अफसरों से गुहार लगाने के बावजूद नहीं मिल पा रहा महिला को उसका हक
गाँव कनेक्शन | Jun 13, 2017, 09:08 IST
मोहम्मद आमिल, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
एटा। सरकार गरीबों के रहने के लिए आवास, पेट भरने के लिए अन्न देने की योजनाएं तो बना देती है, लेकिन जरुरत मंदों के लिए यह योजनाएं सिर्फ कोरे वायदे साबित होते हैं। कुछ ऐसा ही महसूस कर रही है एटा से 11 किलोमीटर दूर शीतलपुर ब्लाक की ग्राम पंचायत बरौली के गाँव सहसपुर की 30 वर्षीय मन्जू पत्नी रामनरेश।
मन्जू की शादी को तकरीबन दस साल हो गए है पति रामनरेश मजदूरी करता है जिससे उसकी आमदनी कम होने के कारण वह अपना मकान नहीं बना सका। ऐसे में मन्जू ने सरकारी मदद पाने की गुहार जिलाधिकारी से लगायी। जिलाधिकारी कार्यालय से जांच डीआरडीए भेजी गयी वहा से जांच बढ़कर शीतलपुर ब्लाक पहुंची। ब्लाक पर आकर जांच रूकी हुई है।
सेक्रेटरी की लेटलतीफी के कारण मन्जू आज भी अपने परिवार के लिए सरकारी मदद का इंतजार कर रही है। मन्जू ने बताया , ‘‘हमारे पास कोई जमीन नहीं है। रहने के लिए कोई मकान नहीं है।” वह आरोप लगाते हुए बताती, ‘‘गाँव में धीमर जाति का उनका अकेला परिवार है, उनके साथ भेदभाव किया जाता है। राशन डीलर ने राशनकार्ड भी नहीं बनाया।मेरे परिवार को लोहिया आवास भी नहीं बना, जबकि गाँव के दूसरी जाति के लोगों को आवास भी बनवा दिए गए।”
“मन्जू के पति रामनरेश कहते हैं, ‘‘हमने डीएम साहब से मदद के लिए प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन गाँव का सेक्रेटरी अभी तक जांच नही कर पाया है।”इस सम्बंध में जब गांव के सेक्रेटरी सुरेन्द्र यादव से बात की तो उन्होने बताया,“मेरा एक्सीडेंट हो गया है, इसलिए मैं अभी ब्लाक नहीं गया हूं।
ब्लाक से प्रार्थना पत्र लेकर जांच करके रिपोर्ट लगा दूंगा।”वहीं जब ब्लाक में कार्यरत कम्प्यूटर आपरेटर विकास यादव से बात की तो उनका कहना था, ‘‘मन्जू नाम से प्रार्थना पत्र आया था, प्रार्थना पत्र जांच के लिए सेक्रेटरी को दे दिया है।”
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एटा। सरकार गरीबों के रहने के लिए आवास, पेट भरने के लिए अन्न देने की योजनाएं तो बना देती है, लेकिन जरुरत मंदों के लिए यह योजनाएं सिर्फ कोरे वायदे साबित होते हैं। कुछ ऐसा ही महसूस कर रही है एटा से 11 किलोमीटर दूर शीतलपुर ब्लाक की ग्राम पंचायत बरौली के गाँव सहसपुर की 30 वर्षीय मन्जू पत्नी रामनरेश।
मन्जू की शादी को तकरीबन दस साल हो गए है पति रामनरेश मजदूरी करता है जिससे उसकी आमदनी कम होने के कारण वह अपना मकान नहीं बना सका। ऐसे में मन्जू ने सरकारी मदद पाने की गुहार जिलाधिकारी से लगायी। जिलाधिकारी कार्यालय से जांच डीआरडीए भेजी गयी वहा से जांच बढ़कर शीतलपुर ब्लाक पहुंची। ब्लाक पर आकर जांच रूकी हुई है।
सेक्रेटरी की लेटलतीफी के कारण मन्जू आज भी अपने परिवार के लिए सरकारी मदद का इंतजार कर रही है। मन्जू ने बताया , ‘‘हमारे पास कोई जमीन नहीं है। रहने के लिए कोई मकान नहीं है।” वह आरोप लगाते हुए बताती, ‘‘गाँव में धीमर जाति का उनका अकेला परिवार है, उनके साथ भेदभाव किया जाता है। राशन डीलर ने राशनकार्ड भी नहीं बनाया।मेरे परिवार को लोहिया आवास भी नहीं बना, जबकि गाँव के दूसरी जाति के लोगों को आवास भी बनवा दिए गए।”
“मन्जू के पति रामनरेश कहते हैं, ‘‘हमने डीएम साहब से मदद के लिए प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन गाँव का सेक्रेटरी अभी तक जांच नही कर पाया है।”इस सम्बंध में जब गांव के सेक्रेटरी सुरेन्द्र यादव से बात की तो उन्होने बताया,“मेरा एक्सीडेंट हो गया है, इसलिए मैं अभी ब्लाक नहीं गया हूं।
ब्लाक से प्रार्थना पत्र लेकर जांच करके रिपोर्ट लगा दूंगा।”वहीं जब ब्लाक में कार्यरत कम्प्यूटर आपरेटर विकास यादव से बात की तो उनका कहना था, ‘‘मन्जू नाम से प्रार्थना पत्र आया था, प्रार्थना पत्र जांच के लिए सेक्रेटरी को दे दिया है।”
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