0

मेघालय में मिली मेंढक की नई प्रजाति

India Science Wire | Apr 13, 2023, 13:35 IST
मेंढक की नई प्रजाति का नाम प्राप्ति-स्थान सिजू गुफा के आधार पर अमोलॉप्स सिजू रखा गया है। शोधकर्ता बताते हैं कि मेंढक का रूप-रंग, गुफा के अनूठे पारिस्थितिक तंत्र के अनुरूप विशिष्ट प्रकृति का है।
#frog species in india
जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जेडएसआई) के शोधकर्ताओं ने मेघालय के दक्षिण गारो हिल्स जिले में स्थित सिजू गुफा के भीतर गहराई से मेंढक की एक नई प्रजाति की खोज की है। सिजू गुफा चार किलोमीटर लंबी चूना पत्थर की प्राकृतिक गुफा है। मेंढक की नई प्रजाति को यहाँ जनवरी 2020 में लगभग 60-100 मीटर की गहराई से खोजा गया था।

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जेडएसआई), पूर्वोत्तर क्षेत्रीय केंद्र, शिलांग के शोधकर्ता भास्कर सैकिया बताते हैं, "इस अध्ययन में मेघालय के दक्षिण गारो हिल्स जिले में सिजू गुफा के भीतर गहरे क्षेत्रों से कैस्केड रेनिड मेंढक की एक नई प्रजाति का पता चला है। यह अध्ययन पुणे स्थित जेडएसआई के पश्चिमी क्षेत्रीय केंद्र के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर किया गया है।"

मेंढक की नई प्रजाति का नाम प्राप्ति-स्थान सिजू गुफा के आधार पर अमोलॉप्स सिजू रखा गया है। इस नई प्रजाति का विवरण शोध पत्रिका जर्नल ऑफ एनिमल डायवर्सिटी में प्रकाशित किया गया है।

364714-new-species-amolops-frog-northeast-meghalaya-garo-hills-cave-ecosystem-1-scaled
364714-new-species-amolops-frog-northeast-meghalaya-garo-hills-cave-ecosystem-1-scaled

शोधकर्ता बताते हैं कि मेंढक का रूप-रंग, गुफा के अनूठे पारिस्थितिक तंत्र के अनुरूप विशिष्ट प्रकृति का है। कैस्केड अमोलॉप्स मेंढकों की अन्य ज्ञात प्रजातियों से अमोलॉप्स सिजू की विशिष्ट पहचान का पता लगाने के लिए मेंढक के ऊतक नमूनों का आणविक अध्ययन किया गया है। इसके लिए, जेडएसआई, पूर्वोत्तर क्षेत्रीय केंद्र की टीम ने जेडएसआई, पुणे में अपने सहयोगियों की मदद ली, जिसकी एक स्थापित आणविक प्रयोगशाला है।

गुफा पारिस्थितिकी तंत्र में निरंतर आर्द्रता और तापमान के कारण मेंढक गुफाओं के छिपे हुए स्थानों में रहने के लिए जाने जाते हैं। जेडएसआई के शोधकर्ताओं की टीम द्वारा सिजू गुफा का लम्बी अवधि तक सर्वेक्षण किया गया है। उनका उद्देश्य गुफा की जंतु विविधता का दस्तावेजीकरण करना था, जिसकी वैज्ञानिक रूप से खोजबीन इससे पहले 1922 में की गई थी।

Also Read: भारत में मिली मेंढक की नयी प्रजाति, वैज्ञानिकों ने जिसे नाम दिया मिस्टीसेलस फ्रैंकी 03 जनवरी, 2020 को शोधकर्ताओं ने गुफा के अंदर से अमोलॉप्स वंश के रेनिड मेंढकों के चार नमूनों का संग्रह किया। गुफा के प्रवेश द्वार के कुछ ही मीटर के दायरे में मेंढकों का मिलना सामान्य बात है। हालाँकि, सिजू में, शोधकर्ताओं ने प्रवेश द्वार से लगभग 100 मीटर की दूरी पर नमूनों का संग्रह किया। ऐसा करके शोधकर्ता रोमांचित थे, क्योंकि गुफा के अधिक भीतर किसी नई प्रजाति की संभावना अधिक थी।

सैकिया बताते हैं, "गुफा में मेंढकों के नमूने हल्की रोशनी वाले (प्रवेश द्वार से 60-100 मीटर) क्षेत्रों और गुफा के अंधेरे क्षेत्रों (प्रवेश द्वार से 100 मीटर से अधिक) से एकत्र किए गए थे। लेकिन, कोई ट्रोग्लोबिटिक (गुफा-अनुकूलित) संशोधन नहीं देखा गया है, जिससे यह संकेत मिलता हो कि मेंढक की यह प्रजाति गुफा की स्थायी निवासी नहीं है।”

शोधकर्ताओं कहना है कि यह दूसरी बार है जब देश में किसी गुफा के अंदर मेंढक की प्रजाति खोजी गई है। इससे पहले 2014 में तमिलनाडु की एक गुफा से माइक्रोक्सालिडे परिवार के मिक्रिक्सालस स्पेलुंका नामक मेंढकों की प्रजाति मिली थी। मिक्रिक्सालस स्पेलुंका भारत के पश्चिमी घाट में पाये जाते हैं। इनका प्राकृतिक आवास उपोष्णकटिबंधीय या उष्णकटिबंधीय नम तराई के जंगल और नदियाँ होते हैं।

सैकिया कहते हैं, "यह दिलचस्प है कि जब 1922 में जेडएसआई ने गुफा का पहला जैव-स्पेलेलॉजिकल अन्वेषण किया, तभी से सिजू गुफा में मेंढकों की आबादी (गुफा के प्रवेश द्वार से 400 मीटर तक) की उपस्थिति की रिपोर्ट्स मिलती है। संसाधनों की कमी वाली अंधेरी गुफा में एक सदी से मेंढकों की आबादी की रिपोर्ट पर पर्यावरणविद या जीवविज्ञानी गौर कर सकते हैं।"

Also Read: एनबीएजीआर ने देशी पशुओं की दस नई नस्लों को किया पंजीकृत

Tags:
  • frog species in india
  • story

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.