चीन-अमेरिका की लड़ाई में हो सकता है भारत के किसानों का फायदा, सोयाबीन उगाने वालों की होगी बल्ले-बल्ले

भारत में सोयाबीन का रकबा लगातार घट रहा है, किसानों के लिए इसकी खेती फायदे का सौदा नहीं रही है। अब बदले हालात में उम्मीद है कि सरकार सोयाबीन के किसानों की मुश्किलों को दूर करके उन्हें सोयाबीन उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करेगी।

Alok Singh BhadouriaAlok Singh Bhadouria   28 Jun 2018 5:37 AM GMT

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चीन-अमेरिका की लड़ाई में हो सकता है भारत के किसानों का फायदा, सोयाबीन उगाने वालों की होगी बल्ले-बल्ले

चीन ने भारत समेत एशिया-प्रशांत के कुछ देशों से आयातित वस्तुओं पर शुल्क कम करने का ऐलान किया है। इन वस्तुओं में सोयाबीन भी शामिल हैं जिस पर से आयात शुल्क एकदम हटा लिया गया है। अमेरिका और चीन के बीच छिड़े व्यापार युद्ध में चीन का फैसला बहुत अहम है जिसका लाभ भारत को मिल सकता है। वहीं, अमेरिका ने चीन के इस फैसले की आलोचना करते हुए अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ बताया है।

मंगलवार को चीन के केंद्रीयमंडल ने फैसला लिया कि भारत, बांग्लादेश, लाओस, साउथ कोरिया, श्रीलंका से आयात होने वाले सोयाबीन, केमिकल, कृषि उत्पाद, मेडिकल सप्लाई, कपड़े, स्टील, नॉनफेरस मेटल और एलपीजी पर आयात शुल्क में कटौती की जाए। सोयाबीन के मामले में यह 3 पर्सेंट से घटाकर शून्य होगी वहीं एलपीजी के मामले में यह 3 पर्सेंट से घट कर 2.1 रह जाएगी । चीन ने इस कटौती को एशिया पेसिफिक ट्रेड एग्रीमेंट के तहत किए गए समझौतों के अनुरूप बताया है।



यह कटौती 1 जुलाई से लागू होगी। यह फैसला इसलिए दिलचस्प है कि इसके ठीक पांच दिन बाद यानि 6 जुलाई से चीन ने अमेरिका से आयात होने वाली लगभग 34 बिलयन डॉलर (लगभग 23.34 खरब रुपयों) की कीमत की वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाकर 25 पर्सेंट कर दिया है। इन चीजों में सोयाबीन भी शामिल है। चीन ने यह फैसला अमेरिका के उस कदम के जवाब उठाया है जिसमें अमेरिका ने चीन से हर साल आयात होने वाली लगभग 50 बिलियन डॉलर (लगभग 34.35 अरब रुपयों) की वस्तुओं पर 25 पर्सेँट आयात शुल्क लगाया था। इसमें चीन के "मेड इन चाइना 2025 योजना" के तहत बनने वाले चीन के उत्पाद भी शामिल थे।

यह भी देखें: मध्यप्रदेश में सोयाबीन की फसल पर संकट, हरदा में किसान ने 6 एकड़ फसल जुतवाई

चीन दुनिया का सबसे बड़ा सोयाबीन आयातक देश है और वह अपनी जरूरत का अधिकांश सोयाबीन अमेरिका से ही आयात करता है। अब चीन के इस फैसले से उसे अमेरिका पर अपनी निर्भरता कम करने और सोयाबीन के दूसरे आयातक देश खोजने में मदद मिल सकती है।

दूसरी तरफ, भारत के सोयाबीन किसानों के लिए यह एक मौका साबित हो सकता है। वेबसाइट साउथ चाइन मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, पिछले साल भारत ने महज 269,275 टन सोयाबीन का निर्यात किया था। चीन ने पिछले साल अमेरिका से जितना सोयाबीन आयात किया था यह उसके 1 पर्सेंट से भी कम है।

अप्रैल में भारत-चीन के बीच हुई रणनीतिक वार्ता के दौरान नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भी इस बात पर जोर दिया था कि भारत से चीन को सोयाबीन और चीनी का निर्यात किया जाए। लेकिन इस बीच यह बात गौर करने लायक है कि देश में सोयाबीन के किसानों को मुनाफा नहीं हो रहा है इसलिए देश में लगातार सोयाबीन का रकबा घट रहा है।

किसानों में 'पीले सोने' के नाम से मशहूर सोयाबीन मध्यप्रदेश की प्रमुख नकदी फसल है और सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में इसका सामान्य रकबा 58.59 लाख हेक्टेयर है लेकिन पिछले तीन खरीफ सत्रों से देखा जा रहा है कि किसान उपज के बेहतर भावों की उम्मीद में दलहनी फसलों की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। बीते खरीफ सत्र के दौरान भावों में गिरावट के चलते किसानों को सोयाबीन की फसल सरकार के तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी नीचे बेचनी पड़ी थी। इसे भी सोयाबीन के रकबे में कमी का प्रमुख कारण समझा जा रहा है। अब बदले हालात में उम्मीद है कि सरकार सोयाबीन के किसानों की मुश्किलों को दूर करके उन्हें सोयाबीन उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करेगी।

यह भी देखें:लंबे समय से मध्य प्रदेश की पहचान रहे सोयाबीन की खेती से अब दूर हो रहे किसान

     

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