कोटेदार की बुरी छवि को तोड़ राजीव ने गांव वालों के दिल में बनाई खास जगह
कोविड की दूसरी लहर ने गांवों को भी नहीं बख्शा है। लॉकडाउन के दौर में लोगों के पास काम नहीं है। ऐसे में शाहजहांपुर (यूपी) के छकरपुर गांव के कोटेदार राजीव अपनी जिम्मेदारी के प्रति लगन के चलते लोकप्रिय हो गए हैं।
Ramji Mishra 26 May 2021 1:23 PM GMT
छकरपुर (शाहजहांपुर) उत्तर प्रदेश। आपदा के समय में और निश्चित रूप से कोविड-19 महामारी में गांव में कोटेदार की भूमिका और जिम्मेदारी कई गुना बढ़ जाती है। राशन बांटना कोई आसान काम नहीं है, क्योंकि आमतौर पर कोटेदारों को अक्सर बदनाम किया जाता रहा है। ऐसे में लोगों के दिमाग में उसकी छवि किसी खलनायक से कम नहीं होती, लेकिन राजधानी लखनऊ से करीब 200 किलोमीटर दूर छकरपुर (शाहजहांपुर) के निवासी और सरकारी राशन की दुकान चलाने वाले (कोटेदार) राजीव सिंह अपने गांव के लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं।
रोजाना सुबह 6 बजे राजीव सरकारी राशन की दुकान खोल देते हैं। कोविड प्रोटेकोल का पालन करते हुए राजीव सैनिटाइजर और मास्क से लैस रहते हैं। इतना ही नहीं लोगों को भी वह सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ पढ़ाते हुए एक कतार में दूर-दूर खड़ा रहने को कहते हैं. जिसका गांव वाले भी पालन करते हैं। इसके बाद शुरू होता है सरकार के सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन देने का सिलसिला, जो रात 9 बजे तक चलता है।
राजीव, सरकार की ओर से तट किए गए कोटे के अनुसार राशन वितरित करते हैं। जिसके तहत गेहूं और चावल दिया जाता है। महामारी और लॉकडाउन के इस दौर में वह छकरपुर गाँव के लोगों और सरकार की कल्याणकारी राशन योजनाओं के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी है।
पिछले साल (2020) जब 25 मार्च को पहले देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई थी, तब केंद्र सरकार ने नवंबर 2020 (आठ महीने तक) तक अतिरिक्त राशन की मंजूरी दी थी। इस साल भी केंद्र और राज्य सरकार की ओर से रोजगार खो चुके लोगों की मदद करने के लिए अतिरिक्त मुफ्त खाद्यान्न (गेहूं या चावल) देने की मंजूरी दी गई है।
कभी-कभी 16 घंटे तक करना पड़ जाता है काम
हर सुबह कोटेदार राजीव भोर में उठते हैं। अपनी दो भैंसों को चारा-पानी देने के बाद एक कप चाय पीकर अपनी राशन की दुकान का शटर खोलते हैं। महामारी के कारण सरकार ने दुकान का समय बढ़ा दिया गया है. जो अब सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक है।
38 साल के राजीव सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताते हैं, "कभी-कभी दिन में 16 घंटे भी दुकान खोलना कम पड़ता है। बहुत से लोग जिन्हें सुबह 6 बजे से पहले गांव छोड़ना पड़ता है और रात को नौ बजे के बाद लौटते हैं, वे राशन लेने से चूक जाते हैं। हम इसे समझते हैं और ऐसे लोगों को समय के बाद भी राशन देते हैं।"
उनकी दुकान पर एक दिन में करीब 50-60 लोग राशन लेने पहुंचते हैं। कई बार लोग तय समय (सुबह 6 से रात 9) से पहले या बाद में आते हैं, क्योंकि वे काम करते हैं। ऐसे में वह उन्हें राशन दे देते हैं। 10 साल से दुकान का प्रबंधन करने वाले कोटेदार राजीव ने कहा, "अगर बहुत जरूरी होता है तो मैं उन्हें अपने घर से गेहूं या चावल देता हूं और अगली सुबह उन्हें अपना राशन लेने के लिए कहता हूं।"
पूर्व कोटेदार धरम सिंह के पास राजीव सिंह के लिए अच्छे शब्दों के अलावा कुछ नहीं थे। उन्होंने गांव कनेक्शन को बताया, "वह एक ईमानदार आदमी है। वह राशन के वितरण को सुनिश्चित करने के लिए पूरी लगन से काम करते हैं और मुझे पता है कि अक्सर वह उन लोगों को राशन देता है, जिनके पास पैसे नहीं होते हैं। उसके पास जब होता है तो वे उसका पैसा दे जाते हैं। "
राजीव सिंह ने कहा, "लोगों का काम-धंधा चला गया है और जब हम अपने गांव के पुरुषों और महिलाओं को राशन वितरित करते हैं, तो यह जानकर अच्छा लगता है कि वे कम से कम कुछ समय के लिए भूखे नहीं रहेंगे।"
राजीव के 32 वर्षीय भाई सुनील कुमार ने गांव कनेक्शन को बताया, 'लॉकडाउन में एक कोटेदार की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि कोई भी हमारे दरवाजे से खाली हाथ न जाए।"
महामारी में राशन वितरण की व्यवस्था
छकरपुर में लगभग 1,700 निवासी हैं। इनमें से 401 राशन कार्ड धारक हैं। 23 अंत्योदय राशन कार्ड लाभार्थी और 378 अन्य राशन कार्ड धारक हैं। इस महीने 20 मई से 25 मई के बीच राजीव सिंह ने 2,566 किलोग्राम चावल और 3,849 किलोग्राम गेहूं मुफ्त राशन के रूप में बांटा है। 401 राशन कार्ड धारकों में से 316 ने पहले ही अपना राशन ले लिया है।
शाहजहांपुर के जिला आपूर्ति अधिकारी ओम हरि उपाध्याय ने गांव कनेक्शन को बताया, "एक कोटेदार को 70 रुपये प्रति क्विंटल (100 किलो) अनाज का कमीशन मिलता है।"
उपाध्याय ने साफ किया, "प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त राशन का वितरण जारी रहेगा। आगे की कार्रवाई स्थिति पर निर्भर करेगी।"
कई बार कोई राशन लेने नहीं आता है तो राजीव उनको फोन करके या घर जाकर उन्हें राशन लेने की याद दिलाते हैं। उन्होंने कहा, "कई बार किसी कारण से लोग राशन लेने में असमर्थ होते हैं तो हम उन्हें राशन भी देते हैं।
यही वजह है कि छकरपुर के सभी ग्रामीण अपने कोटेदार की तारीफ करते हैं। गांव की रहने वाली दानिता ने गांव कनेक्शन को बताया, "अगर गांव में मुफ्त राशन नहीं मिलता तो कई गरीब लोगों को भूखा सोना पड़ता। कई मजदूर हैं, जिनके पास अभी कोई काम नहीं है, उन्हें काफी परेशानी हो जाती।"
इस बीच मई की तपती दोपहर में पास के एक मंदिर में रामचरितमानस का पाठ चल रहा था और दुकान पर लोग भी नहीं थे। ऐसे में राजीव को दोपहर का खाना खाने का वक्त मिल गया। इस दौरान उन्होंने कहा, "हर किसी को भूख लगती है। यह सुनिश्चित करना मेरी जिम्मेदारी है कि कोई रात को बिना खाना खाए न सोए।"
#PDS ration shop COVID19 Corona crisis #story #video
More Stories