चक्रवात अम्फान की बरसी और तबाही की बुरी यादें, 5 लाख लोग हुए थे प्रभावित

भारत में चक्रवाती तूफान तौकाते की तबाही से हुए नुकसान का आंकलन जारी है। एक साल पहले इससे कहीं भीषण तूफान अम्फान बांग्लादेश में आया था। इस तूफान ने वहां इतनी तबाही मचाई की लोगों की जिंदगी पटरी पर नहीं लौट पाई है, इसी बीच तूफान (चक्रवात यास) के बंगाल की खाड़ी में सक्रिय होने का पूर्वानुमान जताया गया है।

Rafiqul Islam MontuRafiqul Islam Montu   20 May 2021 9:32 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
चक्रवात अम्फान की बरसी और तबाही की बुरी यादें, 5 लाख लोग हुए थे प्रभावित

20 मई 2020 को बांग्लादेश के तटीय इलाकों में तूफान अम्फान ने मचाई थी भारी तबाही। फोटो- रफीकुल इस्लाम मोंटू

कोयरा ( बांग्लादेश)। अरब सागर में उठे चक्रवात तौकते से हुई तबाही के बाद भारत के पश्चिमी तट के लोग धीरे-धीरे अपने जीवन को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। दो दिन पहले 18 मई की रात को इस तूफान ने गुजरात के सौराष्ट्र समेत कई इलाकों में कहर ढाया था।

इस बीच देश के पूर्वी तट पर बंगाल की खाड़ी में एक और चक्रवाती तूफान (चक्रवात यास) के सक्रिय होने का पूर्वानुमान जताया गया है। इसके 29 मई की शाम तक ओडिशा-पश्चिम बंगाल के तटों तक पहुंचने की आशंका है। एक और तूफान की आशंका से तटीय इलाकों के लोग सहमे हुए हैं, खासकर बांग्लादेश जहां 20 मई 2020 को आये विनाशकारी तूफान के निशान आज तक मिटे नहीं हैं।

ठीक एक साल पहले 20 मई की बात है, जब सुपर साइक्लोन अम्फान, दीघा (पश्चिम बंगाल) और हटिया द्वीप (बांग्लादेश) के बीच पूर्वी तट में उठा था। इसका असर अभी भी तटीय पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश दोनों में दिखाई देता है, जहां तूफान के कहर का सबसे ज्यादा असर हुआ था। उस वक्त सुपर साइक्लोन अम्फान ने अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को तबाह कर दिया, खासकर सुंदरबन में, जो दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है।

तटीय बांग्लादेश में इसके जख्म आज भी ताजा हैं, जहां लोग अभी भी अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं।

चक्रवाती तूफान अम्फान के तबाही के एक साल बाद भी लोगों का जीवन सामान्य नहीं हो पाया है।


सबिता रानी की अपने घर की आखिरी याद दीवार पर लगी घड़ी थी, जिसने उन्हें बताया कि शाम के 6 बजे रहे हैं। उन्होंने गांव कनेक्शन को बताया, "20 मई 2020 की शाम को बांग्लादेश के दक्षिण पश्चिमी तट पर खुलना जिले के कोयरा उपजिला में हजतखली गांव में उसका घर चक्रवात अम्फान के प्रकोप में तबाह हो गया था।"

सबिता के परिवार को कोपोताक्ष नदी के किनारे बने एक बांध पर आश्रय मिला, जहां वे एक साल से रह रहे हैं। सबिता के घर में कुछ नहीं बचा और न उसके गांव में। खुलना जिले के हजतखली, कटमारचर, उत्तर बेदकाशी और अन्य गांवों के कई परिवार भी बिना किसी बुनियादी सेवाओं के एक ही उसी जगह पर रहते हैं।

लगभग 5 लाख लोग हुए प्रभावित

चक्रवात अम्फान से सबसे ज्यादा नुकसान बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिमी तट पर खुलना, सतखिरा और बागेरहाट जिलों को हुआ। यहां के लगभग 500,000 लोग प्रभावित हुए। चक्रवात ने बांध को तोड़ दिया और पानी गांवों में घुस गया, जिससे वे लगभग एक साल तक डूबे रहे। खाली पड़ी कृषि भूमि और झींगा फार्म तबाही की कहानी कहते हैं। गांव खंडहर में तब्दील हो गए हैं। बहुत से लोग अब भी तटबंधों पर रह रहे हैं।

कृषि भूमि खारे पानी की वजह से अनुपयोगी हो गई है। बड़े व्यापारी, किसान और झींगा खेत के मालिक अब दिहाड़ी मजदूर हैं। इनमें से कुछ नाविक हैं, कुछ वैन चलाते हैं और अन्य गांव से गांव तक सामान पहुंचाकर अपना गुजारा कर रहे हैं। इन पर कर्ज का बोझ भी बढ़ता जा रहा है।

हम चक्रवात के बाद लगभग दस महीने तक नदी किनारे बने बांधों पर रहे। अब मैं दोबारा घर बनाने की कोशिश कर रहा हूं। 50,000 टका (एक टका = 0.86 भारतीय रुपये) का कर्ज लिया है।- संजीत सरकार

जो लोग अपने गांव और घरों को लौट गए हैं, वे खंडहर ओर मलबे के बीच अपना जीवन फिर से शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं।

"हम चक्रवात से पहले ठीक थे। हमारे पास किसी चीज की कमी नहीं थी। स्थानीय बाजार में अपनी दुकान से हमें जो मिला उससे हम खुश थे, " खुलना जिले के कोयरा उपजा के उत्तर बेदकाशी गांव के संजीत सरकार ने गांव कनेक्शन को बताया।

"हम चक्रवात के बाद लगभग दस महीने तक नदी किनारे बने बांधों पर रहे। अब मैं दोबारा घर बनाने की कोशिश कर रहा हूं, " 32 वर्षीय सरकार ने आगे कहा। उन्होंने 50,000 टका (एक टका = 0.86 भारतीय रुपये) का कर्ज लिया है और वह चिंतित है कि वह बिना काम के इसे कैसे चुकाएंगे?

चक्रवात अम्फान के आने से पहले मिजानुर रहमान के पास खुलना के कटमारचर गांव में पांच बीघा जमीन थी, जहां उन्होंने झींगा की खेती की थी। तब से 40 वर्षीय रहमान 100,000 टका का कर्ज ले चुके हैं। उन्होंने गांव कनेक्शन को बताया कि वह अपनी झींगा की खेती को फिर से शुरू करने का जोखिम नहीं उठा सकते और अब इतना बड़ा कर्ज भी चुकाना है।

बेसहारा लोगों की हताशा, फिर कैसे शुरू करें जीवन

कार्तिक चंद्र मंडल और उनका पांच लोगों का परिवार भी हजतखली गांव में रहता था। 38 वर्षीय मंडल ने गांव कनेक्शन को बताया कि वे अब नदी किनारे तटबंध पर छप्पर में रहने को मजबूर हैं। चक्रवात से पहले वह और उनका परिवार एक पक्के घर में रहते थे।

मंडल ने याद करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने उस घर को अपनी और अपने पिता की बचत से बनाया था, लेकिन वह पिछले साल 20 मई को तूफान में बह गया।

मंडल और सबिता रानी के जैसी दर्दभरी कहानियां इलाके के अन्य क्षेत्रों के लोगों की भी हैं, जिसमें सतखिरा जिले में असशुनी के कुरीकाहुनिया, श्रीपुर, सनतनकठी, प्रतापनगर और श्यामनगर उपजिला के बन्यतला और गबुरा शामिल हैं। कई लोग रोजगार की तलाश में अपना गांव छोड़ चुके हैं।

संजीव कुमार कफले ने गांव कनेक्शन को बताया, "विनाशकारी तूफानों से कोई नहीं बच सकता है।" वह इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस एंड रेड क्रिसेंट सोसाइटी (IFRC), बांग्लादेश के कंट्री हेड हैं।

"जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में हमें और अधिक निवेश करने की आवश्यकता है। क्योंकि इस प्रकार का चक्रवात भविष्य में भी आएंगे, " काफले ने कहा। उन्होंने कहा, " हमें आपदा और उससे बचाव के पुराने तरीकों से आगे बढ़ने की जरूरत है, क्योंकि इन संकटों ने लोगों को जलवायु परिवर्तन के कारण उपजे के एक अलग हालात में डाल दिया है"।

काफले के अनुसार गरीबी कम करने के मूल कारणों पर काम करने की जरूरत है। "अगर लोग आर्थिक रूप से सक्षम हैं, तो वे अपने घरों को सुरक्षित स्थान पर बना सकेंगे। वहीं सामाजिक सुरक्षा के दायरे को बढ़ाने की जरूरत है, " काफले ने जोर देकर कहा।

चक्रवात अम्फान से सबसे ज्यादा नुकसान बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिमी तट पर खुलना, सतखिरा और बागेरहाट जिलों में हुआ था। फोटो- रफीकुल इस्लाम मोंटू

COVID-19 महामारी और मौजूद संसाधन

एक साल पहले जो हुआ, उसे याद करते हुए सतखिरा जिले के श्यामनगर में बुरिगोलिनी यूनियन के रेड क्रिसेंट स्वयंसेवक मोहम्मद अब्दुल हलीम ने गांव कनेक्शन को बताया, "स्वयंसेवकों को लोगों को अपना घर छोड़ने और अम्फान के प्रकोप से बचने के लिए आश्रयों में जाने के लिए समझना कठिन था, लेकिन सुरक्षित जगह कम और लोग बहुत अधिक थे। सामाजिक भेदभाव व स्वच्छता आदि के मामले एक चुनौती बनने वाले थे।"

हलीम की बातों से सहमत बुरिगोलिनी यूनियन काउंसिल के अध्यक्ष भाबातोष कुमार मंडल ने कहा, "हमने पहले भी कई तूफानों के लिए तैयारी की है। कई लोगों को सुरक्षित निकाला है, लेकिन अम्फान एक बिल्कुल अलग अनुभव था।" उन्होंने कहा, "हमें अपने पास मौजूद आपदा प्रबंधन संसाधनों पर फिर से सोचने करने की जरूरत है।"

बांग्लादेश सरकार का दावा, उबर चुके हैं अम्फान से

IFRC की टिप्पणियों के अनुसार बांग्लादेश सरकार और बांग्लादेश रेड क्रिसेंट सोसाइटी की एक संयुक्त पहल चक्रवात तैयारी कार्यक्रम ने प्रारंभिक चेतावनी, निकासी के लिए सुरक्षित आश्रय की पहचान करने, विभिन्न सुविधाओं (सूखा भोजन, रोशनी की उचित व्यवस्था, शौचालय, पानी, आदि) को सुनिश्चित करने के लिए बेहतर काम किया है, लेकिन महामारी ने इन उपायों पर प्रभाव डाला है।

हालांकि, बांग्लादेश सरकार का दावा है कि महामारी के बावजूद पुनर्वास कार्यक्रमों में प्रगति हुई है। "हम अम्फान से पूरी तरह से उबर चुके हैं। सरकार द्वारा यथासंभव सहायता प्रदान की गई है और हम कोविड-19 महामारी में भी चक्रवात से अच्छी तरह से निपटे हैं, " बांग्लादेश सरकार के आपदा प्रबंधन और राहत मंत्रालय के सचिव मोहम्मद मोहसिन ने गांव कनेक्शन को बताया।

इस बीच जैसा कि सरकार का कहना है कि हालात नियंत्रण में हैं और सामान्य हो रहे हैं, सबिता उस दिन की उम्मीद लगाए हुए हैं, जब वह अपने गांव लौटेंगी, लेकिन क्या वह ऐसा कर पाएगी? बंगाल की खाड़ी में एक और चक्रवाती तूफान आने से एक बार फिर डर का माहौल बना हुआ है।

संबंधित खबर यहां अंग्रेजी में पढ़ें-

तूफानों से संबंधित खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

tauktae cyclone #Cyclone #Climate #bangladesh #story 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.