इनके रहते खेती करना किसी चुनौती से कम नहीं
गाँव कनेक्शन | May 26, 2017, 19:19 IST
हरिनरायण शुक्ल, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
गोंडा। छुट्टा जानवरों के आतंक से किसान परेशान हैं। छुट्टा जानवर किसानों की फसल को बर्बाद कर रहे हैं। किसानों को दिन-रात फसल की रखवाली करनी पड़ती है। जिले में चार तहसीले हैं जहां पर एक लाख किसान गन्ने की खेती करते हैं, जिनके लिए गन्ने की फसल की सुरक्षा एक चुनौती बन गई है।
सदर तहसील की ग्रामपंचायत अनेगी में तीन साल पहले चार-पांच गायें आईं और झुंड में रहने लगीं। बाद में इनकी संख्या पचास पार कर गई। इनमें 15 बैल हैं। ये झुंड एक जगह डेरा डाल देता है और सुबह किसी का खेत साफ कर देता है।वहीं तरबगंज तहसील के टिकरी रेंज में दो चार गायें चार साल पहले गईं और अब इनकी तादाद एक हजार पहुंच गई। ये गाय दिन में जंगल और रात में खेत में जाकर फसल चर लेती हैं।
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टीरंगा राजू, डीएफओ
इसके अलावा इटियाथोक, खरगूपुर, कटराबाजार, परसपुर, तरबगंज, वजीरगंज, खोरहसां, नवाबगंज, घानेपुर, बभनजोत, छपिया इलाके से छुट्टा जानवरों की संख्या एक हजार पार कर गई। गाँव अनेगी के किसान विट्टा (35 वर्ष) का कहना है, “हमारे क्षेत्र में आवारा पशुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
विनय सिंह, जिला कृषि अधिकारी
इससे खेती करना एक चुनौती बन गया है। किसान की समस्याएं पहले से बहुत थीं, अब तो कोई सुनने को तैयार नहीं है।” वहीं गाँव फरेंदा शुक्ल निवासी राम उजागर शुक्ल (55 वर्ष) का कहना है, “अपनी फसल को बचाने के लिए 24 घंटे रखवाली करनी पड़ती है। आवारा पशु जी का जंजाल बनते जा रहे हैं।” गाँव फरेंदा शुक्ल के ही रहने वाले मुन्नू मिश्र (30 वर्ष) का कहना, “सारी रात खेत में रहने के लिए मडहा रखा दिया है। गांव से बाहर रहकर फसल की देखरेख कर रहा हूं।”
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गोंडा। छुट्टा जानवरों के आतंक से किसान परेशान हैं। छुट्टा जानवर किसानों की फसल को बर्बाद कर रहे हैं। किसानों को दिन-रात फसल की रखवाली करनी पड़ती है। जिले में चार तहसीले हैं जहां पर एक लाख किसान गन्ने की खेती करते हैं, जिनके लिए गन्ने की फसल की सुरक्षा एक चुनौती बन गई है।
सदर तहसील की ग्रामपंचायत अनेगी में तीन साल पहले चार-पांच गायें आईं और झुंड में रहने लगीं। बाद में इनकी संख्या पचास पार कर गई। इनमें 15 बैल हैं। ये झुंड एक जगह डेरा डाल देता है और सुबह किसी का खेत साफ कर देता है।वहीं तरबगंज तहसील के टिकरी रेंज में दो चार गायें चार साल पहले गईं और अब इनकी तादाद एक हजार पहुंच गई। ये गाय दिन में जंगल और रात में खेत में जाकर फसल चर लेती हैं।
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छुट्टा जानवर एक बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं। टिकरी रेंज में एक हजार गाय आ गई हैं जो फसल को नुकसान पहुंचा रही हैं। इन पर रोक लगाने का अधिकार जंगल विभाग को नहीं है।
इसके अलावा इटियाथोक, खरगूपुर, कटराबाजार, परसपुर, तरबगंज, वजीरगंज, खोरहसां, नवाबगंज, घानेपुर, बभनजोत, छपिया इलाके से छुट्टा जानवरों की संख्या एक हजार पार कर गई। गाँव अनेगी के किसान विट्टा (35 वर्ष) का कहना है, “हमारे क्षेत्र में आवारा पशुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
किसान दिवस व अन्य कार्यक्रम में छुट्टा जानवर का मुद्दा उठा, लेकिन यह लाइलाज समस्या दिख रही है।
इससे खेती करना एक चुनौती बन गया है। किसान की समस्याएं पहले से बहुत थीं, अब तो कोई सुनने को तैयार नहीं है।” वहीं गाँव फरेंदा शुक्ल निवासी राम उजागर शुक्ल (55 वर्ष) का कहना है, “अपनी फसल को बचाने के लिए 24 घंटे रखवाली करनी पड़ती है। आवारा पशु जी का जंजाल बनते जा रहे हैं।” गाँव फरेंदा शुक्ल के ही रहने वाले मुन्नू मिश्र (30 वर्ष) का कहना, “सारी रात खेत में रहने के लिए मडहा रखा दिया है। गांव से बाहर रहकर फसल की देखरेख कर रहा हूं।”
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