संसद में स्थापित होगी हवा में वायरस का संचरण रोकने वाली प्रणाली
मानूसन सत्र के दौरान हवा में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए विकसित की गई यूवी-सी तकनीक आधारित प्रणाली को सेंट्रल हॉल, लोकसभा कक्ष और समिति कक्ष (कमेटी रूम) 62 और 63 में स्थापित किया जाएगा।
India Science Wire 15 July 2021 1:36 PM GMT

वायरस-रोधी प्रणाली को स्थापित करने के बाद भी सभी को कोविड-19 के प्रति उपयुक्त व्यवहार का कड़ाई से पालन करना होगा। जिसमें फेस मास्क का उपयोग, उचित सुरक्षित दूरी बनाए रखना और भीड़-भाड़ से बचना आदि शामिल हैं।
19 जुलाई से संसद का मानूसन सत्र शुरू होने जा रहा है। कोरोना संक्रमण की संभावनाओ को ध्यान में रखते हुए संसद भवन में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा विकसित हवा में वायरस के संचरण को रोकने वाली प्रणाली स्थापित की जाएगी।
इस संदर्भ में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह ने वैज्ञानिक विशेषज्ञों के साथ चर्चा भी की है। डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि मानूसन सत्र के दौरान हवा में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए विकसित की गई यूवी-सी तकनीक आधारित प्रणाली को सेंट्रल हॉल, लोकसभा कक्ष और समिति कक्ष (कमेटी रूम) 62 और 63 में स्थापित किया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि इस वायरस-रोधी प्रणाली को स्थापित करने के बाद भी सभी को कोविड-19 के प्रति उपयुक्त व्यवहार का कड़ाई से पालन करना होगा। जिसमें फेस मास्क का उपयोग, उचित सुरक्षित दूरी बनाए रखना और भीड़-भाड़ से बचना आदि शामिल हैं।
सीएसआईआर-सीएसआईओ द्वारा विकसित यूवी-सी एयर डक्ट डिसइंफेक्शन प्रणाली का उपयोग सभागारों, बड़े सम्मेलन कक्षों, कक्षा-कक्षों, मॉल आदि में किया जा सकता है जो वर्तमान परस्थितियोंमें कोरोना महामारी के प्रतिआंतरिक गतिविधियों के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित वातावरण प्रदान करने में सहायक हो सकता है। इसका उपयोग भवनों, परिवहन वाहनों आदि में भी किया जा सकता है।
Pioneering world class research being carried out by #CSIR & its scientific establishments spread across the country. 75th year of India's Independence coincides with 80th year of CSIR and this will also mark the ascent of #NewIndia's rise to glorious heights. pic.twitter.com/zW8lFuilbz
— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) July 13, 2021
इस प्रौद्योगिकी को वेंटिलेशन उपायों, आवश्यक सुरक्षा और उपयोगकर्ता दिशानिर्देशों और परीक्षण किए गए जैव-सुरक्षा मानकों आदि के साथ एक एरोसोल में निहित सार्स-सीओवी-2 वायरस को निष्क्रिय करने की आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित किया गया है। यूवी-सी 254एनएम अल्ट्रा वायलेट (यूवी) प्रकाश के उपयोग के साथ जैव-एरोसोल आदि का उपयोग करके वायरस, बैक्टीरिया, कवक और अन्य सूक्ष्म जीवाणुओं को निष्क्रिय करता है। इसका उपयोग महामारी के दौरान देखे जा रहे फंगल संक्रमण को कम करने में भी मदद कर सकता है।
डॉ जितेन्द्र सिंह ने वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के अहम योगदान का उल्लेख करते हुए कहा है कि सीएसआईआर को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व स्तर पर एक अद्वितीय दर्जा प्राप्त है।
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) से कई दशकों की अपनी उपलब्धियों को संरक्षित और प्रदर्शित करने का आग्रह करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसके लिए राष्ट्रीय राजधानी में एक संग्रहालय स्थापित करने की व्यवहार्यता का पता लगाने की जरूरत है।
इस अवसर पर सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी मांडे के साथ वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में सीएसआईआर मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा, 37 सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के शीर्ष वैज्ञानिकों ने भाग लिया
Parliament of india CSIR CSIO Monsoon Session Loksabha #story
More Stories