पीलीभीत में टाइगर रिजर्व से सटे गाँवों में लगेंगे सोलर तार फेंसिंग सिस्टम

गाँव कनेक्शन | Jul 29, 2017, 15:05 IST

स्वयं कम्युनिटी जनर्लिस्ट

पीलीभीत। टाइगर रिजर्व के जंगलों के किनारे बसे 99 गाँवों में पिछले एक साल से लगातार बाघ के हमले होते रहे हैं। इसके अलावा तेंदुए और भालुओं के हमले में भी कई बार ग्रामीण घायल हुए हैं या मारे गए हैं। लिहाजा वन विभाग सोलर तार फेंसिंग सिस्टम लगाने जा रहा है। इसके लिए बजट भी मंजूर कर दिया गया है।

जंगल के आसपास खेतों में अक्सर बाघ आ जाता है और मौका पाकर ग्रामीणों पर हमला कर देता है। बाघों की जंगल से बाहर निकलने की मुख्य वजह टाइगर रिजर्व जंगलों की चौड़ाई का कम होना भी है। थाना न्यूरिया क्षेत्र के ग्राम रूपपुर सहजना निवासी (55 वर्षीय) किसान दीनदयाल बताते हैं, “हमारे गाँव के खेतों में अक्सर जंगल से भालू, बाघ आदि निकल आते हैं और अचानक किसानों पर हमला कर देते हैं। 14 सितंबर 2016 को हमारे गाँव के किसान ईश्वरी प्रसाद पर भालू ने हमला कर दिया था। किसी तरह उनकी जान बच पाई। अब सोलर तार फेंसिंग सिस्टम से जंगली जानवरों के खेतों में आने की आशंका कम हो जाएगी।”

वन विभाग के मुताबिक सरकार की ओर से सात करोड़ रुपए का बजट मंजूर कर दिया गया है। इसमें तीस लाख रुपए जंगल किनारे बसने वाले ग्रामीण इलाकों में सोलर फेंसिंग कराने के लिए आवंटित किए गए हैं। सोलर तार फेंसिंग से इन इलाकों में बाघ के आने की आशंका कम हो जाएगी।

इसके अलावा बाघ के सर्च ऑपरेशन के दौरान जिन किसानों की फसल उजड़ी है, उन्हें मुआवजा देने पर भी विचार किया जा रहा है। बता दें कि हाथियों के जरिए बाघ के सर्च ऑपरेशन के दौरान किसानों की फसल कई बार बर्बाद हो जाती है और इसके लिए वे वन विभाग से मुआवजे की मांग करते रहे हैं। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डीएफओ कैलाश प्रकाश ने मुआवजे के लिए वनरक्षक से दस लाख रुपए की डिमांड की है।

जिले के 23 प्रतिशत हिस्से में फैला है टाइगर रिजर्व

पीलीभीत टाइगर रिजर्व पूरे जिले के 23 प्रतिशत हिस्से में 730.24 किमी. स्क्वायर में फैला हुआ है। वर्ष 2005 में टाइगर रिजर्व का प्रपोजल बनाकर तैयार कर लिया गया था, जिसे अप्रैल 2008 में भारत सरकार को भेज दिया गया और सितंबर 2008 में पीलीभीत के जंगलों को टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया। यह टाइगर रिजर्व प्रदेश के तीन जिलों लखीमपुर, बहराइच और पीलीभीत की सीमाओं को छूता है। इस जंगल में 36 से लेकर 45 बंगाल टाइगर हैं। इसके अलावा तेंदुआ, भालू और हिरण आदि भी पाए जाते हैं। वर्ष 2015 में इन जंगलों में घूमने के लिए देश-विदेश से पचास हजार पर्यटक आए।

डीएफओ कैलाश प्रकाश ने बताया “केंद्र और प्रदेश सरकार से जो सात करोड़ पर मंजूर हुए हैं, उसमें दो करोड़ रुपए वन विभाग के कर्मचारियों के मानदेय में खर्च किए जाएंगे। उसके बाद तार फेंसिंग का कार्य कराया जाएगा। बाकी पैसों से टाइगर रिजर्व में अन्य कार्य कराएं जाएंगे। साथ ही किसानों को मुआवजे के लिए भी धन मांगा गया, मंजूर होने पर किसानों को उनकी फसल का मुआवजा दिया जाएगा।”

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

Tags:
  • Swayam Project
  • pilibhit
  • Tiger Reserve
  • टाइगर रिजर्व
  • Samachar
  • hindi samachar
  • सोलर तार फेंसिंग सिस्टम
  • solar fencing