#WorldMosquitoDay : इस गाँव में मच्छरदानी में बांधे जाते हैं पशु, जानिए क्यों ?

दिवेंद्र सिंह | Aug 20, 2017, 14:49 IST
Shahjahanpur
शाहजहांपुर। इंसानों को मच्छरदानी लगाते सभी ने देखा होगा, लेकिन एक ऐसा भी गाँव हैं, जहां पर लोग मच्छरदानी लगा कर खुद को मच्छरों से बचाते ही है, साथ ही अपने पशुओं के लिए भी मच्छरदानी लगाते हैं।

शाहजहांपुर जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दक्षिण दिशा में बंडा ब्लॉक के बनिगवां गाँव में लगभग दस घर हैं। यहां के हर घर में चार-पांच पशु हैं और सब मच्छरदानी में ही रहते हैं।

लखबीर सिंह (30) की तीन गाय और एक भैंस शाम होते ही गुलाबी मच्छरदानी में बांध दी जाती हैं। लखबीर सिंह बताते हैं, "पिछले दस-बारह वर्षों से हम जून के महीने से मच्छरदानी लगा देते हैं, हमारी तरह उन्हें भी तो मच्छर काटते हैं।"

लखबीर सिंह की तीन गाय और एक भैंस शाम होते ही गुलाबी मच्छरदानी में बांध दी जाती हैं। बनिगवां गाँव में सभी किसान हैं और धान, गेहूं, गन्ना, आलू के साथ ही सब्जियों की भी खेती करते हैं। सभी के आलीशान घर बने हैं, लेकिन खाना परम्परागत चूल्हों पर ही बनता है। एक तरह यहाँ पर मिनी पंजाब की झलक दिखती है।

हरि सिंह (40) की चार भैसें उनके दो बच्चे और दो बकरियां भी मच्छरदानी में ही रहती हैं। हरि सिंह कहते हैं, "हमारा तराई इलाका है इसलिए मच्छर भी बहुत लगते हैं, मच्छर के काटने से पशुओं में कई बीमारियां हो जाती हैं और दूध भी कम कर देते हैं।" इसी गाँव के रेशम सिंह (49) बताते हैं, "बहुत पहले हम लोग पंजाब से आए थे और यहीं बस गए, हमारे यहां खेती और पशुपालन ही मुख्य पेशा है और वही हम यहां भी अपनाए हुए हैं।"

यहां पर लोग जाली का पूरा थान लाते हैं और घर पर पशुओं के हिसाब से मच्छरदानी सिलते हैं। 30 गुणा 20 की मच्छरदानी में लगभग 1500 से 1600 रूपए तक का खर्च आता है। एक बार मच्छरदानी बनने पर एक-दो साल तक चलती है।



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