‘अब हम अपने जानवरों को गंगा में नहीं ले जाते’

Jitendra Chauhan | Jun 09, 2017, 15:46 IST

स्वयं कम्युनिटी जर्नलिट

रायबरेली। केंद्र सरकार नमामि गंगे परियोजना पर करोड़ों रुपए खर्च करके गंगा को निर्मल बनाने के दावे कर रही है, लेकिन रायबरेली का हाल अलग कहानी बयां कर रहा है। ऊंचाहार ब्लॉक में मौजूद एनटीपीसी से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ तथा केमिकल युक्त जल को सीधे नाले के माध्यम से गंगा में गिराया जाता है, जिससे गंगा दूषित हो रही है।

ऊंचाहार क्षेत्र के जब्बरिपुर गाँव की संतोष कुमार (38 वर्ष) ने बताया, “गर्मी के सीजन में पानी की कमी हो जाती है। पालतू जानवरों को नहलाने के लिए गंगा नदी में ले जाते थे, लेकिन गंगा का पानी बहुत दूषित हो गया है। अब हम लोग अपने जानवरों को गंगा में नहीं ले जाते।”

ऊंचाहार की एनजीओ संचालक मनोज मिश्रा (52 वर्ष) बताते हैं, “हम लोगों द्वारा एनटीपीसी के बगल में स्थित गाँव के पानी की जांच कराई गई। जांच में पानी में केमिकल की मात्रा अत्यधिक पाई गई जो स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रही है।”

ऊंचाहार सीएचसी प्रभारी डॉ. आरबी यादव ने बताया, “अगर पीने के पानी में केमिकल की मात्रा अधिक है तो इससे इंसानों में अस्थमा और पेट की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। इस दूषित पानी का नवजात शिशुओं पर अत्यधिक बुरा प्रभाव पड़ सकता है।”

इस संबंध में ऊंचाहार एसडीएम शिवानी सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया, “इसकी जांच करवाई जाएगी। एनटीपीसी का दूषित जल गंगा के जिस स्थान में गिरता है। वहां से पानी की सैंपलिंग लेकर प्रयोगशाला में भेजी जाएगी। जांच रिपोर्ट आने पर संबंधी आला अधिकारियों को शिकायती पत्र लिखा जाएगा तथा कंपनी के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।”

जिले में पांच नदियां पर सबका पानी दूषित

केंद्र सरकार ने गंगा नदी की सफाई के लिए तो गंगा सफाई अभियान शुरू किया है, लेकिन इसके अलावा अन्य नदियों की ओर सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है। जनपद से छोटी-बड़ी मिलकर कुल पांच नादियां गुजरती हैं, लेकिन सरकार की अनदेखी से इन नादियों का पानी दूषित हो जाता है।

जनपद में 120 किमी यमुना, 110 किमी सेंगर नदी, 100 किमी अहनैया नदी, 60-60 किमी पुरहा व सिरसा नदी का बहाव है। इन नदियों में विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले कचरे ने इनके बहाव को ही थाम दिया है। वर्तमान में शहर से निकलने वाले नालों का गंदा पानी भी इन नदियों को दूषित कर रहा है।

तहसील चकरनगर क्षेत्र के निवासी ठाकुर नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया, “नदी के जल को प्रदूषित होने से रोकने के लिए क्षेत्र वासियों ने काफी प्रयास किए, लेकिन कोई न कोई व्यक्ति नदियों में गंदगी डाल ही देता है, जिसके कारण नदियों का पानी प्रदूषित हो जाता है।”

बकेवर थाना क्षेत्र के पं. मुनिव्यास (50 वर्ष) का कहना है, “नदियों के पाने को प्रदूषित होने से बचाने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए। इसके लिए सिंचाई विभाग की जिम्मेदारी बनती है कि वह नदियों के पानी को साफ रखने के लिए क्या उपाय कर सकते हैं।” रामगंगा नहर कमांड के अधिशाषी अभियंता आरबी सिंह का कहना है, “समय-समय पर नदियों की सफाई कराई जाती है।

पानी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए ग्राम वासियों को भी बताया जाता है कि किसी प्रकार की गंदगी, कचरा या अन्य सामग्री नदियों में न फेंके।”

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

Tags:
  • Swayam Project
  • Ganga
  • NTPC
  • unchahar
  • हिन्दी समाचार
  • Samachar
  • Namami Ganga Project