गणित, इंजीनियरिंग, विज्ञान जैसे विषयों में अमेरिका, फ्रांस और यूके से अधिक हैं भारत में महिला स्नातक

अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी और यूके जैसे देशों के मुकाबले विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित जैसों विषयों में भारतीय महिला स्नातकों की संख्या अधिक है।

India Science WireIndia Science Wire   20 July 2021 2:18 PM GMT

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गणित, इंजीनियरिंग, विज्ञान जैसे विषयों में अमेरिका, फ्रांस और यूके से अधिक हैं भारत में महिला स्नातक

प्रयोगशाला में कार्य करते हुए एक महिला वैज्ञानिक (फोटोः विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग)

विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM)विषयों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की भागीदारी वैश्विक स्तर पर कम है। पर, स्टेम विषयों में भारतीय महिला स्नातकों की भागीदारी वैश्विक स्तर पर बढ़ी है। अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी और यूके जैसे देशों के मुकाबले स्टेम विषयों में भारतीय महिला स्नातकों की संख्या अधिक है। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा यह जानकारी लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में दी है।

विश्व बैंक द्वारा प्रकाशित जेंडर सांख्यिकी डेटा बैंक का हवाला देते हुए शिक्षा मंत्री ने बताया कि स्टेम विषयों में अमेरिका (34%), यूके (38%), जर्मनी (27%) और फ्रांस (32%) जैसे विकसित देशों की तुलना में तृतीयक स्तर पर महिला स्नातकों की भागीदारी भारत में सर्वाधिक 43 प्रतिशत है। शिक्षा मंत्री ने लोकसभा में बताया कि अखिल भारतीय उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण (एआईएसएचई), 2019-20 के आंकड़ों के अनुसार, स्टेम विषयों में 40,71,533 महिलाओं के नामांकन की तुलना में नामांकित पुरुषों की संख्या 53,52,258 है।

लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, हाल के वर्षों में विभिन्न स्तरों पर स्टेम विषयों में पुरुषों और महिलाओं के लिए (यूजी, पीजी, एम.फिल और पीएचडी) पास-आउट /आउट-टर्न की अलग-अलग संख्या रही है। वर्ष 2017-18 में विभिन्न स्तरों पर स्टेम विषयों में (यूजी, पीजी, एम.फिल औरपीएचडी) पास-आउट/आउट-टर्न पुरुषों की संख्या 12,48,056 और महिलाओं की संख्या 10,02,707 थी। एआईएसएचई 2019-20 के आंकड़ों के अनुसार पुरुषों की संख्या 11,88,900 और महिलाओं की संख्या 10,56,095 हो गई।

आईआईटी दिल्ली की महिला वैज्ञानिकों की टीम। फोटो: @iitdelhi/Twitter

केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभागद्वारा उच्च शिक्षा में स्टेम विषयों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। इसमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए नॉलेज इनवॉल्वमेंट रिसर्च एडवांसमेंट थ्रू नरचरिंग (किरन) जैसी योजनाएं शामिल हैं। कामकाजी महिला वैज्ञानिकों के स्थानांतरण की समस्या के समाधान के लिए 'मोबिलिटी' कार्यक्रम शुरू किया गया है।

भारतीय महिला वैज्ञानिकों, इंजीनियरों एवं प्रौद्योगिकीविदों कोअंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवसर उपलब्ध कराने के लिए भी पहल की गई है। इसके अंतर्गत अमेरिका के प्रमुख संस्थानों में तीन से छह महीने की अवधि के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग आधारित अनुसंधान का अवसर प्रदान करने के लिए 'स्टेम-एम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित एवं चिकित्सा)'में महिलाओं के लिए इंडो-यूएस फेलोशिप' शुरू की गई थी।

महिला विश्वविद्यालयों में अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया कराकर महिलाओं को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। 'महिला विश्वविद्यालयों में नवाचार और उत्कृष्टता के माध्यम से विश्वविद्यालय अनुसंधान समेकन (क्यूरी)', अत्याधुनिक अनुसंधान अवसंरचना एवं सुविधाओं को विकसित करने और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में शोध-अनुसंधान गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने में सहायता प्रदान करता है।

स्टेम में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है, 09 से 12 कक्षा की मेधावी छात्राओं के लिए नया कार्यक्रम 'विज्ञान ज्योति' शुरू किया गया है। वर्ष 2019-20 के दौरान 'जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस (गति)' नामक कार्यक्रम शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य लैंगिक समानता में सुधार के लक्ष्य के साथ अधिक लैंगिक संवेदनशील दृष्टिकोण एवं समावेशन के लिए संस्थानों का रूपांतरण करना है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्टेम विषयों में निरंतर शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए 'इनोवेशन इन साइंस परसुट फॉर इन्सपायर्ड रिसर्च (इंस्पायर)' नामक योजना शुरू की गई है। इसके अंतर्गत 17-22 वर्ष आयु वर्ग के लिए उच्चतर शिक्षा छात्रवृत्ति (एसएचई) कार्यक्रम के माध्यम से छात्रवृत्ति एवं परामर्श प्रदान किया जाता है।शिक्षा मंत्री ने बताया है कि 22-27 वर्ष आयु वर्ग के लिए इंस्पायर फेलोशिप के माध्यम से इंजीनियरिंग और चिकित्सा सहित बुनियादी एवं अनुप्रयुक्त विज्ञान दोनों में डॉक्टोरल डिग्री प्राप्त करने के लिए प्रत्येक वर्ष 1000 फेलोशिप प्रदान की जाती हैं।

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