Corona Virus : "टीवी चैनल वालों ने डर भर दिया है, ग्राहक सबसे पहले पूछते हैं, चाइनीज पिचकारी तो नहीं?"

कोरोना वायरस के कारण करोड़ों लोगों पर सीधा असर पड़ा है। एक लाख से अधिक लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं और साढ़े तीन हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन इन गिनतियों के परे करोड़ों लोग हैं जिनकी जिंदगियों और जीविका पर इस बीमारी का अदृश्य असर पड़ रहा है। गाँव कनेक्शन की विशेष सीरीज "कोरोनाश" के पहले भाग में पढ़िए होली से जुड़े उद्योग पर कोरोना का क्या असर रहा

Divendra SinghDivendra Singh   7 March 2020 3:53 PM GMT

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लखनऊ। "अट्ठारह साल से होली में पिचकारी की दुकान लगा रहा हूं, लेकिन बाजार में इतना सन्नाटा कभी नहीं देखा।" होली पर रंग-गुलाल की छोटी दुकान लगाने वाले आकाश सोनकर कहते हैं।

आकाश सोनकर (35 वर्ष) उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सबसे भीड़-भाड़ वाले बाजार अमीनाबाद में दुकान लगाते हैं। इस बार यहां रंग-बिरंगी दुकानें तो सजीं, लेकिन लोग कम आये। कोरोना वायरस का असर होली के बाजार पर पड़ा, क्योंकि भारत चीन के खिलौनों का सबसे बड़ा बाजार है। यहां के बाजारों में चीन की पिचकारी की मांग खूब रहती है।

"जो ग्राहक आये भी तो पूछकर चले गये कि चाइनीज पिचकारी तो नहीं है," आकाश सोनकर ने गाँव कनेक्शन से कहा।

अमीनाबाद में पिछले 18 साल से होली दुकान लगा रहे हैं आकाश सोनकर

दुनिया भर के बाजार पर रिसर्च करने वाले समूह अंतर्राष्ट्रीय बाजार विश्लेषण अनुसंधान और परामर्श समूह (आईएमएआरसी) की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 में भारत में खिलौना बाजार की कीमत 1.10 खरब रुपए (1.5 बिलियन डॉलर) थी, जिसकी साल 2024 में 3.3 बिलियन डॉलर पार करने की उम्मीद है। भारत में बिकने वाले कुल खिलौनों में से लगभग 90 प्रतिशत चीन से आते हैं, इसके बाद श्रीलंका, मलेशिया, जर्मनी और हांगकांग जैसे देश आते हैं।

अमीनाबाद में हर साल पिचकारियों की दुकान चलाने वाले बबलू वैसे तो चाय की दुकान चलाते हैं, लेकिन होली, दीवाली, रक्षाबंधन, जैसे त्योहारों में उनकी साल भर की कमाई हो जाती है। बबलू कहते हैं, "टीवी चैनल वालों ने लोगों के दिमाग में डर भर दिया है कि चाइना के माल में कोरोना वायरस आ जाएगा, जबकि हमारे यहां भी सारी पिचकारियां चाइना की थीं, लेकिन नवंबर में ही हमने माल मंगा लिया था, उसके बाद फिर जनवरी में माल आने वाला था, लेकिन कोरोना के कारण नहीं आ पाया। चीन से माल दिल्ली आता है, उसके बाद हम लोग वहां से मंगाते हैं। जो माल है वो भी बहुत महंगा है।"


बबलू की दीपावली जितनी भी कमाई हुई थी, नवंबर में उसी पैसे से होली के लिए सामान खरीद लिया। बबलू कहते हैं, "चाय की दुकान से सिर्फ रोज के खर्चे ही चल पाते हैं, त्योहारों में अच्छी कमाई हो जाती है, दीवाली में जितनी कमाई हुई उसी समय होली के सामान का ऑर्डर दे दिया। होली के एक दिन पहले तक कुछ सामान नहीं बिका। होली पर भी उतनी कमाई नहीं हुइ जितनी होती थी। बच्चों की पढ़ाई का खर्चा है, अब पूरे साल का खर्च कैसे चलेगा।"

दुनिया भर में कोरोना वायरस से जुड़ी आपात स्थिति के उत्पन्न होने से करोड़ों लोगों पर सीधा असर पड़ा है। एक लाख से अधिक लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं, जिन में से 75,000 से अधिक ठीक हो चुके हैं और लगभग साढ़े तीन हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है (7 मार्च तक), लेकिन इन गिनतियों के परे करोड़ों लोग हैं जिनकी जिंदगियों और जीविका पर इस बीमारी का अदृश्य असर पड़ रहा है।

दिल्ली के सदर बाजार में खिलौनों का थोक व्यापार करने वाले वीजी मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेडक्टर विकास गुप्ता फोन पर कहते हैं, "हम होल सेलर पर तो इतना फर्क नहीं पड़ा है, क्योंकि हमने सारा माल नवंबर में ही मंगा लिया था, लेकिन फुटकर दुकानदारों से लोग पूछ रहे हैं कि चाइना का माल तो नहीं है, लोगों के दिमाग में ये आ गया गया है कि खिलौने और पिचकारी में कोरोना आ सकता है। जबकि ये सच नहीं माल में वायरस नहीं आ सकता, ये केवल इंसानों और जानवरों से ही फैलता है। फिर भी लोग मानने को तैयार नहीं हैं।"

लखनऊ में खिलौनों के थोक व्रिकेताओं के यहां भी छाया है सन्नाटा।

"चाइना का माल न आने से इंडियन माल की बिक्री बढ़ी है, लेकिन यहां पर बनने वाली पिचकारियों की वैरायटी कम मिलती है, इसलिए चाइना का माल लोग ज्यादा पसंद करते हैं। लेकिन इस बार वो भी नहीं बिकी।" विकास गुप्ता ने आगे बताया।

आईएमएआरसी के अनुसार भारत में महाराष्ट्र देश की सबसे बड़ा खिलौना बाजार है, उसके बाद तमिलनाडू, कर्नाटक, गुजरात, दिल्ली और दूसरे बड़े शहर आते हैं।

महाराष्ट्र के मुंबई में एबीके कार्पोरशन महाराष्ट्र के बड़े शहरों में पिचकारी और दूसरे खिलौने सप्लाई करती है। इसके निदेशक बिकास हाटी फोन पर बताते हैं, "हमारे यहां भी चाइनीज पिचकरियों और कलर्स की सेल में कमी आयी है, लोगों को यही लगता है कि इनमें भी वायरस होगा, छोटे दुकानदार हमसे लगातार यही बता रहे हैं कि ग्राहकों को लगता है कि इनमें भी कोरोना वायरस है, जिसको छूते ही उनमें भी कोरोना वायरस आ जाएगा।"

पिचकारियों के साथ ही रंग-गुलाल से भी लोग दूरी बना रहे हैं। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के अंतू में कई महीने पहले से ही अबीर-गुलाल बनने लगते हैं। कई जिलों से व्यापारी यहां अबीर-गुलाल खरीदकर ले जाते हैं। अमीनाबाद में श्रीराम चौराहे पर सड़क किनारे गुलाल बेचने वाले अमेठी के पप्पू यादव भी अंतू से गुलाल लाकर बेचते हैं।

प्रतापगढ़ से अबीर-गुलाल लाकर लखनऊ बेचते हैं पप्पू गुप्ता।

"पिछले कई साल से होली में यहीं गुलाल बेचता हूं, हम लोग गुलाल अंतू से खरीदकर लाते हैं और लखनऊ में रुककर होली के एक हफ्ते पहले से ही यहीं गुलाल बेचते हैं। लेकिन लोगों को यही लग रहा है कि गुलाल भी चीन से आया है, जबकि हम लोगों से बताते भी हैं।" पप्पू यादव ने बताया।

आईएमएआरसी की रिपोर्ट के अनुसार चीन के खिलौने का बाजार 2019 में 14.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था। 2020-2025 तक 27.2 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। चीन दुनिया के अग्रणी खिलौना बाजारों में से एक है।

लखनऊ के रकाबगंज और अहियागंज में कई थोक की दुकानें हैं जो बाहर से माल मंगाकर छोटे दुकानदारों को बेचती हैं। रकाबगंज चौराहे पर एशियन ट्रेडर्स नाम से खिलौनों के होल सेलर जाहिद अहमद कई महीने पहले से ही होली की तैयारी शुरू कर देते हैं। रंग-पिचकरियों से उनकी दुकान भरी पड़ी है। लेकिन इस बार उतने ग्राहक नहीं आ रहे हैं।

जाहिद बताते हैं, "इस बाद बाजार बहुत मंदा है, वैसे तो हमारे यहां साल भर खिलौने बिकते हैं, होली में पिचकारियों से अच्छी कमाई जाती थी, लेकिन इस बार लग रहा है कि नुकसान हो जाएगा।"

रविवार को पुराने लखनऊ में बाजार की रौनक बढ़ जाती है, लेकिन पिचकारियों के बाजार में रविवार को भी रौनक नहीं आ पायी। नादान महल रोड पर सड़क किनारे ठेले पर पिचकारियां सजाए बैठे रकीब अहमद ग्राहक का इंतजार करते दिखे। रकीब ने बताया, "दोपहर हो गई लेकिन अभी तक सिर्फ एक पिचकारी बेच पाया हूं, त्योहारों में ही तो कमाई होती है, इसबार वो भी नहीं हो रही है।"

भारत के छोटे व्यापारियों के लिए डिजिटल मार्केटिंग के लिए काम करने वाले ऑनलाइन पोर्टल इंडिया ट्रेड के चीफ ऑपरेटिव ऑफिसर संदीप छेत्री बताते हैं, "हम देशभर के बड़े व्यापारियों को छोटे व्यापारियों से जोड़ते हैं, कोरोना के बाद जबसे चीन से माल आना बंद हुआ, पिछले साल के स्टॉक की जानकारी के लिए बहुत से फोन आए हैं, इससे हमें प्रोडक्ट का दाम भी बढ़ाना पड़ा।"

'कोरोनाश' सीरीज के दूसरे भाग में पढ़िए : कोरोना का साया: "पटरी दुकानदार ने कहा, पहले रोज़ 3000 रुपए का सामान बेचता था अब 600 तक पहुंचना मुश्किल"


   

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