सघनीकरण विधि से अरहर की खेती करने से ज्यादा पैदावार होगी
Harinarayan Shukla | Oct 24, 2017, 15:37 IST
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
गोंडा। देवीपाटन मंडल के हजारों किसानों ने नीलगाय के प्रकोप से अरहर की खेती छोड़ दी थी, लेकिन अब वही किसान अरहर की सघनीकरण विधि अपनाकर फिर से अरहर की खेती करने लगे हैं। गैर सरकारी संस्था स्पेस के प्रयास से मंडल के किसानों ने अरहर की खेती को फिर से अपना लिया है।
संस्था ने अरहर की खेती को बढ़ावा देने के लिए घर-घर जाकर किसान परिवारों के साथ बैठकर उनके एक वर्ष का कृषि कैलेण्डर बनाया गया। वर्ष 2015-16 में 24 किसानों के साथ पांच एकड़ में अरहर की खेती को शुरू करवाया गया, जिसमें परम्परागत की तुलना में तीन से चार गुना अधिक उत्पादन हुआ। इस साल छह सौ किसानों द्वारा दस ग्राम पंचायतों में 200 एकड़ अरहर की खेती की गई है। यहां पर अरहर की फसल लोगों को लुभा रही है।
किशुनपुर ग्रांट गाँव के किसान रामू (45 वर्ष) बताते हैं, “इस बार अरहर की फसल बहुत अच्छी हुई है, ऐसा ही रहा तो खेती से दाल खाने व बेचने को मिलेगी।”
इस विधि में अरहर के बीज की मात्रा बहुत कम लगती है, जहां परम्परागत विधि में चार से पांच किग्रा बीज एक एकड़ में लगता है वही सघनीकरण विधि में इतने ही क्षेत्र में मात्र 500 ग्राम बीज ही लगता है।
इस विधि में सबसे पहले अरहर के बीज को ट्राइकोडर्मा व राइर्ज़ोबियम कल्चर के साथ शोधित कर लेते हैं। उसके बाद खेत में दो गुना एक मीटर की मेड़ या थाला बनाकर दो बीज की बुवाई करते हैं और जमाव के बाद एक पौधा उखाड़ देते हैं। पौधे से पौधे के बीच की दूरी एक मीटर व लाइन से लाइन के बीच की दूरी दो मीटर रखते हैं।
दूसरी विधि में पौधे से पौधे के बीच की दूरी एक मीटर एवं लाइन से लाइन के बीच की दूरी दो मीटर रखते हैं। पहली वाली विधि में एक एकड़ खेत में लगभग 2000 पौधे आते हैं जबकि दूसरी विधि एक गुना एक मीटर दूरी वाले खेत में एक एकड़ में लगभग 4000 पौधे आते हैं। दो गुना एक की दूरी वाले खेत के दो लाइनों के बीच उर्द की तीन लाइनों की बुवाई करके एक अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर लेते हैं।
अरहर की बुवाई के 45 और 75 दिनों बाद दो बार इसके कोपलों की कटाई कर देते हैं, जिससे कारण इसमें शाखाओं की संख्या अधिक बढ़ जाती है। जहां परम्परागत वाले खेत में तीन से पांच शाखाएं मिलती हैं वही सघनीकरण विधि में पांच से 10 शाखाएं निकलती हैं, जिस कारण उत्पादन में तीन गुने का अंतर आता है। सघनीकरण विधि में जब पहली बार खेत में फूल दिखाई पड़ने लगता है, तभी से नीम तेल या नीमास्त्र का हर 15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करना शुरू कर देते हैं, जिस कारण खेत में फली छेदक कीट नहीं लगते है, जिससे फसल पूरी तरह से सुरक्षित रहती है, जिससे एक एकड़ में लगभग 12 से 15 कुंतल का उपज प्राप्त होता है।
सघनीकरण विधि की सफलता को देखकर इस समय में 10 ग्राम पंचायतों के 700 किसान लगभग 200 एकड़ में सघनीकरण विधि से खेती करके अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर काफी खुशहाल दिख रहे है।
उपनिदेषक कृषि मुकुल तिवारी कहते हैं, “सघनीकरण खेती से अरहर फसल की पैदावार बढ़ेगी, इससे अन्य किसानों को अरहर पैदा करने की भावना पैदा होगी।
स्पेस संस्था के सचिव संजय पांडेय बताते हैं, “दो साल किसानों को प्रेरित करने में लगा, पहले साल कुल 24 किसानों ने सधनीकरण विधि अपनायी, दूसरे साल यह संख्या 600 पहुंच गई जो सफलता के लिए सकारात्मक उम्मीद किसानों में दिख रही है।”
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गोंडा। देवीपाटन मंडल के हजारों किसानों ने नीलगाय के प्रकोप से अरहर की खेती छोड़ दी थी, लेकिन अब वही किसान अरहर की सघनीकरण विधि अपनाकर फिर से अरहर की खेती करने लगे हैं। गैर सरकारी संस्था स्पेस के प्रयास से मंडल के किसानों ने अरहर की खेती को फिर से अपना लिया है।
संस्था ने अरहर की खेती को बढ़ावा देने के लिए घर-घर जाकर किसान परिवारों के साथ बैठकर उनके एक वर्ष का कृषि कैलेण्डर बनाया गया। वर्ष 2015-16 में 24 किसानों के साथ पांच एकड़ में अरहर की खेती को शुरू करवाया गया, जिसमें परम्परागत की तुलना में तीन से चार गुना अधिक उत्पादन हुआ। इस साल छह सौ किसानों द्वारा दस ग्राम पंचायतों में 200 एकड़ अरहर की खेती की गई है। यहां पर अरहर की फसल लोगों को लुभा रही है।
किशुनपुर ग्रांट गाँव के किसान रामू (45 वर्ष) बताते हैं, “इस बार अरहर की फसल बहुत अच्छी हुई है, ऐसा ही रहा तो खेती से दाल खाने व बेचने को मिलेगी।”
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क्या है सघनीकरण विधि
इस विधि में सबसे पहले अरहर के बीज को ट्राइकोडर्मा व राइर्ज़ोबियम कल्चर के साथ शोधित कर लेते हैं। उसके बाद खेत में दो गुना एक मीटर की मेड़ या थाला बनाकर दो बीज की बुवाई करते हैं और जमाव के बाद एक पौधा उखाड़ देते हैं। पौधे से पौधे के बीच की दूरी एक मीटर व लाइन से लाइन के बीच की दूरी दो मीटर रखते हैं।
दूसरी विधि में पौधे से पौधे के बीच की दूरी एक मीटर एवं लाइन से लाइन के बीच की दूरी दो मीटर रखते हैं। पहली वाली विधि में एक एकड़ खेत में लगभग 2000 पौधे आते हैं जबकि दूसरी विधि एक गुना एक मीटर दूरी वाले खेत में एक एकड़ में लगभग 4000 पौधे आते हैं। दो गुना एक की दूरी वाले खेत के दो लाइनों के बीच उर्द की तीन लाइनों की बुवाई करके एक अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर लेते हैं।
अरहर की बुवाई के 45 और 75 दिनों बाद दो बार इसके कोपलों की कटाई कर देते हैं, जिससे कारण इसमें शाखाओं की संख्या अधिक बढ़ जाती है। जहां परम्परागत वाले खेत में तीन से पांच शाखाएं मिलती हैं वही सघनीकरण विधि में पांच से 10 शाखाएं निकलती हैं, जिस कारण उत्पादन में तीन गुने का अंतर आता है। सघनीकरण विधि में जब पहली बार खेत में फूल दिखाई पड़ने लगता है, तभी से नीम तेल या नीमास्त्र का हर 15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करना शुरू कर देते हैं, जिस कारण खेत में फली छेदक कीट नहीं लगते है, जिससे फसल पूरी तरह से सुरक्षित रहती है, जिससे एक एकड़ में लगभग 12 से 15 कुंतल का उपज प्राप्त होता है।
किसानों को भा रही अरहर बुवाई की ये विधि
उपनिदेषक कृषि मुकुल तिवारी कहते हैं, “सघनीकरण खेती से अरहर फसल की पैदावार बढ़ेगी, इससे अन्य किसानों को अरहर पैदा करने की भावना पैदा होगी।
स्पेस संस्था के सचिव संजय पांडेय बताते हैं, “दो साल किसानों को प्रेरित करने में लगा, पहले साल कुल 24 किसानों ने सधनीकरण विधि अपनायी, दूसरे साल यह संख्या 600 पहुंच गई जो सफलता के लिए सकारात्मक उम्मीद किसानों में दिख रही है।”
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