समय से पहले आई बाढ़ के बाद सूखा और अब चक्रवात सितरंग - मौसम की चौतरफा मार से तटीय बांग्लादेश के किसान हुए बेहाल

2022 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन यानी COP27 से ठीक बारह दिन पहले 24 अक्टूबर की रात को चक्रवात सितरंग तटीय बांग्लादेश से टकराया। इसकी वजह से धान की फसल बर्बाद हो गई और खेत पानी से लबालब भर गए। अमन धान की फसल को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचने की सूचना मिली है।

Rafiqul Islam MontuRafiqul Islam Montu   29 Oct 2022 10:50 AM GMT

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समय से पहले आई बाढ़ के बाद सूखा और अब चक्रवात सितरंग - मौसम की चौतरफा मार से तटीय बांग्लादेश के किसान हुए बेहाल

बरगुना सदर उपजिला के पद्मा गाँव के किसान अब्दुर रहीम मोल्ला, जिनके खेत में खड़ी धान की फसल चक्रवात सितरंग की वजह से पूरी तरह बर्बाद हो गई। सभी फोटोः- रफीकुल इस्लाम मोंटू

बदरखली (बरगुना), बांग्लादेश। अब्दुर रहीम मोल्ला की मुश्किलों का कोई अंत नहीं है। इस साल की शुरुआत में मई और जून में बरगुना जिले में उनके तटीय गाँव पद्मा को बाढ़ का सामना करना पड़ा और उन्हें अपना घर-बाहर छोड़कर दूसरी जगह आश्रय लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था। समय से पहले आई बाढ़ के बाद मानसून के मौसम में काफी कम बारिश हुई जिसके कारण अब्दुर रहीम जैसे किसानों को अपनी धान की खेती को बचाने में खासी मशक्कत करनी पड़ी।

और अब हफ्तों तक खेतों में कड़ी मेहनत करने के बाद, जब धान कटाई के लिए तैयार हो गया, 24 अक्टूबर की रात को बांग्लादेश के तट पर आए चक्रवात सितरंग ने अब्दुर रहीम की तैयार खड़ी फसलों को चौपट कर दिया।

अब्दुर रहीम ने गाँव कनेक्शन को बताया, "मैं उम्मीद कर रहा था कि इस बार इतनी फसल तो हो ही जाएगी कि परिवार को कम से कम पांच महीने तक खाने की दिक्कत नहीं होगी। लेकिन चक्रवात सितरंग ने सब कुछ उजाड़ दिया।" तटीय इलाके में रहने वाले किसान ने याद करते हुए कहा कि ऐसा ही कुछ 2007 में भी हुआ था। उस समय सिद्र चक्रवात ने उनके गाँव में कहर बरपाया था और पके धान की उनकी पूरी फसल बर्बाद हो गई थी।

चक्रवाती तूफान सितरंग ने दिवाली के त्योहार की देर रात दक्षिणी बांग्लादेश में दस्तक दी। समाचार रिपोर्टों के मुताबिक, डेल्टा देश में चक्रवात के कारण कम से कम 35 लोग मारे गए और लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। चक्रवात के आने के एक दिन बाद, तट से लगे जिलों में एक करोड़ से ज्यादा लोग बिना बिजली के रह रहे थे। अमन धान की फसल की भी बड़े पैमाने पर खराब होने की खबर है।

बरगुना सदर उपजिला के बदरखली गाँव का यह धान का खेत सितरंग की वजह से पानी में डूबा गया।

यह संयोग ही था कि 2022 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के शुरू होने से ठीक 12 दिन पहले यह चक्रवाती तूफान बांग्लादेश में आया। इस सम्मेलन को आमतौर पर COP27 भी कहा जाता है, जो अगले महीने 6 नवंबर से 18 नवंबर तक मिस्र में आयोजित किया जा रहा है।

जलवायु वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कैसे ग्लोबल वार्मिंग और बढ़ते समुद्री तापमान उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता दोनों में वृद्धि कर रहे हैं। इसका सबसे ज्यादा खामियाजा अब्दुर रहीम जैसे किसानों को भुगतना पड़ रहा है।

अब्दुल रहीम ने बताया, "पानी की कमी के कारण इस साल धान की खेती को रोपने में काफी देरी हुई थी। बारिश नहीं हुई तो मुझे अपने धान के खेतों की सिंचाई के लिए पानी खरीदना पड़ा।" उनकी धान की फसल लहलहा रही थी और वो उम्मीद कर रहा थे कि इस साल उसने जो खर्च किया है उसकी भरपाई हो जाएगी। लेकिन चक्रवात सितरंग ने सब खत्म कर दिया।

बरगुना सदर उपजिला के मध्यम गाजी महमूद गाँव के किसान इदरीस होवलदार ने गाँव कनेक्शन को बताया, "हम एक बार फिर अपनी फसल का नुकसान होते देख रहे हैं।" वह आगे कहते हैं, "हमने सूखे के साथ अपनी फसल की शुरुआत की थी और एक चक्रवात के साथ यह खत्म भी हो गई। इसने हमारे धान की फसल को पूरी तरह बरबाद कर दिया।"

माझेरचर के रहने वाले मोहम्मद शाहीन का धान का खेत तीन फीट पानी के नीचे है।

होवलदार ने उदास होते हुए बताया, "धान की फसल के लिए यह वह समय है जब खेत में पानी छह इंच (0।5 फुट) से अधिक नहीं होना चाहिए। उन्होंने लेकिन हमारे खेत ढाई से तीन फीट पानी के नीचे हैं। फसल सड़ जाएगी।"

अक्टूबर और नवंबर में बांग्लादेश में धान के खेत पक कर कटने के लिए तैयार खड़े होते हैं। लेकिन इस बार अब्दुल रहीम और हवलदार जैसे कई किसान भारी नुकसान और भूख का सामना कर रहे हैं क्योंकि उनके धान के खेत पानी में डूब गए हैं। हवलदार ने बताया कि उन्होंने अपनी जमीन पर खेती करने के लिए इस साल 30,000 बांग्लादेशी टका (टीके) खर्च किए थे। इसके अलावा मानसून के महीनों में कम बारिश के कारण सिंचाई पर भी अलग से 10,000 टका खर्च किया था।

हाल ही में एक संवाददाता सम्मेलन में आपदा और राहत राज्य मंत्री इनामुर रहमान ने कहा कि चक्रवात सितरंग से हुए नुकसान की पूरी सीमा का आकलन करने में एक और दो सप्ताह लगेंगे। उनके मुताबिक, शुरुआती अनुमानों से पता चला है कि बांग्लादेश में 419 यूनियन प्रभावित हुए हैं और लगभग 10,000 घरों को नुकसान पहुंचा हैं। आधिकारिक आंकड़ों ने मरने वालों की संख्या 9 बताई है, लेकिन गैर-सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यह संख्या 35 से ज्यादा है।

बाढ़, सूखा और एक चक्रवात

बांग्लादेश इस साल मई और जून में ही बाढ़ की चपेट में आ गया था। इसकी वजह से पूर्वोत्तर इलाके के 70 लाख से ज्यादा लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ। फिर भयंकर सूखा पड़ा जिसने अमन की खेती को खासा नुकसान पहुंचाया।

बांग्लादेश कृषि विस्तार विभाग के आंकड़ों से पता चला है कि इस साल देश भर में 5.657 मिलियन हेक्टेयर भूमि में अमन धान की खेती की गई थी। इसमें से लगभग 1.1 मिलियन हेक्टेयर जमीन तो चटगांव, खुलना और बरिसाल के तीन तटीय डिवीजनों की थी।

अमन धान बांग्लादेश की बारानी फसल है। यह डेल्टा देश में उत्पादित कुल अनाज का 39 प्रतिशत है। अमन का उत्पादन काफी हद तक मानसून की बारिश पर निर्भर करता है। जून से अगस्त पौध रोप दी जाती है। इस अवधि को पीक मानसून सीजन माना जाता है।

लेकिन अभूतपूर्व बारिश और बाढ़ के बाद पड़े सूखे ने इस साल पूरे रोपण चक्र को अस्त-व्यस्त कर दिया है।

माझेरचर निवासी मोहम्मद शाहीन ने अपने खेत में सर्दी की फसल लगाई थी। उनके खेत अब पानी में डूबे हुए हैं।

बढ़ती संवेदनशीलता

बांग्लादेश के तट पर रहने वाले लोग सबसे अधिक असुरक्षित हैं। भोला जिले के चारफासन उपजिला (उप-जिला) में ढलचर के सुनसान द्वीप पर रहने वाले सिराजुल इस्लाम का सारा सामान चक्रवात सितरंग से बह गया था। घर के नाम पर बस छप्पर खड़ा है। सिराजुल इस्लाम ने अपने परिवार के साथ एक रिश्तेदार के घर में शरण ली हुई है।

इस्लाम के घर के नजदीक रहने वाले नूरनबी मांझी ने भी बाढ़ में अपना घर खो दिया। उन्हें अपने छह सदस्यों के परिवार के साथ इस इलाके को छोड़कर भागना पड़ा था।

धालचर टापू पर रहने वाले एक अन्य निवासी शरीफ सौदागर ने गांव कनेक्शन को बताया, "इस टापू पर रहने वाले लोगों का जीवन हमेशा जोखिम से भरा होता है। प्राकृतिक खतरे अब पहले से कहीं ज्यादा हो गए है। चक्रवात सितरंग में टापू के सभी घर पानी में समा गए।"

चक्रवात सितरंग में चटगांव के पटेंगा तट के भी लगभग 300 मिट्टी के घर तबाह हो गए हैं। चटगांव शहर के दक्षिण हलीशहर, उत्तरी पटेंगा और दक्षिण पटेंगा इलाके के बहुत से लोगों को अपना घर छोड़ कर कहीं और शरण लेनी पड़ी है।

माझेरचर गाँव के अब्दुल कादर अपनी जमीन पर सर्दियों की सब्जियां उगाना चाहते थे, लेकिन उनकी जमीन अब पानी के नीचे है।

चटगाँव की चंपा रानी जलदाश ने गाँव कनेक्शन को बताया, "चक्रवात रात 10.30 बजे आया और मैंने अपने तीन बच्चों के साथ तटबंध पर शरण ली। सोचा था कि चक्रवात के गुजरने के बाद मैं घर लौट आऊंगी, लेकिन लौटने के लिए कुछ बचा ही नहीं था। " वह आगे कहती हैं, "मेरे पति का मछली पकड़ने का जाल जिसकी कीमत लाखों टका थी, बह गया।"

चक्रवात सितरंग के बाद बरगुना जिले के बदरखली यूनियन के एक द्वीप मझेरचर के लोगों की पीड़ा हद से आगे निकल गई है। उनकी फसल, खेत, सड़कें और घर सब पानी में डूब गए हैं।

बरगुना जिले के बदरखली यूनियन के मझेरचर टापू के निवासी बच्चू दफादार ने कहा कि यहां के लोगों की आमदनी सिर्फ अमन की फसल, सर्दियों की फसल और नदी में मछली पकड़ने पर निर्भर है.

दफादार ने गाँव कनेक्शन को बताया, "इस द्वीप के ज्यादातर इलाके अब पानी के नीचे हैं। सिर्फ अमन धान ही नहीं, हममें से कुछ लोगों ने अपनी सर्दियों की फसलें भी बोना शुरू कर दिया था और वे भी खराब हो गई हैं। सितरंग ने सब कुछ बहा दिया।" वह आगे कहते हैं, "हम हमेशा सबसे बुरी तरह प्रभावित होते हैं और प्राकृतिक आपदाओं के पहले शिकार होते हैं। इस टापू के लोगों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत तटबंध बनाया जाना चाहिए।"

सिद्र से सितरंग तक

इस सदी में बांग्लादेश में अब तक 12 चक्रवात आ चुके हैं। 2007 में यह सुपर साइक्लोन सिडर था। ठीक दो साल बाद 2009 में चक्रवात आइला मारा आया। इसके बाद 2013 में चक्रवात महासेन, 2015 में चक्रवात कोमेन, 2016 में चक्रवात रोनू, 2017 में चक्रवात मोरा, 2018 में चक्रवात तितली, 2019 में चक्रवात फानी और चक्रवात बुलबुल, 2020 में सुपर चक्रवात अम्फान, 2021 में चक्रवात यास और 2022 में सितरंग चक्रवात आया।

चक्रवातों के बार-बार आने से तटीय बांग्लादेश के स्थानीय निवासियों का स्थानांतरण और प्रवास हुआ है।

चक्रवात सितरंग से क्षतिग्रस्त कॉक्स बाजार के टेकनाफ में मरीन ड्राइव रोड। फोटो: अरेंजमेंट

बीआरएसी यूनिवर्सिटी, ढाका में प्रोफेसर एमेरिटस ऐनुन निशात ने गाँव कनेक्शन को बताया, "तटबंध पूरे तट के साथ बनाए जाने चाहिए। वे मजबूत और इतने ऊंचे होने चाहिए कि वे चक्रवातों का सामना कर सकें। चक्रवात आश्रयों में भी सुधार किया जाना चाहिए और बेहतर प्रबंधन किया जाना चाहिए। "

जलवायु विशेषज्ञ ने कहा कि तट के किनारे घरों का निर्माण भी चक्रवात आश्रयों की तरह बनाया जाना चाहिए। चक्रवात संकेत क्षेत्र पर आधारित होना चाहिए। क्षेत्रवार चक्रवात पूर्वानुमान, जिसे आम व्यक्ति आसानी से समझ ले, दिया जाना चाहिए। साथ ही कृषि मंत्रालय को चक्रवात संकेतों के साथ शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि वर्ष के दोनों चक्रवात मौसमों में खेतों में धान की फसलें खड़ी होती हैं।

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