खरीफ मूली की खेती के लिए तापमान अनुकूल

Devanshu Mani Tiwari | May 28, 2017, 15:18 IST

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। मौजूदा समय में तेज़ गर्मी के साथ-साथ रात में चलने वाली ठंडी हवाओं के कारण खरीफ मूली की खेती के लिए तापमान अनुकूल हो गया है। इसलिए मूली की उन्नत किस्मों का चुनाव कर किसान इस समय खरीफ मूली बो सकते हैं।

खरीफ सीज़न में मूली की उन्नत खेती के लिए मूली की उन्नत किस्मों के चुनाव को अहम बताते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में बीज उत्पादन इकाई के प्रमुख डॉ. बीएस तोमर बताते हैं,’’ खरीफ मूली की खेती अभी से ही शुरू कर सकते हैं, वैसे 15 जुलाई के बाद खरीफ मूली बोने से अच्छी पैदावार मिलेगी। किसान अगर पूसा द्वारा विकसित पूसा चेतवी किस्म की मूली का चयन कर इसकी खेती करें, तो कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।’’

मूली की खेती के लिए तैयार किए जाने वाले खेत की मिट्टी में किसी तरह के ठोस अवशेष नहीं रहना चाहिए इसलिए बुवाई से पहले खेत को पांच से छह बार जोतना बहुत होता है। मैदानी क्षेत्रों में मूली की खरीफ बुवाई के लिए जून से जुलाई के अंत तक का समय अच्छा है। डॉ. बीएस तोमर आगे बताते हैं, “पूसा द्वारा विकसित की गई पूसा-चेतकी मूली की पैदावार 250 कुंतल प्रति हेक्टेयर मिलती है। यह मूली करीब 15 से 22 सेमी लंबी होती है। मूली की यह किस्म 40 से 45 दिनों में तैयार हो जाती है।’’

मूली की खेती के लिए खेत में मेढ़ बनाकर खेती करनी चाहिए। इसमें मेढ़ों के बीच की दूरी 40 सेमी और ऊंचाई 20 सेमी तक रखनी चाहिए। मूली की एक हेक्टेयर खेती के लिए नौ से बारह किग्रा बीज की आवश्यकता होती है।

बरगडा रोग से रहें सतर्क

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के मुताबिक खरीफ मूली की फसल में सबसे ज़्यादा खतरा बरगडा रोग से होता है। बरगडा रोग पत्तियों और तनों से रस चूसता है। इसके बचाव के लिए जरूरत पड़ने पर ही मिथाइल एक्सट्रैक्ट दवा प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। इस रोग से बचने का सबसे कारगर तरीका है लकड़ी की राख का खेतों में डस्टिंग करना।

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