TRAI के नाम से हो रहे फर्जी कॉल और मैसेज, ऐसे करें बचाव
Gaon Connection | Aug 08, 2025, 16:51 IST
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने साइबर ठगी और वित्तीय धोखाधड़ी में अपने नाम और पहचान के दुरुपयोग को लेकर जनता को सतर्क किया है। ‘डिजिटल गिरफ्तारी’, सिम निष्क्रिय करने की धमकी, फर्जी मोबाइल टावर प्रस्ताव और नकली पत्र जैसे घोटाले तेजी से बढ़ रहे हैं।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने अपने नाम का दुरुपयोग कर किए जा रहे साइबर घोटालों और वित्तीय धोखाधड़ी को लेकर देशभर के नागरिकों को सतर्क किया है। हाल के महीनों में ‘डिजिटल गिरफ्तारी- Digital Arrest’, सिम निष्क्रिय करने की धमकी, फर्जी मोबाइल टावर प्रस्ताव और नकली पत्र जैसे स्कैम तेजी से फैल रहे हैं। ट्राई ने स्पष्ट किया है कि वह कभी भी फोन कॉल, मैसेज या वीडियो चैट के माध्यम से ग्राहकों से व्यक्तिगत जानकारी, बैंक विवरण या भुगतान की मांग नहीं करता और न ही किसी तृतीय-पक्ष एजेंसी को इसकी अनुमति देता है।
ट्राई ने स्पष्ट किया कि उसके नाम पर चल रही ऐसी कोई भी गतिविधि पूरी तरह फर्जी है और उसका प्राधिकरण से कोई संबंध नहीं है। इन धोखाधड़ियों का मुख्य उद्देश्य लोगों से व्यक्तिगत, बैंकिंग या पहचान से जुड़ी संवेदनशील जानकारी हासिल करना और उसके बाद उनका आर्थिक शोषण करना है।
कैसे फैल रहा है यह साइबर जाल?
सबसे अधिक रिपोर्ट किया जाने वाला तरीका है ‘डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला’ (Digital Arrest Scam)। इसमें अपराधी ट्राई या पुलिस/कानून प्रवर्तन अधिकारी बनकर फोन करते हैं और झूठा आरोप लगाते हैं कि पीड़ित ने दूरसंचार नियमों का उल्लंघन किया है, वित्तीय धोखाधड़ी में शामिल है या किसी आपराधिक मामले में संदिग्ध है। इसके बाद पीड़ित को फर्जी कानूनी नोटिस, नकली पहचान पत्र और गिरफ्तारी या बैंक खाता फ्रीज करने की धमकी दी जाती है। दबाव डालने के लिए वीडियो कॉल या चैट का सहारा भी लिया जाता है। अंततः, “जमानत”, “जुर्माना” या “सत्यापन शुल्क” के नाम पर पैसे ट्रांसफर करवाए जाते हैं।
इसके अलावा, ट्राई के नाम का दुरुपयोग करने वाले कई अन्य घोटाले भी सामने आए हैं-
सिम बंद करने की धमकी
– अपराधी केवाईसी (KYC) अपडेट न होने का बहाना बनाकर कहते हैं कि तुरंत कार्रवाई न करने पर आपका मोबाइल नंबर बंद कर दिया जाएगा।
मोबाइल टावर लगाने का लालच
– एडवांस पंजीकरण शुल्क के बदले ऊंचे किराये की गारंटी दी जाती है, साथ ही नकली ट्राई अनुमति पत्र या मोहर का इस्तेमाल कर विश्वास जमाया जाता है।
जाली पत्र और ईमेल
– ट्राई के लोगो, नाम और फर्जी हस्ताक्षर के साथ नकली दस्तावेज़ भेजे जाते हैं, जिनमें निवेश प्रस्ताव, पैसे की मांग या अनुपालन कार्रवाई की चेतावनी होती है।
ट्राई का कहना – हम ऐसा नहीं करते
ट्राई ने दोहराया कि वह एक स्वतंत्र वैधानिक प्राधिकरण है, जो भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 के तहत स्थापित है। इसका काम दूरसंचार और प्रसारण सेवाओं को विनियमित करना, सरकार को नीतिगत सुझाव देना और सेवा गुणवत्ता की निगरानी करना है।
लेकिन ट्राई—
किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सीधे जांच नहीं करता।
आधार, बैंक खाता, ओटीपी या अन्य निजी जानकारी नहीं मांगता।
मोबाइल नंबर डिस्कनेक्ट करने या गिरफ्तारी की चेतावनी देने के लिए फोन कॉल, मैसेज या वीडियो चैट का उपयोग नहीं करता।
किसी भी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से भुगतान एकत्र नहीं करता।
क्या करें?
इन बढ़ते साइबर खतरों से बचने के लिए ट्राई ने नागरिकों को कुछ स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं—
किसी भी संदिग्ध कॉल या संदेश का जवाब न दें और तुरंत कॉल काट दें।
फोन या वीडियो चैट पर कभी भी निजी, बैंकिंग या पहचान संबंधी जानकारी साझा न करें।
किसी अनजान व्यक्ति या संस्था के कहने पर पैसे ट्रांसफर न करें।
किसी भी सूचना को आधिकारिक सरकारी वेबसाइट या हेल्पलाइन के माध्यम से सत्यापित करें।
अगर धोखाधड़ी की कोशिश हो, तो राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज कराएं।
संदिग्ध नंबर या संदेश को संचार साथी पोर्टल या ट्राई DND ऐप के “चक्षु” फीचर के माध्यम से रिपोर्ट करें।
जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव
ट्राई ने कहा है कि साइबर ठग अक्सर वरिष्ठ नागरिकों, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों और डिजिटल सेवाओं से कम परिचित उपयोगकर्ताओं को निशाना बनाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि परिवार, मोहल्ला और समुदाय के स्तर पर साइबर सुरक्षा की जानकारी साझा की जाए।
डिजिटल युग में, जहां एक क्लिक से सुविधाएं मिल जाती हैं, वहीं एक लापरवाही आर्थिक और मानसिक नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए किसी भी संदिग्ध कॉल, ईमेल या संदेश पर तुरंत संदेह करें और आधिकारिक माध्यम से उसकी पुष्टि करें।
ट्राई का यह परामर्श केवल एक चेतावनी नहीं है, बल्कि एक सामूहिक जिम्मेदारी की याद दिलाता है—अगर हम सतर्क रहें, समय पर रिपोर्ट करें और दूसरों को जागरूक करें, तो इन साइबर अपराधियों के जाल को तोड़ना संभव है।
ट्राई ने स्पष्ट किया कि उसके नाम पर चल रही ऐसी कोई भी गतिविधि पूरी तरह फर्जी है और उसका प्राधिकरण से कोई संबंध नहीं है। इन धोखाधड़ियों का मुख्य उद्देश्य लोगों से व्यक्तिगत, बैंकिंग या पहचान से जुड़ी संवेदनशील जानकारी हासिल करना और उसके बाद उनका आर्थिक शोषण करना है।
कैसे फैल रहा है यह साइबर जाल?
सबसे अधिक रिपोर्ट किया जाने वाला तरीका है ‘डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला’ (Digital Arrest Scam)। इसमें अपराधी ट्राई या पुलिस/कानून प्रवर्तन अधिकारी बनकर फोन करते हैं और झूठा आरोप लगाते हैं कि पीड़ित ने दूरसंचार नियमों का उल्लंघन किया है, वित्तीय धोखाधड़ी में शामिल है या किसी आपराधिक मामले में संदिग्ध है। इसके बाद पीड़ित को फर्जी कानूनी नोटिस, नकली पहचान पत्र और गिरफ्तारी या बैंक खाता फ्रीज करने की धमकी दी जाती है। दबाव डालने के लिए वीडियो कॉल या चैट का सहारा भी लिया जाता है। अंततः, “जमानत”, “जुर्माना” या “सत्यापन शुल्क” के नाम पर पैसे ट्रांसफर करवाए जाते हैं।
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सिम बंद करने की धमकी
– अपराधी केवाईसी (KYC) अपडेट न होने का बहाना बनाकर कहते हैं कि तुरंत कार्रवाई न करने पर आपका मोबाइल नंबर बंद कर दिया जाएगा।
मोबाइल टावर लगाने का लालच
– एडवांस पंजीकरण शुल्क के बदले ऊंचे किराये की गारंटी दी जाती है, साथ ही नकली ट्राई अनुमति पत्र या मोहर का इस्तेमाल कर विश्वास जमाया जाता है।
जाली पत्र और ईमेल
– ट्राई के लोगो, नाम और फर्जी हस्ताक्षर के साथ नकली दस्तावेज़ भेजे जाते हैं, जिनमें निवेश प्रस्ताव, पैसे की मांग या अनुपालन कार्रवाई की चेतावनी होती है।
ट्राई का कहना – हम ऐसा नहीं करते
ट्राई ने दोहराया कि वह एक स्वतंत्र वैधानिक प्राधिकरण है, जो भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 के तहत स्थापित है। इसका काम दूरसंचार और प्रसारण सेवाओं को विनियमित करना, सरकार को नीतिगत सुझाव देना और सेवा गुणवत्ता की निगरानी करना है।
लेकिन ट्राई—
किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सीधे जांच नहीं करता।
आधार, बैंक खाता, ओटीपी या अन्य निजी जानकारी नहीं मांगता।
मोबाइल नंबर डिस्कनेक्ट करने या गिरफ्तारी की चेतावनी देने के लिए फोन कॉल, मैसेज या वीडियो चैट का उपयोग नहीं करता।
किसी भी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से भुगतान एकत्र नहीं करता।
क्या करें?
इन बढ़ते साइबर खतरों से बचने के लिए ट्राई ने नागरिकों को कुछ स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं—
किसी भी संदिग्ध कॉल या संदेश का जवाब न दें और तुरंत कॉल काट दें।
फोन या वीडियो चैट पर कभी भी निजी, बैंकिंग या पहचान संबंधी जानकारी साझा न करें।
किसी अनजान व्यक्ति या संस्था के कहने पर पैसे ट्रांसफर न करें।
किसी भी सूचना को आधिकारिक सरकारी वेबसाइट या हेल्पलाइन के माध्यम से सत्यापित करें।
अगर धोखाधड़ी की कोशिश हो, तो राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज कराएं।
संदिग्ध नंबर या संदेश को संचार साथी पोर्टल या ट्राई DND ऐप के “चक्षु” फीचर के माध्यम से रिपोर्ट करें।
जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव
ट्राई ने कहा है कि साइबर ठग अक्सर वरिष्ठ नागरिकों, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों और डिजिटल सेवाओं से कम परिचित उपयोगकर्ताओं को निशाना बनाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि परिवार, मोहल्ला और समुदाय के स्तर पर साइबर सुरक्षा की जानकारी साझा की जाए।
डिजिटल युग में, जहां एक क्लिक से सुविधाएं मिल जाती हैं, वहीं एक लापरवाही आर्थिक और मानसिक नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए किसी भी संदिग्ध कॉल, ईमेल या संदेश पर तुरंत संदेह करें और आधिकारिक माध्यम से उसकी पुष्टि करें।
ट्राई का यह परामर्श केवल एक चेतावनी नहीं है, बल्कि एक सामूहिक जिम्मेदारी की याद दिलाता है—अगर हम सतर्क रहें, समय पर रिपोर्ट करें और दूसरों को जागरूक करें, तो इन साइबर अपराधियों के जाल को तोड़ना संभव है।