Haridwar Maha Kumbh 2021: कोरोना पर भारी पड़ता आस्था का महापर्व महाकुम्भ

मेला प्रशासन के अनुसार अकेले महाशिवरात्रि के अवसर पर पहले शाही स्नान के लिए 32 लाख 87 हजार लोगों ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई।

Deepak RawatDeepak Rawat   5 April 2021 12:21 PM GMT

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उत्तराखंड में तमाम सियासी उठापटक और देश भर में दोबारा बढ़ती कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच हिंदुस्तान के सबसे बड़े धार्मिक महापर्व महाकुंभ की शुरुआत हरिद्वार में अप्रैल माह की पहली तारीख से हो चुकी है। जिसमें देशभर से साधु संत सहित श्रद्धालु भारी संख्या में पहुंचकर गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं।

कोरोना महामारी के चलते छोटा हुआ महाकुम्भ का स्वरुप

श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने हरिद्वार महाकुम्भ की अवधि को छोटा किए जाने कहा कि कोरोना के दृष्टिगत सरकार की ओर से कुंभ की अवधि को छोटा किया गया है, लेकिन छोटे समय में भी कुंभ का स्वरूप भव्य और दिव्य बनाने प्रयास किया जा रहा है।

साथ ही सभी श्रद्धालुओं और जनता से अपील करते हुए अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि सभी लोग सरकार द्वारा निर्धारित दिशा निर्देशों का पालन करते हुए सुव्यवस्थित तरीके से कुंभ मेले को सकुशल संपन्न कराने में अपना सहयोग प्रदान करें।

हर 12 वर्षों में होने वाला हरिद्वार महाकुम्भ मेला इस वर्ष सरकार ने बढ़ती महामारी के दृष्टिगत जनवरी से अप्रैल में चार महीनों तक चलने वाले महाकुम्भ को छोटा स्वरुप देकर महज़ अप्रैल माह के लिए निर्धारित कर दिया है। जो कि एक अप्रैल से होकर 27 अप्रैल तक संपन्न हो जाएगा।

क्यों लगता हैं महाकुम्भ

जूना अखाड़ा महामंडलेश्वर स्वामी वीरेंद्रानंद महाराज ने महाकुम्भ की विशेषता और महत्व पर चर्चा करते हुए गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "पौराणिक काल में जब देवताओं और राक्षसों ने समुद्र मंथन शुरू किया तब उसके परिणामस्वरुप कई रत्नों के साथ अमृत कलश भी निकला। हर कोई उस अमृत को पाकर अमरत्व की प्राप्ति करना चाहता था। इस कारण से उस अमृत कलश के लिए देवताओं और असुरों में 12 दिनों तक युद्ध चला। वे 12 दिन पृथ्वी के ​12 वर्षों के बराबर समान होते हैं. जिस कारण कुंभ हर 12 वर्ष पर एक बार एक स्थान पर लगता है और हर 3 वर्ष पर स्थान बदलता है।

फोटो: हरिद्वार महाकुंभ ट्वीटर

वो आगे कहते हैं, "अमृत कलश की छीना-झपटी में अमृत की कुछ बूंदे पृथ्वी पर प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन की पवित्र नदियों में गिर गईं। उस अमृत के प्रभाव और पुण्य की प्राप्ति हेतु इन चारों स्थानों पर क्रमश: हर 12 वर्ष में एक बार कुंभ मेले का आयोजन होने लगा। इन स्थानों पर प्रत्येक 3 वर्ष के अंतराल पर एक बार कुंभ अवश्य लगता है।"

11 वर्षों में क्यों हो रहा इस वर्ष महाकुम्भ

83 वर्षों बाद पहली बार इतिहास में 12 वर्षों की जगह इस वर्ष 11 वर्ष में ही सम्पन्न हो रहे महाकुम्भ की विशेषता विस्तार से बताते हुए स्वामी वीरेंद्रानंद महाराज ने बताया, "क्योंकि इस वर्ष ग्रह-गोचर चल रहे हैं। जब कुंभ राशि का गुरु आर्य के सूर्य में परिवर्तित होता है। अर्थात गुरु, कुंभ राशि में नहीं होंगे। इसलिए इस वर्ष 11वें साल में ही कुंभ का आयोजन हो रहा है। 83 वर्षों की लंबी अवधि के बाद, इस वर्ष यह पहला अवसर आ रहा है जबकि इससे पहले, इस तरह की घटना वर्ष 1760, 1885 और 1938 में हुई थी।"

पहली बार हरिद्वार कुंभ में शामिल हुआ किन्नर अखाड़ा

हरिद्वार महाकुम्भ में पहली बार एक अनोखा नज़ारा देखने को मिला जब अखाड़ों के बीच तमाम अंतरर्विरोधों से गुज़रते हुए सर्वसहमति से पहली बार हरिद्वार महाकुम्भ में शामिल किया गया किन्नर अखाड़ा

श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा और किन्नर अखाड़े की एक साथ भव्य पेशवाई निकाली गई, जिसमें किन्नर अखाड़ा सभी के बीच आकर्षण का मुख्य केंद्र बना रहा। किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बताया कि लैंगिक भेदभाव किन्नरों से अच्छा कोई नहीं जानता है। वह समाज के तानों को झेलता है, किन्नर समाज आज भी समाज की उपेक्षित हैं। लोग उन पर कटाक्ष करते हैं, इसकी परवाह किए बगैर किन्नर समाज आगे बढ़ रहा है। साथ ही बताया कि सनातन दुनिया का सबसे मॉडर्न धर्म है। स्वयं महादेव लिंग समानता की बात करते हैं। चारों वेदों में नारी की प्रशंसा की गई है। हमारे ग्रंथ हमें जीने की शिक्षा देते हैं।"

फोटो: उत्तराखंड पुलिस ट्वीटर

किन्नर अखाड़ा 2015 में अस्तित्व में आया है, जिसमें 2016 में लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को अखाड़े का आचार्य महामंडलेश्वर बनाया गया। हालांकि अब तक अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने किन्नर अखाड़ा को मान्यता नहीं दी है। परिषद अब तक कुल 13 अखाड़ा ही मान्यता प्राप्त है, जिनमे सभी साधू सन्यासी पंजीकृत है। जिस कारण परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरिजी महाराज के तत्वाधान में किन्नर अखाड़ा को जूना अखाड़ा के साथ शामिल और पेशवाई निकालने पर आम सहमति बनी है।

सुरक्षा के मद्देनज़र चाक चौबंद हुआ हरिद्वार महाकुम्भ

सफल और सुरक्षित महाकुम्भ बनाने के मद्देनज़र विगत 28 मार्च को उत्तराखंड डीजीपी अशोक कुमार की अध्यक्षता में दस हज़ार अर्धसैनिक बल सहित पुलिस जवानो को हरिद्वार महाकुम्भ के दौरान अपनी ज़िम्मेदारी ड्यूटी को ईमानदारी और सत्यनिष्ठा से निभाने की कसम हर की पौड़ी स्थित गंगा घाट पर दिलवाई गई।

जबकि डीजीपी उत्तराखंड के अनुसार बीस हज़ार जवान कुंभ सुरक्षा में शामिल हैं, जिसमें सीमा सश्त्र बल, आईटीबीपी, बीएसएफ सहित पुलिस के सभी जवान तैनात रहे। इसके अलावा एनएसजी कमांडोज़, तीन बॉम्ब डिस्पोज़ल स्क्वाड, आतंकी गतिरोधी टीम, सीआरपीएफ दंगा रोधी टीम सहित उत्तरप्रदेश की दस पीएसी और उत्तराखंड के चार दस्तों को शामिल किया गया है।

आईजी महाकुम्भ संजय गुंज्याल ने कुंभ सुरक्षा पर बात करते हुए बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से हरिद्वार महाकुम्भ को ज़मीन से लेकर आसमान तक चाक चौबंध किया हुआ है। जिसमें सौ से ज़्यादा ड्रोन्स भीड़ की निगरानी कर रहे हैं तो वही 1500 से ज़्यादा सीसीटीवी कैमराज़ भी कुम्भ की हर वक़्त मॉनिटरिंग कर रहे हैं।

नैनीताल हाईकोर्ट की सख्ती

नैनीताल हाईकोर्ट ने अपना सख्त रुख दिखाते हुए फैसला दिया कि बढ़ते कोरोना मामलो के मद्देनज़र हरिद्वार कुंभ में आने के लिए अब 72 घंटे पहले की कोविड नेगेटिव रिपोर्ट लानी जरूरी होगी या फिर वैक्सीनेशन प्रमाण पत्र लाना अनिवार्य होगा।

आईजी कुम्भ मेला संजय गुंज्याल ने गांव कन्नेक्शन से बताया कि कुम्भ को सुरक्षित और कोरोना से बचाव के लिए हरिद्वार में आने वाले सभी सातों बॉर्डर्स पर अर्धसैनिक बल, पुलिस जवान सहित हेल्थ वर्कर्स को जारी एसओपी के तहत तैनात किया गया है. जहां पर बाहरी राज्यों से आने वाले नागरिको का रैपिड टेस्ट किया जा रहा या जो पहले से ही आरटी पीसीआर रिपोर्ट 72 घंटे की पहले की ला रहे है, उनकी रिपोर्ट चेक की जा रही है।

गांव कन्नेक्शन की टीम जब रेलवे स्टेशन पहुंची तो पाया की सभी यात्रियों की आरटी पीसीआर रिपोर्ट देखी जा रही थी, साथ ही जिनके पास रिपोर्ट उपलब्ध नहीं थी, उनका रैपिड टेस्ट रेलवे स्टेशन के बाहर ही मौजूद हेल्थकेयर वर्कर्स द्वारा लिया जा रहा था।

स्टेशन के बाहर मौजूद एक होमगार्ड ने नाम न बताने की शर्त पर रिपोर्ट दिखाते हुए बताया कि एक दिन में लगभग दस हज़ार से ज़्यादा स्थानीय और बाहरी नागरिक रोज़ाना तीर्थनगरी हरिद्वार रेल माध्यम से पहुंच रहे हैं। जिनमें लगभग आधे से ज़्यादा लोग आरटी पीसीआर रिपोर्ट लेकर आ रहे हैं, जिनमें रिपोर्ट की अनुप्लबधता के कारण रोज़ाना करीब चार से पांच हज़ार नागरिकों का स्टेशन के बाहर रैपिड टेस्ट किया जा रहा है, जिनमें से रोज़ाना महाकुम्भ के शुरूआती दिनों से औसतन महज़ चार या पांच संक्रमित व्यक्ति निकल रहे हैं।

एक दिन में हों 50 हजार कोरोना जांच: नैनीताल हाईकोर्ट

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक अप्रैल यानि गुरुवार से शुरू हुए हरिद्वार महाकुंभ को लेकर कोरोना जांच संबंधी निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने अहम फैसला सुनाते हुए प्रदेश सरकार को कुंभ मेला क्षेत्र में रोजाना 50 हजार कोविड जांचें कराने के दिशानिर्देश दिए. साथ ही संबंधित रिपोर्ट को नियमित रूप से सरकारी वेबसाइट पर भी अपलोड करने के निर्देश दिए। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने दो सप्ताह बाद की तिथि निर्धारित की है। बुधवार को क्वारंटाइन सेंटरों की बदहाल व्यवस्थाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कुंभ मेला क्षेत्र में कोविड जांच की संख्या बढ़ाकर रोजाना 50 हजार करने के निर्देश दिये।

उत्तराखंड स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी कोविड रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में अब तक एक लाख 2 हज़ार से अधिक कोरोना मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें कल यानि चार अप्रैल को 550 नए मामले दर्ज किए गए, तो वहीं प्रदेश में अब तक 3017 एक्टिव केसेस हैं। अकेले हरिद्वार में जहां महाकुम्भ का भव्य आयोजन हो रहा है, वहां पिछले 24 घंटों में 173 नए मामले दर्ज किए गए जबकि हरिद्वार में अभी तक सबसे ज़्यादा राजधानी देहरादून के बाद 837 एक्टिव केसेज़ मौजूद हैं।

हरिद्वार महाकुम्भ के शाही स्नान की तिथियां

पहला शाही स्नान: 11 मार्च, दिन गुरुवार, महाशिवरात्रि के दिन

दूसरा शाही स्नान: 12 अप्रैल, दिन सोमवार, सोमवती अमावस्या के दिन

तीसरा मुख्य शाही स्नान: 14 अप्रैल, दिन बुधवार, मेष संक्रांति के दिन

चौथा शाही स्नान: 27 अप्रैल, दिन मंगलवार, बैसाख पूर्णिमा के दिन

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