मूसलाधार बारिश, नदियों में उफान और भूस्खलन की वजह से उत्तराखंड के ग्रामीणों में दहशत

हिमालयी राज्य उत्तराखंड में लगातार भारी बारिश हो रही है। यहां के अधिकांश जिलों में 'बहुत अधिक' बारिश दर्ज की गई है। भूस्खलन की वजह से सड़कें अवरुद्ध हैं और कई गांव कट गए हैं। कई ऐसे गांव हैं जहां बिजली नहीं है।

Deepak RawatDeepak Rawat   25 Jun 2021 9:00 AM GMT

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मूसलाधार बारिश, नदियों में उफान और भूस्खलन की वजह से उत्तराखंड के ग्रामीणों में दहशत

मूसलाधार बारिश से उत्तराखंड के कई पहाड़ी जिलों के कई इलाके बारिश, भूस्खलन और बाढ़ की चपेट में हैं।

देहरादून (उत्तराखंड)। चमोली जिले में भारत-तिब्बत सीमा पर स्थित आदिवासी गांव रैणी में इन दिनों निराशा फैली हुई है। चिपको आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कार्यकर्ता गौरा देवी की प्रतिमा को सुरक्षित स्थान पर भेजने के लिए वहां से हटा दिया गया है, जिसे लेकर गांव के लोग काफी भावुक हैं। एक ग्रामीण ने कहा, "ऐसा लगता है जैसे हमारी मां हमें छोड़कर चली गई है।"

गौरा देवी की प्रतिमा को इसलिए स्थानांतरित किया गया है क्योंकि उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों के कई इलाके बारिश, भूस्खलन और बाढ़ की चपेट में हैं।

रैणी गांव के ठीक बाहर नीति-मलारी मार्ग पर लगभग 40 मीटर सड़क धंस गई है। इस वजह से गांव का संपर्क तो टूट गया है, इसके साथ ही भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवान भी भारत-तिब्बत सीमा चौकी तक पहुँचने में असमर्थ हो गए हैं।

चारधाम राजमार्ग परियोजना के साथ ही कई अन्य सड़कों और हाईवे से भूस्खलन की खबरें आ रही हैं। हिमालयी राज्य में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश से चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिलों में भूस्खलन की वजह से सड़कें ध्वस्त हो गई हैं।


इलाके की नदियां उफान पर हैं और लगातार हो रही बारिश व भूस्खलन की वजह से यहां के लोग डर में जीने को मजबूर हैं। रैणी गांव के निवासियों के लिए अस्थायी रूप से गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में रहने का इंतजाम किया गया है।

इसी तरह, रैणी के पड़ोसी गांव सुनखीभला की हालत भी कुछ अलग नहीं है। गांव के ग्राम प्रधान लक्ष्मण बुटोला ने गांव कनेक्शन को बताया, "ऋषि गंगा उफान पर है। कई जगहों पर भूस्खलन हो रहा है और कई घर व दुकानें ढह गई हैं।"

ऋषि गंगा नदी साल के शुरुआत में भी खबरों में थी, जब 7 फरवरी को चमोली में हिमस्खलन की वजह से इसमें भयंकर बाढ़ आ गई थी। इस तबाही में लगभग 200 लोग या तो मारे गए या लापता हो गए।

बुटोला के अनुसार सुनखीभला और उसके आसपास के गांवों को जोशीमठ से जोड़ने वाला एकमात्र पुल भी टूटकर बह जाने के कगार पर पहुंच गया था। बुटोला ने कहा, "सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) पुल को बचाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन हमें नहीं लगता कि वे ऐसा कर पाएंगे।" उन्होंने कहा कि गांवों में पानी और बिजली की आपूर्ति भी काट दी गई है।

उत्तराखंड में हुई है भारी बारिश

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले सप्ताह 10 जून से 16 जून के बीच उत्तराखंड के कुल 13 जिलों में से नौ में 'अधिक' बारिश हुई। चंपावत जिले में 434 प्रतिशत और चमोली जिले में 423 प्रतिशत वर्षा दर्ज की गई है। इसी तरह रुद्रप्रयाग में 180 प्रतिशत व पिथौरागढ़ में 138 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है। इसी तरह, 20 जून को इस हिमालयी राज्य के बारह जिलों में अधिक वर्षा दर्ज की गई। अकेले चमोली जिले में 1,131 प्रतिशत बारिश दर्ज की गई है।


भयंकर बाढ़ की वजह से आवागमन हुआ ठप

राज्य में कई हिमालयी नदियां उफान पर हैं, जिससे बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई है। जोशीमठ निवासी प्रदीप भंडारी के मुताबिक अलकनंदा नदी खतरे के निशान के करीब बह रही है और कटाव की वजह से आसपास की कई सड़कें बह गई हैं। उन्होंने कहा, "ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट (उत्तराखंड में राजमार्गों के सुधार, उन्नयन और विकास के लिए) द्वारा बनाई गई रिटेनिंग वॉल भी कटाव को रोकने में विफल रही है।" इसकी वजह से करीब एक किलोमीटर सड़क के बह जाने का खतरा है।

भारी बारिश और भूस्खलन के कारण चमोली जिले में तैया पुल के पास बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक बड़ा बोल्डर लुढ़क कर आ गया, जिसकी वजह से यह रास्ता पूरे दिन अवरुद्ध रहा। इस रास्ते को 20 जून की शाम को खोला जा सका।

चमोली जिले के उनीबगड़ गांव में पिंडर नदी भी उफान पर है। उनीबगड़ गांव के किसान आलम राम ने गांव कनेक्शन को बताया, "मेरा घर क्षतिग्रस्त हो गया है और नदी में हमारा सारा सामान बह गया है।" उन्होंने आगे कहा, "मेरी अधिकांश जमीन में पानी भर गया है।" आलम राम और उनका परिवार अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए भाई के घर दूसरे गांव चले गए हैं।

पिंडर नदी घाटी में स्थित डंगटोली गांव के ग्राम प्रधान सुरेंद्र धनेत्रा ने कहा कि चमोली जिले में लगभग सभी सड़कों में आवागमन बंद हैं, क्योंकि नदियां उफान पर हैं।

धनेत्रा ने आगे कहा, "सड़कों को फिर से चालू होने में लंबा समय लगेगा। सड़कों को चौड़ा करने के लिए व मरम्मत के लिए पहाड़ के किनारों की अंधाधुंध कटाई आसपास के गांवों के निवासियों के लिए एक खतरा बन गई है।"

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सड़कों और हाईवे पर जगह-जगह हो रहे भूस्खलन से स्थानीय नागरिकों और राहगीरों के लिए खतरा बढ़ गया है। फोटो साभार @sdcfoundationuk

नैनीताल जिले में भी गौला नदी उफान पर है और बाढ़ की वजह से अलर्ट जारी कर दिया गया है। नैनीताल में रहने वाले एक स्थानीय पत्रकार ललित जोशी ने गांव कनेक्शन को बताया, "जिले के कई ग्रामीण इलाकों को शहरों से जोड़ने वाले पांच स्टेट हाईवे और ग्यारह सड़कें मूसलाधार बारिश में मलबे से भर गए हैं। राज्य सरकार ने सड़कों को साफ करने के लिए अर्थ मूवर्स का सहारा लिया जा रहा है।"

पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में काली और धौली नदियां भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। नतीजतन, 18 जून को नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (एनएचपीसी) को पानी छोड़ने के लिए चिरकिला बांध के फाटकों को खोलना पड़ा। एनएचपीसी धारचूला के जनरल मैनेजर प्रीत पाल सिंह विल्क ने गांव कनेक्शन को बताया, "हमने पानी के बहने की दिशा में रहने वाले लोगों को अलर्ट जारी किया है।"

धारचूला अभी भी खतरे में है क्योंकि पानी का बढ़ना जारी है और संचार सेवाएं पूरी तरह बाधित हैं। सड़कें बंद होने से दारमा घाटी, व्यास घाटी, तवाघाट और चौदास सभी कट गए हैं।

पिथौरागढ़ के सरकल ऑफिसर आरएस रौतेला के अनुसार पहाड़ के किनारों से नीचे गिरने वाली चट्टानों की चपेट में आने से दो लोगों की मौत हो गई। इस घटना में उत्तर प्रदेश के एक मजदूर दफेदार सिंह (65 साल) के सिर पर चोट लगी और अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई। यह घटना जिले के गंगोलीहाट के सुंगरी में हुई।

इसी तरह, एक सब्जी व्यापारी खलील अहमद (55 वर्षीय) की भी मौत हो गई। वे घाट पुल, पिथौरागढ़ के पास ट्रक का इंतजार कर रहे थे, तभी एक बोल्डर उन पर गिर गया। अहमद पिथौरागढ़ के लिए सब्जी लेने पीलीभीत जा रहे थे।

बाढ़ और लैंड स्लाइडिंग की आशंका के बाद ग्रामीण सुरक्षित ठिकानों में जा रहे हैं। फोटो- दीपक रावत

चल रहा है बचाव कार्य

इस बीच, जिला प्रशासन प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय रूप से निकासी, बचाव और राहत कार्य कर रहा है। चमोली के उनीबगड़ गांव की स्थिति पर अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई की। चमोली के डिप्टी कलेक्टर सुधीर कुमार ने गांव कनेक्शन को बताया, "सभी ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है। वे सुरक्षित हैं, लेकिन उनके घरों के बह जाने का खतरा है।"

राम गंगा नदी में पानी का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ने के कारण चमोली के अगरचट्टी गांव से जिला प्रशासन ने 13 परिवारों को सुरक्षित निकाल लिया है। इसी तरह पिंडर नदी का जलस्तर खतरे के निशान पर पहुंचने पर चमोली के थराली के बैनोली गांव के 14 परिवारों को भी गांव के स्कूल में भेज दिया गया है।

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश ने मैदानी इलाकों में भी जनजीवन को प्रभावित किया है। ऋषिकेश में गंगा नदी खतरे के निशान से महज नौ मीटर नीचे बह रही थी। प्रसिद्ध त्रिवेणी घाट, परमार्थ घाट और अन्य पूरी तरह से जलमग्न हैं।

ऋषिकेश में सिंचाई विभाग ने गंगा बैराज के सभी गेट खोल दिए हैं। मुनी की रेती और लक्ष्मण झूला भी खतरे में होने के कारण आपदा प्रबंधन टीम गंगा नदी के जलस्तर की लगातार निगरानी कर रही है।

इस बीच, अधिकारियों ने पौड़ी गढ़वाल जिले में चिल्ला पॉवर हाउस को बंद कर दिया है क्योंकि नदी के मलबे से बिजलीघर में मशीनरी के क्षतिग्रस्त होने का खतरा है। वहाँ अभी भी काम बंद है।

ऋषिकेश के सरकल ऑफिसर डीसी ढौंडियाल ने 19 जून को ऋषिकेश में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "प्रशासन अपनी पूरी क्षमता के साथ काम कर रहा है और किसी भी आपदा से निपटने के लिए तैयार है।"

ऋषिकेश में चंद्रभागा बस्ती में अपना घर गंवाने वाले ढाई सौ लोगों और नदी के किनारे रहने वाले 300 अन्य लोगों को पास के धर्मशालाओं में ले जाया गया है। स्थानीय प्रशासन द्वारा वहां उनके रहने का पूरा इंतजाम किया गया है।

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