पानी को तरसती दिल्ली, कई कॉलोनियों में लग रही हैं लंबी-लंबी कतारें, आप और बीजेपी में ठनी

तपती गर्मी से बेखबर दिल्ली में सैकड़ों लोग जल बोर्ड के टैंकर से पीने का पानी लेने के लिए कतारों में खड़े होते हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर लोग अपनी खाली बाल्टियों के साथ ही घर लौट आते हैं। भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई ने सोमवार 12 जुलाई को विरोध प्रदर्शन किया। दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) समस्या के लिए पड़ोसी राज्य हरियाणा को जिम्मेदार ठहराता है।

Amit PandeyAmit Pandey   13 July 2021 12:00 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
पानी को तरसती दिल्ली, कई कॉलोनियों में लग रही हैं लंबी-लंबी कतारें, आप और बीजेपी में ठनी

मानसून में देरी की वजह से दिल्लीवासियों को पानी के लिए जूझना पड़ रहा। (सभी तस्वीरें- अमित पांडेय)

नई दिल्ली। हाथों में रंग बिरंगी बाल्टियां, बर्तन और भगौने लिए लंबी-लंबी कतारों में लगे लोग अपनी बारी का इंतजार करते हैं कि उन्हें भी दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के टैंकर से पानी मिलेगा। लाइन लगातार लंबी होती जा रही है और आगे नहीं बढ़ रही। कुसुम उम्मीद खोती जा रही हैं। 36 साल की कुसुम ने रिक्शा किराए पर लिया है, जिसमें रखे उनके खाली बर्तन भरे जाने का इंतजार कर रहे हैं।

निराश होकर कुसुम कहती हैं, "मैं चार घंटे से इंतजार कर रही हूं लेकिन अभी तक पानी नहीं मिला है। मेरे परिवार में पांच लोग हैं जिन्हें कम से कम से पांच से दस लीटर पीने का पानी चाहिए।"

पास ही में 42 साल के रमेश अपनी साइकिल पर दो कैन लिए खड़े हैं। अपनी बेबसी जताते हुए उन्होंने गांव कनेक्शन को बताया, "हमेशा ऐसा ही होता है। मैं इतनी भीड़ में पानी नहीं भर सकता।" इतना कहकर वह निकल जाते हैं। उनके खाली कैन साइकिल से टकरा रहे हैं।

दिल्ली की चिलचिलाती गर्मी में कुसुम, रमेश और उनके जैसे सैकड़ों लोगों ने पूर्वी दिल्ली के करावल नगर इलाके में पानी का इतंजार किया। इनमें से ज्यादातर लोग भगत सिंह कॉलोनी के निवासी थे, जबकि कुछ लोग पास ही के सोनिया विहार से यहां अपनी किस्मत आजमाने आए थे।

दिल्ली में पानी की मांग 126 करोड़ गैलन प्रतिदिन है जबकि आपूति सिर्फ 93.7 करोड़ गैलन प्रतिदिन होती है

12 जुलाई तक दिल्ली में मानसून नहीं आया। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में मानसून आने की सामान्य तारीख 28 जून थी। यह कहा गया कि 18 साल में पहली बार दिल्ली में मानसून को आने में देरी हुई। बढ़ती गर्मी और उमस के कारण पानी की समस्या बढ़ रही है और लोग पानी भरने के लिए इधर उधर भटक रहे हैं।

इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की दिल्ली ईकाई ने दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री और दिल्ली जल बोर्ड के चेयरमैन सत्येंद्र कुमार जैन के निवास पर विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन राजधानी में जल संकट को लेकर था। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारें इस्तेमाल की गईं।

दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्त ने दावा किया कि राजधानी में सौ ज्यादा जगहें साफ पानी की किल्लत झेल रही हैं। उन्होंने ट्वीट में कहा कि इन सभी जगहों पर विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।

तेज गर्मी और सूखे गले

राहुल सिंह भगत सिंह कॉलोनी में रहते हैं। उन्होंने करावल नगर में पानी के लिए दो घंटे से ज्यादा इंतजार किया। उन्होंने गांव कनेक्शन को बताया, "अगर मुझे यहां से पानी नहीं मिला तो मेरे परिवार को या तो हैंडपंप से निकलने वाला खारा पानी पीना होगा या फिर पानी खरीदना होगा।" 20 साल के राहुल कॉलेज में पढ़ते हैं और यहां आने के लिए उन्होंने अपनी ऑनलाइन क्लास छोड़ी है। लंबे इंतजार के बाद वह अपने दो बर्तनों में से सिर्फ एक को भर पाए।

मांग का 25 प्रतिशत हिस्सा (यानी 32.3 करोड़ गैलन प्रतिदिन पानी ) नहीं मिल रहा है।

रोबीना इतनी खुशकिस्मत नहीं रहीं। उन्हें एक बूंद भी पानी नहीं मिला। वह नाराज होकर कहती हैं, "दिल्ली जल बोर्ड का टैंकर दिन में एक बार करावल नगर आता है। सरकार हमसे दूरी बनाकर रखने को कहती रहती है। यहां हम कैसे दूरी बनाकर रख सकते हैं।"

जैसे ही वह पानी की तलाश में किसी दूसरी जगह जाने के बारे में सोचती है, तभी उनके पति गर्मी से बेहाल और प्यासे काम से लौट आते हैं। वह कहती हैं कि उनका परिवार करावल नगर से जा रहा है और किसी ऐसी जगह पर रहेगा जहां पानी की ऐसी समस्या ना हो।

ऐसी स्थिति सिर्फ करावल नगर में नहीं है। राजधानी में बहुत सी जगहों पर लोग पानी का संकट झेल रहे हैं। और मॉनसून आने में हुई देरी ने आग में घी डालने का काम किया है।

दिल्ली में पानी की मांग

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में फेलो रूमी ऐजाज ने एक शोध पत्र लिखा है जिसका शीर्षक है: "दिल्ली में पानी की मांग और आपूर्ति के अंतर को पाटना: बारिश के पानी के संग्रहण की संभावनाएं"। इसके अनुसार दिल्ली में पानी की मांग 126 करोड़ गैलन प्रतिदिन है जबकि आपूति सिर्फ 93.7 करोड़ गैलन प्रतिदिन होती है। इसका मतलब है कि मांग का 25 प्रतिशत हिस्सा (यानी 32.3 करोड़ गैलन प्रतिदिन पानी ) नहीं मिल रहा है। असल में 17 प्रतिशत घरों में पाइपलाइन के जरिए पहुंचने वाले पानी की सुविधा नहीं है और 13 प्रतिशत अनाधिकृत कालोनियां किसी पाइपलाइन नेटवर्क से नहीं जुड़ी हैं।

शोध पत्र कहता है, "पानी की सुविधा ना होने की वजह से दिल्ली की आबादी के बड़े हिस्से को बहुत परेशानियां होती हैं, जैसे कि साफ सफाई, घरेलू कामकाज और बागवानी के साथ साथ निर्माण, सिंचाई और उद्योग से जुड़े कामों पर बुरा असर पड़ता है।"

शोध पत्र आगे कहता है कि दिल्ली में धरातल पर मौजूद जल संसाधन (जैसे कि नदियां, झीलें और नहरें) सीमित हैं और यह कच्चे पानी की अपनी जरूरतों के 50 फीसदी हिस्से को पूरा करने के लिए पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है।

जल बोर्ड दिल्ली के अलग अलग क्षेत्रों में पानी की किल्लत वाले इलाकों में 800 टैंकरों के माध्यम से पीने के पानी की आपूर्ति करता है

दिल्ली जल बोर्ड की वेबसाइट के अनुसार, जल बोर्ड दिल्ली के अलग अलग क्षेत्रों में पानी की किल्लत वाले इलाकों में 800 टैंकरों के माध्यम से पीने के पानी की आपूर्ति करता है। ये ऐसे इलाके हैं जो पाइपलाइन से मिलने वाले पानी के नेटवर्क से नहीं जुड़े हैं। लेकिन साफ तौर पर यह पर्याप्त नहीं है।

करावल नगर में पानी भरने आए वाल्मिकी प्रसाद कहते हैं, "आदमी खाने के बिना रह सकता है लेकिन पानी तो जीने के लिए बहुत जरूरी है। जैसे तैसे मैं अपनी तीन कैन भर पाया। अब मुझे दो दिनों तक कोई चिंता करने की जरूरत नही है।" इसी के साथ वह राहत की सांस लेते हैं।

सैकडों अनियोजित कालोनियां, झुग्गी बस्तियां और गांव पानी का संकट झेल रहे हैं क्योंकि वे ना तो सही तरीके से पानी की पाइपलाइनों से जुड़े हैं और ना ही वहां सीवेज की लाइनें हैं। लेकिन इस साल जनवरी में, दिल्ली हाई कोर्ट ने घोषणा की थी कि सिर्फ इस आधार पर किसी बस्ती या कॉलोनी को पीने के पानी से वंचित नहीं रखा जा सकता कि वह अनाधिकृत है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पीने के पानी का अधिकार जीवन का बुनियादी अधिकार है और अनुच्छेद 21 के तहत अपने नागरिकों को पीने का साफ पानी मुहैया कराना राज्य का कर्तत्व है। अदालत ने 53 रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही।

पड़ोसी राज्य पानी नहीं दे रहे: दिल्ली जल बोर्ड

दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा के अनुसार हरियाणा सरकार ने दिल्ली को होने वाली पानी की आपूर्ति घटा दी है जिससे तीन जल शोधक संयंत्रों में आने वाला पानी घट गया है। इन प्लांटों में हरियाणा से ही पानी आता है।

पानी की मात्रा 24.5 करोड़ गैलन प्रतिदिन से घटाकर 15.4 करोड़ गैलन प्रतिदिन कर दी गई। राघव चड्ढा ने ट्वीट किया कि इस संकट को सुलझाने के लिए दिल्ली जल बोर्ड सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा ताकि दिल्ली को उसके हिस्से का जरूरी पानी मिल सके।

इस खबर को अंग्रेजी में यहां पढ़ें-

अनुवाद- संघप्रिया मौर्य

#watercrisis #Delhi #story 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.