उत्पादकता को बढ़ाना, किसानों की आय को दोगुना करना और कृषि क्षेत्र को एकीकृत ढंग से मजबूत बनाना है। यह योजना विशेष रूप से उन 100 जिलों पर केंद्रित होगी जो अब तक कृषि विकास के मामले में अपेक्षित प्रगति नहीं कर सके हैं।
इस योजना की शुरुआत वर्ष 2025-26 से होगी और इसे छह वर्षों की अवधि में लागू किया जाएगा। सरकार ने इसके लिए प्रति वर्ष ₹24,000 करोड़ का बजटीय प्रावधान तय किया है, यानी पूरी योजना के लिए ₹1.44 लाख करोड़ की लागत आएगी। इससे लगभग 1.7 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिलने की उम्मीद है।
धन-धान्य कृषि योजना का मुख्य उद्देश्य केवल कृषि उत्पादन बढ़ाना नहीं, बल्कि पूरे कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना है। इसके तहत मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार, भंडारण क्षमता में वृद्धि, फसल विविधीकरण और डिजिटल कृषि समाधानों को बढ़ावा देने जैसे उपाय किए जाएंगे। योजना में यह भी प्रावधान है कि ब्लॉक और ग्राम स्तर पर भंडारण केंद्र बनाए जाएं, जिससे किसानों को उपज को सुरक्षित रखने और बाजार में उचित मूल्य मिलने तक उसे रोक पाने की सुविधा मिल सके।
इस योजना का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसे 11 मंत्रालयों और 36 मौजूदा योजनाओं के समन्वय के साथ लागू किया जाएगा। इससे न केवल संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा, बल्कि किसानों को योजनाओं का अधिक प्रभावी लाभ भी मिलेगा। इसका कार्यान्वयन राज्यों के सहयोग से किया जाएगा और हर राज्य को इस योजना के तहत अपने-अपने प्रस्ताव केंद्र को भेजने होंगे। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस दिशा में पहले ही तैयारी शुरू कर दी है और योजना को लागू करने के लिए प्रारूप तैयार कर लिया है।
योजना में छोटे और सीमांत किसानों के लिए खास फोकस है। इसके अंतर्गत किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की सीमा ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख करने की योजना है, ताकि किसान आधुनिक कृषि उपकरण, उन्नत बीज, खाद और सिंचाई तकनीकों का लाभ ले सकें। इसके साथ ही योजना में महिला किसानों और युवा उद्यमियों को प्राथमिकता देने की बात कही गई है।
योजना के सामाजिक और आर्थिक आयामों को देखते हुए यह भी माना जा रहा है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और शहरी पलायन में कमी आएगी। जब स्थानीय स्तर पर किसानों को आधुनिक तकनीक, वित्तीय सहायता और भंडारण सुविधाएं मिलेंगी, तो न सिर्फ उनकी आमदनी बढ़ेगी, बल्कि खेती भी एक टिकाऊ और आकर्षक पेशा बनकर उभरेगा।
हालांकि योजना अभी प्रारंभिक चरण में है, लेकिन इसके उद्देश्यों और संरचना को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि यह भारतीय कृषि के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है। यह सिर्फ किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने की योजना नहीं है, बल्कि भारत के खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण समृद्धि और सतत विकास के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में एक ठोस कदम है।
धन-धान्य कृषि योजना भारत के उन करोड़ों किसानों के लिए आशा की नई किरण लेकर आई है, जो अब तक संसाधनों के अभाव और बाजार तक सीमित पहुंच के कारण पीछे रह गए थे। यदि यह योजना जमीनी स्तर पर सही ढंग से लागू होती है, तो यह कृषि क्रांति का दूसरा अध्याय लिख सकती है।
इस योजना की शुरुआत वर्ष 2025-26 से होगी और इसे छह वर्षों की अवधि में लागू किया जाएगा। सरकार ने इसके लिए प्रति वर्ष ₹24,000 करोड़ का बजटीय प्रावधान तय किया है, यानी पूरी योजना के लिए ₹1.44 लाख करोड़ की लागत आएगी। इससे लगभग 1.7 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिलने की उम्मीद है।
धन-धान्य कृषि योजना का मुख्य उद्देश्य केवल कृषि उत्पादन बढ़ाना नहीं, बल्कि पूरे कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना है। इसके तहत मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार, भंडारण क्षमता में वृद्धि, फसल विविधीकरण और डिजिटल कृषि समाधानों को बढ़ावा देने जैसे उपाय किए जाएंगे। योजना में यह भी प्रावधान है कि ब्लॉक और ग्राम स्तर पर भंडारण केंद्र बनाए जाएं, जिससे किसानों को उपज को सुरक्षित रखने और बाजार में उचित मूल्य मिलने तक उसे रोक पाने की सुविधा मिल सके।
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में आज किसानों के कल्याण के लिए एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी निर्णय लिया गया है।
केंद्रीय कैबिनेट ने 'प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना' को मंजूरी दी है, जो वर्ष 2025-26 से अगले 6 वर्षों तक देश के 100 जिलों में लागू की जाएगी। यह… pic.twitter.com/O9XUTLkhoH
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) July 16, 2025
योजना में छोटे और सीमांत किसानों के लिए खास फोकस है। इसके अंतर्गत किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की सीमा ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख करने की योजना है, ताकि किसान आधुनिक कृषि उपकरण, उन्नत बीज, खाद और सिंचाई तकनीकों का लाभ ले सकें। इसके साथ ही योजना में महिला किसानों और युवा उद्यमियों को प्राथमिकता देने की बात कही गई है।
योजना के सामाजिक और आर्थिक आयामों को देखते हुए यह भी माना जा रहा है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और शहरी पलायन में कमी आएगी। जब स्थानीय स्तर पर किसानों को आधुनिक तकनीक, वित्तीय सहायता और भंडारण सुविधाएं मिलेंगी, तो न सिर्फ उनकी आमदनी बढ़ेगी, बल्कि खेती भी एक टिकाऊ और आकर्षक पेशा बनकर उभरेगा।
हालांकि योजना अभी प्रारंभिक चरण में है, लेकिन इसके उद्देश्यों और संरचना को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि यह भारतीय कृषि के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है। यह सिर्फ किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने की योजना नहीं है, बल्कि भारत के खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण समृद्धि और सतत विकास के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में एक ठोस कदम है।
धन-धान्य कृषि योजना भारत के उन करोड़ों किसानों के लिए आशा की नई किरण लेकर आई है, जो अब तक संसाधनों के अभाव और बाजार तक सीमित पहुंच के कारण पीछे रह गए थे। यदि यह योजना जमीनी स्तर पर सही ढंग से लागू होती है, तो यह कृषि क्रांति का दूसरा अध्याय लिख सकती है।