कोरोना की दूसरी लहर: गांव में हो रही मौतों को लेकर ग्रामीणों और सरकारों के आंकड़ों में अंतर क्यों है?

कोरोना की दूसरी लहर से हर दिन लोग अपनी जान गंवा रहे हैं, लेकिन इन आंकड़ों से इतर देश के गाँवों में मौत हो रही है, जो कहीं दर्ज नहीं हो रही है। गाँव में सर्दी-बुखार आने के बाद एक-दो दिन में ही लोगों की मौत हो जा रही है।

Divendra SinghDivendra Singh   10 May 2021 1:32 PM GMT

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कोरोना की दूसरी लहर: गांव में हो रही मौतों को लेकर ग्रामीणों और सरकारों के आंकड़ों में अंतर क्यों है?

गाँवों में हर दिन मौत के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन सरकारी आंकड़ों में वो शामिल नहीं हो रहे। फोटो: अरेंजमेंट

हरियाणा के रोहतक जिले के टिटौली गांव में पिछले दस दिनों में 40 लोगों की मौत हो गई। ज्यादातर लोगों को बुखार आ रहा था और कोविड जैसे दूसरे लक्षण थे।

"पिछले 10 दिनों में ही 40 मौतें हो गई हैं। आज भी (10 मई) को एक मौत हुई है। इनमें से बहुत कम लोगों की लगभग 10-12 लोगों की जांच हुई थी, हर दिन दो-तीन मौत हो रही हैं। सभी में कोरोना के लक्षण थे, कुछ ही लोग डॉक्टर के पास पहुंच पाए थे।" इसी गांव के सुरेश सिंह कनेक्शन को बताते हैं।

गांव कनेक्शन ने गांव की सरपंच प्रमिला सिंह से संपर्क करने की कोशिश थी, लेकिन बात सुरेश सिंह से हुई। भारी मन से सुरेश आगे कहते हैं, "भाई इतने लोगों की मौत होने के बाद अब डॉक्टरों की टीम आयी, यहां पर लोगों की जांच हो रही है अगर पहले यह हो जाता तो लोग क्यों मरते?"

हरियाणा की मीडिया में भी इस गांव से 40 से 50 मौतों की खबर रही है, लेकिन सरकारी आंकड़े कुछ और कह रहे हैं।

रोहतक के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ अनिल बिरला के अनुसार टिटौली गाँव में कोविड से सिर्फ पांच मौतें हुईं हैं। वो बताते हैं, "टिटौली गाँव में कोविड सिर्फ पांच मौत हुई, अगर सरपंच कह रहे हैं कि वहां 40 मौत हुई है तो मैं पता करता हूं। इतनी तो वहां पर मौतें नहीं हुई हैं, बाकी जिनकी मौत हुई है उन्हें दूसरे प्रॉब्लम थी। किसी को हार्ट की प्रॉब्लम थी, किसी को जॉन्डिस (पीलिया) की प्रॉब्लम थी।"

सरकारी आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में 9 मई तक कोविड से अब तक 5605 मौतें हुई हैं, जिसमें रोहतक में कोविड से मरने वालों की संख्या 236 है।

गांव में हो रही मौतों से दहशत सिर्फ हरियाणा में नहीं है। रोहतक से करीब 960 किलोमीटर उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले की सौरम ग्राम पंचायत में पिछले दस दिनों में 16 लोगों की मौत हो गई, इनमें सभी को सर्दी बुखार आ रहा था, किसी की जांच नहीं हुई थी।

16 मौतों के बाद प्रधान ने जिलाधिकारी को पत्र लिखा है, "महोदय, निवेदन है कि मेरी ग्राम सभा सौरम, जिला गाजीपुर में कोरोना महामारी से मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।" जिसके बाद मृतकों के नाम लिखे हैं, जिसके बाद हरकत में आई स्वास्थ्य विभाग की टीम ने वहां जांच शुरु की है।

गाजीपुर में 16 लोगों की मौत और जिलाधिकारी को पत्र लिखने के बाद आज (10 मई) को सौरम गाँव कोविड जांच शुरू हुई। फोटो: अरेंजमेंट

गांव के हालात के बारे में बात करने के लिए गांव कनेक्शन ने प्रधान सीमा जायसवाल से संपर्क किया तो उनके पति और प्रधान प्रतिनिधि मनोज कुमार जायसवाल ने फोन उठाया।

मनोज कुमार जायसवाल ने बताया, "अब हम क्या बताएं, हमारे यहां हफ्ते भर में 16 लोग मर गए, किसी की जांच नहीं हुई थी, सभी को खांसी-बुखार आया। कुछ लोग तो बुजुर्ग थे वो घर पर ही मर गए, कई लोग अस्पताल गए, वहां पर खत्म हो गए। इसलिए हमने जिलाधिकारी को लिखा, आज (10 मई) टीम आयी है और गाँव में जांच कर रही है।"

कोविड की दूसरी लहर में गांवों में मौत का सिलसिला महाराष्ट्र से लेकर राजस्थान तक में जारी है।

सात मई को 58 वर्षीय आंगनवाड़ी सहायिका मंजु देवी को बुखार आता है, पास के प्राइवेट डॉक्टर के पास से दवा लेकर आती हैं, लेकिन जब उन्हें ज्यादा दिक्कत होती है तो घर वाले पास के सरकारी अस्पताल लेकर जाते हैं, जहां पर उनका आरटी पीसीआर टेस्ट होता है, लेकिन रिपोर्ट आने से पहले ही नौ मई को उनकी मौत हो जाती है।

राजस्थान के सिरोही जिले के गुलाबगंज गाँव में पिछले 20 दिनों में मंजू देवी के अलावा 16 और भी लोगों की मौत हो गई है, इन सभी को बुखार,खांसी कोविड की तरह लक्षण थे। इनमें से किसी का भी कोरोना टेस्ट नहीं हुआ था।

मंजु देवी के भतीजे गोविंद वैष्णव (25 वर्ष) गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "7 मई को शाम को उनको बुखार आया था फिर 8 को उन्हें लेकर प्राइवेट अस्पताल भी गए थे, वहां पर डॉक्टर ने दवाई भी थी और कहा था कि अगर ज्यादा दिक्कत होती है तो सरकारी अस्पताल चले जाना, वहां पर ऑक्सीजन वगैरह मिल जाएगी। कोरोना की जांच नहीं हुई थी, लेकिन उन्होंने कहा था कि इंफेक्शन है।"

भारी मन से गोविंद आगे कहते हैं, "कल सुबह (9 मई) को उन्हें ज्यादा परेशानी हुई तो अस्पताल ले गए, अस्पताल में पहुंचे दस मिनट हुए थे, लेकिन तब तक उनकी मौत हो गई। आज सुबह जब बुआ का अंतिम संस्कार के लौटे तो पता चला कि गांव में एक और मौत हो गई है। पिछले 15-20 दिनों में हमारे गाँव में बुआ को मिलाकर 17 मौतें हो गई हैं, जिनमें से बुआ और एक लोग ही अस्पताल गए थे, बाकी लोगों का न कोरोना टेस्ट हुआ था, न ही वो अस्पताल गए थे।"

इस समय गाँवों में हर घर में लोग सर्दी-बुखार से पीड़ित हैं। फोटो: अरेंजमेंट

गोविंद के अनुसार उनके गाँव की आबादी 3000 के करीब होगी, जिसमें से बहुत से लोग दूसरे शहरों में रहते हैं, ऐसे में इतने कम दिनों में इतनी ज्यादा मौतें हुईं कि डर लगने लगा है।

लेकिन एक ही गाँव में इतनी सारी मौत पर सिरोही के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश कुमार कहते हैं, "अभी तक सिरोही में 79 डेथ हुई हैं, गाँव में आजकल जो नेचुरल डेथ (प्राकृतिक मौतें) भी हो रही है, उसे भी लोग कोरोना मान ले रहे हैं, बूढ़े लोगों की डेथ को भी कोरोना मान ले रहे हैं। हमारे यहां जो कोविड पॉजिटिव हैं उन्हीं का आंकड़ा है, दस मई तक 79 डेथ हुई।"

देश में 10 मई तक कोरोना संक्रमण से 2,46,116 मौतें हुई हैं, जबकि राजस्थान में 5665 मौतें हुई हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में 9 मई तक 15464 लोगों को मौत कोविड से हुई है, जिसमें अधिक मौतें, लखनऊ, कानपुर नगर, प्रयागराज और गोरखपुर में हुई हैं। कोविड की दूसरी लहर में मौत के लगातार खबरों के बीच समस्या ये है कि ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर लोग जांच कराने या फिर इन मौतों को कोरोना मानने को तैयार नहीं है।

राजस्थान के सिरोही जिले से लगभग 1,331 किमी दूर उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के कनकपूरा गाँव की भी ऐसी ही स्थिति है। पिछले 10-12 दिनों में यहां पर नौ मौतें हो गईं, न किसी का कोरोना टेस्ट हुआ था और न ही किसी का इलाज हो पाया।

कनकपूरा गाँव के अवनीश कुमार (22 वर्ष) के घर में पिछले दस दिनों में दो मौतें हो गई हैं, 1 मई को इनकी मां (56 वर्ष) की मौत हुई और इसके बाद 9 मई को बड़ी मम्मी (60 वर्ष) की मौत हो गई, दोनों लोगों में कोरोना के लक्षण थे और उनका टेस्ट नहीं हुआ था।

अवनीश कुमार बताते हैं, "एक तारीख को मेरी माता जी का देहांत हो गया, उन्हें बुखार आ रहा था, उन्हें देवरिया लेकर जा रहे थे, अचानक रास्ते में उनकी सांस फूलने लगी, तभी रास्ते में उनकी डेथ हो, उन्हें नहीं बचा पाए। इससे पहले गाँव में तीन लोगों की डेथ हो चुकी थी, सभी में कोविड के लक्षण थे।"

कई गाँवों में लोगों की मौत के बाद कोई नहीं आया। फोटो: अरेंजमेंट

वो आगे कहते हैं, "उससे पहले हमने शाम को ऑक्सीजन के लिए काफी कोशिश की थी, देवरिया और गोरखपुर तक गए, गोरखपुर में ऑक्सीजन सिलिंडर का 40 हजार मांग रहे थे, वहां भी गए लेकिन सिलेंडर नहीं मिला और मम्मी की डेथ हो गई।"

उनकी मम्मी, बड़ी मम्मी का कोविड टेस्ट हुआ था कि नहीं? इस सवाल पर अवनीश कहते हैं, "टेस्ट नहीं करा पाए थे, अस्पताल दिखाने ले गए थे तो डॉक्टर ने कहा था कि कोविड के लक्षण हैं दवा लीजिए घर में ठीक हो जाएंगी। मम्मी और बड़ी मम्मी के साथ गाँव में नौ मौत हो गईं है, किसी का भी कोरोना टेस्ट नहीं हुआ था, सभी में कोरोना के लक्षण थे। खांसी, बुखार, एक लोग का तो भयंकर सिर दर्द कर रहा था।"

अवनीश के अनुसार उनके गाँव में हर घर के दो-तीन लोगों को बुखार आ रहा है। वो कहते हैं, "गाँव के हर घर में लोगों को बुखार है, लेकिन फिर भी इतनी मौत के बाद गाँव में श्राद्ध तेरहवीं हो रही है, मैंने अपने घर में इसका विरोध किया तो मेरे यहां मान गए हैं, लेकिन गाँव में अभी लोग इकट्ठा हो रहे हैं। लोगों में डर तो है, लेकिन ये सब भी लोग कर रहे हैं।"

एक ही गाँव में नौ मौतों पर गोरखपुर मंडल के मंडलायुक्त जयंत नार्लिकर कहते हैं, "ऐसा हमारी जानकारी में नहीं आया है, डिटेल भेज दीजिए जिलाधिकारी से पता करते हैं।"

गांव कनेक्शन ने ज्यादा जानकारी के लिए देवरिया जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई, मुख्य चिकित्सा अधिकारी और जिलाधिकारी कार्यालय में फोन करने पर बताया गया कि सभी मुख्यमंत्री के साथ मीटिंग में हैं।

देवरिया के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार 10 मई तक देवरिया जिले में कुल 145 की मौत कोविड संक्रमण से हुई हैं। इनमें वही मौतें शामिल हैं जो अस्पताल में हुई हैं।


पिछले साल कोरोना बड़े शहरों तक सीमित था, कस्बों और गांवों के बीच कहीं-कहीं बीमार होने की खबरें आती थी, लेकिन इस बार कई राज्यों में गांव के गांव बीमार पड़े हैं, लोगों की जानें जा रही हैं, हालांकि इनमें से ज्यादातर मौतें आंकड़ों में दर्ज नहीं हो रही हैं, क्योंकि टेस्टिंग नहीं हो रही या फिर लोग करा नहीं रहे।

मुंबई में रहने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ता और जनस्वास्थ्य अभियान से जुड़े रवि दुग्गल फोन पर गांव कनेक्शन को बताते हैं, "कोरोना जो डाटा है वो ज्यादातर शहरों का ही होता है। गांव में तो पब्लिक हेल्थ सिस्टम बदतर है। जांच टेस्टिंग की सुविधाएं नहीं हैं। लोगों की मौत हो भी रही है तो पता नहीं चल रहा, दर्ज नहीं हो रही कहीं। अगर ग्रामीण भारत में सही से जांच हो, आंकड़े दर्ज किए जाएं तो ये नंबर कहीं ज्यादा होगा।"

देश के ज्यादातर राज्यों में यही हालात हैं, महाराष्ट्र के लातूर जिले के उदगीर तालुका के गौस शेख एक मई तक 152 लोगों का अंतिम संस्कार कर चुके थे, जिनमें से कम से कम 50 लोग गांव से थे।

गौस शेख कहते हैं, " पिछले साल मुश्किल से किसी गांव से किसी व्यक्ति की मौत की खबर आती थी। लेकिन इस बार हालात बहुत बुरे हैं। मैं आसपास के 50 किलोमीटर के गांवों में काम करता हूं। आए दिन किसी का अंतिम संस्कार करता हूं, गांवों में ज्यादातर घरों में कोई न कोई बीमार है।"

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