जौनपुर : किसानों की फसल सूख रही, ​अधिकारियों ने पानी पीएम के क्षेत्र में मोड़ा

गाँव कनेक्शन | Sep 20, 2017, 18:52 IST

बीसी यादव/ब्रजेश उपाध्याय

स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

मछलीशहर/खुटहन (जौनपुर)। एक तरफ किसानों की हजारों एकड़ फसल पानी न मिल पाने की वजह से सूख रही है तो वहीं दूसरी ओर अधिकारी अपना गिरेबां बचाने में जुटे हैं। आगामी 23 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी दौरे के मद्देनजर जौनपुर जिले के चार ब्लॉकों की नहर में पानी छोड़ने की बजाय अधिकारियों ने इसका रुख वाराणसी की ओर मोड़ दिया है। जबकि रोस्टर के मुताबिक पानी जौनपुर के ब्लॉकों से गुजरी नहर में मिलना चाहिए। इससे करीब 500 गांवों में धान की फसल पर खतरा मंडरा रहा है। वहीं दूसरी ओर खुटहन इलाके में लो वोल्टेज और अघोषित बिजली कटौती ने भी धान की फसल को नुकसान पहुंचाया है। किसान सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। इसे फसल सूख रही है।

भाजपा सरकार जहां किसानों का कर्ज माफ करके उन्हें राहत दे रही है, तो उनके अधिकारी किसानों को कर्ज में डुबाने वाला काम कर रहे हैं। इस बात को इसलिए बल मिल रहा है, क्योंकि किसानों की धान की फसल नहरों में पानी न होने के चलते सूख रही है और अधिकारी हैं कि किसानों के हक का पानी अपनी गिरेबां बचाने के लिए दूसरी ओर मोड़ दे रहे हैं। दरअसल, प्रतापगढ़ के कहला गांव से निकली शारदा सहायक खंड 39 नहर जौनपुर जिले के बाद बरसठी, रामपुर, मछलीशहर और मुंगराबादशाहपुर से होकर गुजरती है। इससे छोटी—बड़ी कुल 72 नहरें इसे जुड़ी हैं। इससे करीब 500 गांव के किसान सिंचाई के लिए पानी लेते हैं।

अधिकारियों का आलम यह है कि नहर की पानी देने का जो रोस्टर उन्होंने बनाया है। उसके हिसाब से नहरों में पानी नहीं छोड़ते हैं। शारदाय सहायक खंड 39 में नहर में शेड्यूल के मुताबिक 6 सितंबर को पानी मिल जाना चाहिए था लेकिन अधिकारियों ने 13 सितंबर को पानी दिया। वह भी सिर्फ 150 क्यूसेक जबकि पानी 450 क्यूसेक छोड़ना चाहिए था। कम पानी होने की वजह से नहरों में कुलाबों तक पानी नहीं पहुंचा। इसलिए किसानों को पानी के लिए पंप लगाना पड़ा। हालांकि इससे भी उनकी जरूरत पूरी नहीं हो सकी।

वहीं रोस्टर के अनुसार 15 दिन या कम से कम 10 दिन तक तो पानी नहर में छोड़ते रहना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। 3 दिन के अंदर ही पानी बंद करके इसका रुख मड़ियाहूं ब्रांच की नरह में मोड़ दिया गया। यह नहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जाती है। अधिकारियों को यह डर सता रहाा है कि कहीं पीएम की जनसभा के दौरान किसानों ने इस समस्या को उठा दिया तो उनका क्या होगा। इसलिए अधिकारियों ने उन किसानों की जिनकी फसल पानी के अभाव में सूख रही उनकी परवावह किए बिना वाराणसी की ओर नहर का पानी मोड़ दिया।

किसानों का दर्द

मछलीशहर ब्लॉक के अगहुआ गांव निवासी भानू प्रताप सिंह 55 वर्ष का कहना है कि एक तो पानी इतना कम दिया गया। उस पर से जल्द ही बंद कर दिया गया। हम किसानों की समस्या कोई समझने वाला नहीं है। फसल सूख जाएगी तो हम किसानों का बहुत नुकसान होगा। इसकी भरपाई कैसे होगी। यही हाल रहा तो फसल सूखना तय है। मुंगराबादशाहपुर ब्लॉक के मोल्नापुर गांव निवासी दारा सिंह 38 वर्ष ने बताया कि बारिश अपेक्षा के अनुसार नहीं हुई। धान की फसल को ज्यादा पानी की जरूरत होती है, जो नहर से पूरी हो जाती है। अब जब नहर में पानी ही नहीं है तो किसान कैसे सिंचाई करें। किसानों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है।

एसएन पांडेय, अधिशासी अभियंता, नहर विभाग

बिजली की कमी सुखा रही है धान की फसल

वहीँ खुटहन ब्लॉक के किसानों के साथ कोई एक समस्या नहीं है। खुटहन इलाके में नहर कम है। यहां के ज्यादातर किसान ट्यूबवेल के पानी या फिर बारिश के पानी से सिंचाई पर निर्भर हैं। इन दिनों किसानों के साथ समस्या यह है कि उन्हें बिजली नहीं मिल रही है। क्षेत्र में अघोषित
बिजली कटौती के चलते किसानों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यदि बिजली मिल भी गई तो लो वोल्टेज ने समस्या और बढ़ा दी है। जिसकी वजह से किसान सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं।

पिलकिछा गांव निवासी राकेश मिश्रा (40 वर्ष) का कहना है कि बिजली की समस्या से हमारी काफी फसल बर्बाद होने की कगार पर है। इस वक्त फसल को पानी की संख्त जरूरत है लेकिन बारिश नहीं हो रही है। वहीं हम किसान बिजली की समस्या के चलते ट्यूबवेल से भी सिंचाई नहीं पा रहे हैं। यह समस्या रुस्तमपुर समेत करीब दर्जनभर गांव के किसान राजेश पांडेय, संतोष तिवारी, राम कृपाल, झुल्लुर यादव, इंसान अंसारी की भी है। जबकि यह लोग सक्षम किसान माने जाते हैं। अब आप दूसरे छोटे किसानों की स्थिति का अंदाजा खुद ही लगा सकते हैं।

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