कांगो में इबोला का कहर, WHO ने वैश्विक स्वास्थ्य आपदा किया घोषित
गाँव कनेक्शन | Jul 18, 2019, 05:52 IST
इबोला बीमारी फैलने को लेकर चिंताएं उस वक्त और बढ़ गईं जब कांगो का एक बीमार मछली व्यापारी युगांडा गया और इन लक्षणों के साथ वापस आया तथा बाद में इबोला के चलते उसकी मौत हो गई
जिनेवा। कांगो गणराज्य में इबोला के प्रकोप ने अब अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा का रूप ले लिया है। इस हफ्ते विषाणु के 20 लाख आबादी वाले एक शहर में पहुंचने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसकी घोषणा की।डब्ल्यूएचओ की विशेषज्ञ समिति इससे पहले तीन मौकों पर संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी को इस प्रकोप के संबंध में घोषणा करने की सलाह देने से इनकार कर चुकी थी जबकि अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि आपदा घोषित करने के लिए सभी जरूरी बातें मौजूद हैं।
इतिहास में इबोला ने जुलाई में दूसरी बार इतना विकराल रूप दिखाया और 1,600 लोगों की जान ले ली। यह ऐसे क्षेत्र की तरफ बढ़ रहा है जिसे युद्ध ग्रस्त क्षेत्र माना जाता है। वैश्विक स्वास्थ्य आपदा की घोषणा से अक्सर अंतरराष्ट्रीय मदद एवं ध्यान खींचा जाता है साथ ही ये चिंताएं भी होती हैं कि प्रभावित सरकारें सीमाओं को बंद न कर दें।
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गोमा में विषाणु की पुष्टि होने के बाद बुधवार को यह घोषणा की गई। गोमा रवांडा सीमा पर पूर्वोत्तर कांगो में महत्वपूर्ण शहर है जो एक अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से लगता है। बीमारी फैलने को लेकर चिंताएं उस वक्त और बढ़ गईं जब कांगो का एक बीमार मछली व्यापारी युगांडा गया और इन लक्षणों के साथ वापस आया तथा बाद में इबोला के चलते उसकी मौत हो गई।
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क्या है इबोला
इबोला विषाणु रोग या इबोला हेमोराहैजिक बुखार इबोला विषाणु के कारण लगने वाला अत्यन्त संक्रामक एवं घातक रोग है। आम तौर पर इसके लक्षण वायरस के संपर्क में आने के दो दिनों से लेकर तीन सप्ताह के बीच शुरू होता है, जिसमें बुखार, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द और सिर दर्द होता है। आम तौर पर मतली, उल्टी और डायरिया होने के साथ-साथ जिगर और गुर्दाका कामकाज धीमा हो जाता है। इस स्थिति में, कुछ लोगों को खून बहने की समस्या शुरू हो जाती है।
डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एदहानोम घेब्रेयीसस ने जिनेवा में घोषणा के बाद कहा, " क्षेत्र में इसके फैलने का खतरा बहुत ज्यादा है लेकिन क्षेत्र के बाहर आशंका कम है। अंतरराष्ट्रीय आपदा को, उन लोगों को दंडित करने या कलंकित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए जिन्हें हमारी मदद की बहुत ज्यादा जरूरत है। घोषणा ज्यादा राशि जुटाने के लिए नहीं की गई है हालांकि डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि इस माहमारी को रोकने के लिए करोड़ों डॉलर की जरूरत पड़ेगी।
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इतिहास में इबोला ने जुलाई में दूसरी बार इतना विकराल रूप दिखाया और 1,600 लोगों की जान ले ली। यह ऐसे क्षेत्र की तरफ बढ़ रहा है जिसे युद्ध ग्रस्त क्षेत्र माना जाता है। वैश्विक स्वास्थ्य आपदा की घोषणा से अक्सर अंतरराष्ट्रीय मदद एवं ध्यान खींचा जाता है साथ ही ये चिंताएं भी होती हैं कि प्रभावित सरकारें सीमाओं को बंद न कर दें।
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#Ebola outbreak in #DRC declared a Public Health Emergency of International Concern - press release 👉https://t.co/wiaOsDeOO7 pic.twitter.com/ElR91WS98z
— World Health Organization (WHO) (@WHO) July 17, 2019
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क्या है इबोला
इबोला विषाणु रोग या इबोला हेमोराहैजिक बुखार इबोला विषाणु के कारण लगने वाला अत्यन्त संक्रामक एवं घातक रोग है। आम तौर पर इसके लक्षण वायरस के संपर्क में आने के दो दिनों से लेकर तीन सप्ताह के बीच शुरू होता है, जिसमें बुखार, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द और सिर दर्द होता है। आम तौर पर मतली, उल्टी और डायरिया होने के साथ-साथ जिगर और गुर्दाका कामकाज धीमा हो जाता है। इस स्थिति में, कुछ लोगों को खून बहने की समस्या शुरू हो जाती है।
डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एदहानोम घेब्रेयीसस ने जिनेवा में घोषणा के बाद कहा, " क्षेत्र में इसके फैलने का खतरा बहुत ज्यादा है लेकिन क्षेत्र के बाहर आशंका कम है। अंतरराष्ट्रीय आपदा को, उन लोगों को दंडित करने या कलंकित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए जिन्हें हमारी मदद की बहुत ज्यादा जरूरत है। घोषणा ज्यादा राशि जुटाने के लिए नहीं की गई है हालांकि डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि इस माहमारी को रोकने के लिए करोड़ों डॉलर की जरूरत पड़ेगी।
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