भारत में शुरू हुआ समुद्र तटीय स्वच्छता का महा-अभियान
India Science Wire | Jul 05, 2022, 13:25 IST
भारत की 7500 किलोमीटर लंबी समुद्री तटरेखा की सफाई के लिए शुरू किया गया यह महा-अभियान आम लोगों की व्यापक भागीदारी के साथ संचालित किया जा रहा है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने 75 दिनों तक चलने वाला अब तक का सबसे व्यापक समुद्र तटीय स्वच्छता अभियान शुरू किया है। 03 जुलाई को शुरू हुए 'स्वच्छ सागर - सुरक्षित सागर' नामक इस अभियान का औपचारिक समापन 17 सितंबर, 2022 को 'अंतरराष्ट्रीय तटीय स्वच्छता दिवस' के अवसर पर होगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा हाल में जारी एक वक्तव्य में यह जानकारी प्रदान की गई है।
स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में भारत की 7500 किलोमीटर लंबी समुद्री तटरेखा की सफाई के लिए शुरू किया गया यह महा-अभियान नागरिकों की व्यापक भागीदारी के साथ संचालित किया जा रहा है। 'अंतरराष्ट्रीय तटीय स्वच्छता दिवस' के अवसर पर आगामी 17 सितंबर को भारत में दुनिया की सबसे बड़ी समुद्र तटीय स्वच्छता गतिविधि देखने को मिलेगी। यह गतिविधि 75 समुद्री तटों पर आयोजित की जाएगी, जिसमें प्रत्येक किलोमीटर पर हजारों स्वैच्छिक कार्यकर्ता शामिल होंगे। इससे पूर्व, 03 जुलाई से 17 सितंबर के दौरान देश भर में समुद्री स्वच्छता के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
इस अभियान में भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय और विभागों के साथ-साथ देश के प्रमुख कॉरपोरेट्स, शिक्षण संस्थान एवं गैर-सरकारी संस्थान हिस्सा ले रहे हैं। अभियान में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES), पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC), राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS), भारतीय तटरक्षक बल, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), सीमा जागरण मंच, एसएफडी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), पर्यावरण संरक्षण गतिविधि (PSG), और अन्य सामाजिक संगठनों एवं शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी होगी।
'स्वच्छ सागर - सुरक्षित सागर' अभियान के माध्यम से तटीय जल, तलछट, बायोटा और समुद्र तटों जैसे विभिन्न मैट्रिक्स में समुद्री कचरे पर वैज्ञानिक डेटा और जानकारी एकत्र करने के लिए शोध एवं विकास संबंधी प्रयासों को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। अभियान के बारे में जागरूकता प्रसार, और 17 सितंबर 2022 को समुद्र तट की सफाई गतिविधि से स्वैच्छिक रूप से जुड़ने और इसके लिए पंजीकरण करने के लिए आम लोगों के लिए एक मोबाइल ऐप - "इको मित्रम्" लॉन्च किया गया है।
इस अभियान में मुख्य रूप से समुद्री कचरे को कम करने, प्लास्टिक के न्यूनतम उपयोग, स्रोत स्थान पर कचरे का अलगाव, और अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान देने के साथ, वास्तविक और वर्चुअल दोनों तरह से बड़े पैमाने पर सार्वजनिक भागीदारी देखने को मिलेगी। आम लोगों की भागीदारी न केवल तटीय क्षेत्रों, बल्कि देश के अन्य हिस्सों की समृद्धि के लिए "स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर" का संदेश देगी।
भारत का एक समृद्ध समुद्री इतिहास रहा है। भारतीय सामाजिक-आध्यात्मिक परंपराओं, साहित्य, कविता, मूर्तिकला, चित्रकला और पुरातत्व समेत विविध क्षेत्रों से मिले साक्ष्य भारत की महान समुद्री परंपराओं की पुष्टि करते हैं। मानव समाज महासागरों और समुद्र की प्राकृतिक संपदा से लगातार लाभान्वित होता रहा है। हालाँकि, हाल के दिनों में, विभिन्न मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न प्लास्टिक कचरा विभिन्न जलमार्गों के माध्यम से तट और समुद्र तक पहुँचते हैं, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक गंभीर खतरा पैदा होता है।
हर साल 1.5 करोड़ टन से अधिक प्लास्टिक समुद्र में पहुंचता है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, यदि लोग प्लास्टिक की बोतलों और बैग जैसे एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक की वस्तुओं को समुद्र में फेंकना बंद नहीं करते, तो वर्ष 2050 तक दुनिया के महासागरों में मछलियों की तुलना में प्लास्टिक की मात्रा अधिक होगी। वैज्ञानिकों ने पाया है कि समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के साथ-साथ प्लास्टिक प्रदूषण समुद्री जीवों को भी नुकसान पहुँचाता है। कोरल से लेकर व्हेल मछलियों तक, 700 से अधिक समुद्री प्रजातियां प्लास्टिक ग्रहण करने या फिर उसमें उलझकर मर रही हैं। यदि समय रहते प्रभावी पहल नहीं की जाती, तो पारिस्थितिक तंत्र के साथ-साथ समुद्री जीवों और अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है।
स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में भारत की 7500 किलोमीटर लंबी समुद्री तटरेखा की सफाई के लिए शुरू किया गया यह महा-अभियान नागरिकों की व्यापक भागीदारी के साथ संचालित किया जा रहा है। 'अंतरराष्ट्रीय तटीय स्वच्छता दिवस' के अवसर पर आगामी 17 सितंबर को भारत में दुनिया की सबसे बड़ी समुद्र तटीय स्वच्छता गतिविधि देखने को मिलेगी। यह गतिविधि 75 समुद्री तटों पर आयोजित की जाएगी, जिसमें प्रत्येक किलोमीटर पर हजारों स्वैच्छिक कार्यकर्ता शामिल होंगे। इससे पूर्व, 03 जुलाई से 17 सितंबर के दौरान देश भर में समुद्री स्वच्छता के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
Beginning today, the 75 days' campaign consists of cleaning & rejuvenation of 75 sea beaches across the country and the campaign will culminate on 17th September, the "International Coastal Cleanup Day",which this year incidentally coincides with birthday of PM Sh @NarendraModi. pic.twitter.com/RsLNAor924
— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) July 3, 2022
'स्वच्छ सागर - सुरक्षित सागर' अभियान के माध्यम से तटीय जल, तलछट, बायोटा और समुद्र तटों जैसे विभिन्न मैट्रिक्स में समुद्री कचरे पर वैज्ञानिक डेटा और जानकारी एकत्र करने के लिए शोध एवं विकास संबंधी प्रयासों को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। अभियान के बारे में जागरूकता प्रसार, और 17 सितंबर 2022 को समुद्र तट की सफाई गतिविधि से स्वैच्छिक रूप से जुड़ने और इसके लिए पंजीकरण करने के लिए आम लोगों के लिए एक मोबाइल ऐप - "इको मित्रम्" लॉन्च किया गया है।
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इस अभियान में मुख्य रूप से समुद्री कचरे को कम करने, प्लास्टिक के न्यूनतम उपयोग, स्रोत स्थान पर कचरे का अलगाव, और अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान देने के साथ, वास्तविक और वर्चुअल दोनों तरह से बड़े पैमाने पर सार्वजनिक भागीदारी देखने को मिलेगी। आम लोगों की भागीदारी न केवल तटीय क्षेत्रों, बल्कि देश के अन्य हिस्सों की समृद्धि के लिए "स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर" का संदेश देगी।
भारत का एक समृद्ध समुद्री इतिहास रहा है। भारतीय सामाजिक-आध्यात्मिक परंपराओं, साहित्य, कविता, मूर्तिकला, चित्रकला और पुरातत्व समेत विविध क्षेत्रों से मिले साक्ष्य भारत की महान समुद्री परंपराओं की पुष्टि करते हैं। मानव समाज महासागरों और समुद्र की प्राकृतिक संपदा से लगातार लाभान्वित होता रहा है। हालाँकि, हाल के दिनों में, विभिन्न मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न प्लास्टिक कचरा विभिन्न जलमार्गों के माध्यम से तट और समुद्र तक पहुँचते हैं, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक गंभीर खतरा पैदा होता है।
हर साल 1.5 करोड़ टन से अधिक प्लास्टिक समुद्र में पहुंचता है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, यदि लोग प्लास्टिक की बोतलों और बैग जैसे एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक की वस्तुओं को समुद्र में फेंकना बंद नहीं करते, तो वर्ष 2050 तक दुनिया के महासागरों में मछलियों की तुलना में प्लास्टिक की मात्रा अधिक होगी। वैज्ञानिकों ने पाया है कि समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के साथ-साथ प्लास्टिक प्रदूषण समुद्री जीवों को भी नुकसान पहुँचाता है। कोरल से लेकर व्हेल मछलियों तक, 700 से अधिक समुद्री प्रजातियां प्लास्टिक ग्रहण करने या फिर उसमें उलझकर मर रही हैं। यदि समय रहते प्रभावी पहल नहीं की जाती, तो पारिस्थितिक तंत्र के साथ-साथ समुद्री जीवों और अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है।