गुजरात: इन गांवों के लोगों ने लिया स्वैच्छिक लॉकडाउन का फैसला, नियम तोड़ने पर जुर्माने का भी प्रावधान

देश में कोरोना के मामले दिन ब दिन बढ़ते जा रहे हैं। इसे देखते हुए गुजरात के कुछ गांवों ने स्वैच्छिक लॉकडाउन के फैसला लिया है। इसके लिए बाकायदा गाइडलाइंस भी जारी की गई हैं। नियम तोड़ने पर जुर्माने का भी प्रावधान है।

Ankit RathoreAnkit Rathore   13 April 2021 5:30 AM GMT

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गुजरात: इन गांवों के लोगों ने लिया स्वैच्छिक लॉकडाउन का फैसला, नियम तोड़ने पर जुर्माने का भी प्रावधानये तस्वीर आणंद जिले के चांगा गांव की हैं। गांव के लोगों ने खुद से लॉकडाउन लगाने का फैसला लिया है। (तस्वीरें- अंकित राठौर)

जामनगर (गुजरात)। कोरोना संक्रमण की रफ्तार की चपेट में आने वाले लोगों की संख्या में हर रोज बढ़ोतरी हो रही है। सरकार की ओर से नाइट कर्फ्यू लगाया, वैक्सीन लगाने और कोविड टेस्ट कराने की रफ्तार को बढ़ाया गया हैं। लेकिन गुजरात राज्य के कुछ ऐसे गांव है, जिन्होंने कोरोना के संक्रमण को अपने गांव में बेअसर करने के लिए स्वैच्छिक लॉकडाउन करने का निर्णय लिया है। वैसे गुजरात के लगभग 20 बड़े शहरों में रात के 8 बजे से सुबह 6 बजे तक नाइट कर्फ्यू लगाने का ऐलान सरकार पहले ही कर चुकी है।

राज्य में लगभग 10 ऐसे गांव हैं जहां ग्रामीण जनता ने एक निश्चित समय के लिए स्वैच्छिक लॉकडाउन लगाने का कदम उठाया है।

गुजरात के इन गांवों ने मजबूरी या स्वेच्छा से लगाया लॉकडाउन

कोरोना संक्रमण की गिरफ्त में आने के बाद कुछ गांव ने स्वैच्छिक लॉकडाउन करने का फैसला किया तो कई गांव इसके संक्रमण के प्रभाव में आने से पहले ही यह अहम फैसला लिया। इन गांवों के बारे में हमें जानकारी हुई तो हमने इन गांव से सम्पर्क किया। गुजरात के जामनगर, आणंद, देवभूमि द्वारका के जिलों के अलावा अन्य जिलों के शहरी क्षेत्रों में साप्ताहिक बंदी के साथ ही हर रोज निश्चित समय पर दुकान बंद करने का फैसला लिया गया।

बात करें जामनगर जिले की तो जामनगर शहर से 20 किलोमीटर दूर मोटी बाणुगार गांव है। यहां की आबादी 5,000 से ज्यादा है। गांव की सरपंच किरण भेंसदडिया ने बताया, "पिछले दिनों इस गांव में 25 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी। इसके बाद गांव के लोगों ने आपसी सहमति के बाद गांव में 5 अप्रैल से स्वैच्छिक लॉकडाउन करने का निर्णय लिया।"

इसके बाद गांव में सुबह और शाम 2 घंटे के लिए दूध, मेडिकल और किराने की दुकान खोलने का फैसला लिया गया। उसके बाद गांव के लोगों को घरों से निकलने को लेकर पूरी तरह से पाबंदी है। इस साप्ताहिक स्वैच्छिक लॉकडाउन का नतीजा यह हुआ कि 25 मरीजों में से 20 मरीज ठीक हो चुके हैं। इसके साथ ही गांव में कोरोना के नए मरीज सामने नहीं आए हैं। इसके बाद लॉकडाउन में कुछ ढील दी गई है, लेकिन इसे अभी खत्म नहीं किया है। हालात सुधरने पर ही इसे हटाएंगे।"

गुजरात के कई गांवों में लोगों ने स्वैच्छि लॉकडाउन का फैसला लिया है और इससे कोरोना के मामले भी कम हुए हैं।

आणंद जिले की पेटलाद तहसील के चांगा गांव में भी कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ी तो 2 अप्रैल से 13 अप्रैल तक गांव में सामूहिक लॉकडाउन का फैसला लिया गया। वहीं देवभूमि द्वारिका जिले के कल्यापुर तहसील में आने वाले गांव नंदाणा, रावल, भोगात, लाम्बा, हर्षद गांधी, देवलिया, कल्याणपुर आदि कई गांवों ने स्वैच्छिक लॉकडाउन किया। पिछले 4 अप्रैल से 15 अप्रैल तक दोपहर 1 बजे से सुबह 7 बजे तक बाजार बंद करने एवं लोगों को घर से बाहर न निकलने की एक जागरूक पहल गांव की ओर से ली गई। इन गांवों में कोरोना के मरीजों की संख्या नहीं है। उसके बाद भी गांव में सामूहिक लॉकडाउन करने का फैसला लिया गया।

लाम्बा गांव के सरपंच काना भाई बताते हैं कि देखिए हम परिस्थिति बिगड़ने के इंतजार तो नहीं कर सकते। आज कोरोना संक्रमण लोगों को अपने चपेट में ले रहा है। हम लोगों ने गांव में बैठक की और वहां फैसला हुआ कि गांव में लॉकडाउन लगाया जाए, जिसके बाद हमने बाजार के व्यापारी, गांव के लोगों के साथ बैठक की और फैसला लिया। वहीं इसके साथ ही हमारे तहसील कल्यापुर में 7 से ज्यादा गांवों में लॉकडाउन लगा हुआ है। भोगात गांव के लोगों का कहना हैं कि हमने गांव में सख्त आदेश दिया है कि बिना मास्क के घर से बाहर निकलना ही नहीं है। इसके साथ ही अन्य गांव में भी लॉकडाउन लगाने की बातें चल रही हैं।

ग्रामीण लॉकडाउन के कोरोना गाइडलाइन

गुजरात राज्य के 10 से अधिक गांव में लगे लॉकडाउन के नियम लगभग एक जैसे हैं। गांव में बाहरी लोगों का आना पूरी तरह से रोक दिया गया है। इसके साथ ही गांव के लोगों से भी बोल दिया गया है कि आप अपने रिश्तेदारों को लॉकडाउन लगे रहने तक गांव में न आने दें। इसके साथ द्वारका के कल्यापुर तहसील के गांवों में 4 से 15 अप्रैल तक दोपहर 1 बजे अगली सुबह 7 बजे तक लॉकडाउन लगा हैं। वहीं सुबह 7 से 1 बजे तक लोगों के सुविधा के लिए और जरूरी सामान खरीदने के लिए दुकानें खोली जाएंगी, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनकर ही घर से निकलेंगे। मास्क न पहनें वाले लोगों पर 1 हजार रुपए तक जुर्माना भी लगाया जा रहा है।

गांव में कोरोना के लक्षण किसी को भी दिखें तो वह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर जांच करवाएं। पंचायत की ओर से शाम को लाउडस्पीकर के माध्यम से कोरोना की रिपोर्ट की सूचना दी जाती है। इसके साथ ही लोगों को वैक्सीन भी लगाया जा रही है। इस तरह के सामूहिक फैसले का नतीजा यह हुआ कि अभी तक से गांव में कोरोना के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हुई है।

इस खबर को अंग्रेजी में यहां पढ़ सकते हैं-

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