By India Science Wire
निकोलसमाइड दवा की कई बार जाँच की जा चुकी है, और इसे विभिन्न स्तरों पर मानवीय उपयोग के लिए सुरक्षित पाया गया है। निकोलसमाइड एक जेनेरिक और सस्ती दवा है, जो भारत में आसानी से उपलब्ध है।
निकोलसमाइड दवा की कई बार जाँच की जा चुकी है, और इसे विभिन्न स्तरों पर मानवीय उपयोग के लिए सुरक्षित पाया गया है। निकोलसमाइड एक जेनेरिक और सस्ती दवा है, जो भारत में आसानी से उपलब्ध है।
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चाय पर दुनिया के सबसे पुराने शोध केंद्रों में शुमार टोकलाई चाय अनुसंधान संस्थान ने हाल ही में संस्थान के प्रायोगिक उद्यानों में से एक में विशिष्ट मित्र कीटों का एक झुंड छोड़ा है। ये कीट लूपर और चाय के मच्छर जैसे हानिकारक कीटों को अपना शिकार बनाते हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में चाय की झाड़ी का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है।
चाय पर दुनिया के सबसे पुराने शोध केंद्रों में शुमार टोकलाई चाय अनुसंधान संस्थान ने हाल ही में संस्थान के प्रायोगिक उद्यानों में से एक में विशिष्ट मित्र कीटों का एक झुंड छोड़ा है। ये कीट लूपर और चाय के मच्छर जैसे हानिकारक कीटों को अपना शिकार बनाते हैं, जिन्हें इस क्षेत्र में चाय की झाड़ी का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है।
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बैंगन में अक्सर कीट लगने की शिकायत रहती है। किसानों के तमाम जतन के बाद भी ये समस्या कम नहीं होती है। अब वैज्ञानिकों ने ऐसा रास्ता ख़ोज निकाला है जो न सिर्फ सुरक्षित है बल्कि किसानों के लिए आसान भी।
बैंगन में अक्सर कीट लगने की शिकायत रहती है। किसानों के तमाम जतन के बाद भी ये समस्या कम नहीं होती है। अब वैज्ञानिकों ने ऐसा रास्ता ख़ोज निकाला है जो न सिर्फ सुरक्षित है बल्कि किसानों के लिए आसान भी।
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विशेषज्ञों के अनुसार आईआईटी मद्रास द्वारा विकसित इस उपकरण को अब पांच हजार से ज्यादा लोगों का परीक्षण किया गया है, साथ ही भारत के साथ ही नीदरलैंड के कई अस्पतालों में इसका उपयोग किया जा रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार आईआईटी मद्रास द्वारा विकसित इस उपकरण को अब पांच हजार से ज्यादा लोगों का परीक्षण किया गया है, साथ ही भारत के साथ ही नीदरलैंड के कई अस्पतालों में इसका उपयोग किया जा रहा है।
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शोधकर्ताओं का कहना है कि रागी की ये बहुमूल्य किस्में स्थानीय समुदाय की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती हैं, और इनके उच्च उपज गुणों का उपयोग नई किस्मों के विकास में हो सकता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि रागी की ये बहुमूल्य किस्में स्थानीय समुदाय की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती हैं, और इनके उच्च उपज गुणों का उपयोग नई किस्मों के विकास में हो सकता है।
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एक नये अध्ययन में भारतीय शोधकर्ता सूक्ष्मजीवों की मदद से मिट्टी की पकड़ मजबूत करने की पद्धति विकसित कर रहे हैं।
एक नये अध्ययन में भारतीय शोधकर्ता सूक्ष्मजीवों की मदद से मिट्टी की पकड़ मजबूत करने की पद्धति विकसित कर रहे हैं।
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आईआईटी, मद्रास के शोधकर्ताओं ने रिसर्च में कई महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाईं हैं। वर्ष 2002 में सार्स-सीओवी के ही एक स्वरूप ने अपना प्रकोप दिखाया था, लेकिन अब सार्स-सीओवी2 पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा है। कंप्यूटेशनल टूल्स का उपयोग कर शोधकर्ता कर रहे रिसर्च।
आईआईटी, मद्रास के शोधकर्ताओं ने रिसर्च में कई महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाईं हैं। वर्ष 2002 में सार्स-सीओवी के ही एक स्वरूप ने अपना प्रकोप दिखाया था, लेकिन अब सार्स-सीओवी2 पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा है। कंप्यूटेशनल टूल्स का उपयोग कर शोधकर्ता कर रहे रिसर्च।
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यह मॉडल सड़कों पर उन संवेदनशील स्थानों की पहचान करने में मदद कर सकता है, जिन्हें राजमार्गों पर भारी वर्षा के कारण होने वाले रुकावटों को रोकने के लिए संरक्षित करने की आवश्यकता होती है।
यह मॉडल सड़कों पर उन संवेदनशील स्थानों की पहचान करने में मदद कर सकता है, जिन्हें राजमार्गों पर भारी वर्षा के कारण होने वाले रुकावटों को रोकने के लिए संरक्षित करने की आवश्यकता होती है।
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इस अध्ययन में, गंगा की दो प्रमुख सहायक नदियों - भागीरथी और अलकनंदा, जो उत्तराखंड के देवप्रयाग में परस्पर विलीन होकर गंगा के रूप में जानी जाती हैं, पर ध्यान केंद्रित करते हुए पर्वतीय क्षेत्रों में मानव गतिविधियों के नदी पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण किया गया है।
इस अध्ययन में, गंगा की दो प्रमुख सहायक नदियों - भागीरथी और अलकनंदा, जो उत्तराखंड के देवप्रयाग में परस्पर विलीन होकर गंगा के रूप में जानी जाती हैं, पर ध्यान केंद्रित करते हुए पर्वतीय क्षेत्रों में मानव गतिविधियों के नदी पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण किया गया है।
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हिंदी और अंग्रेजी के अलावा, उर्दू, कश्मीरी, डोगरी, पंजाबी, गुजराती, मराठी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, बंगाली, असमिया, मैथिली और नेपाली के करीब 50 स्कोप प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल हुए। इनमें देशभर के विश्वविद्यालयों, विज्ञान व प्रौद्योगिकी केंद्रों और राज्य के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभागों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
हिंदी और अंग्रेजी के अलावा, उर्दू, कश्मीरी, डोगरी, पंजाबी, गुजराती, मराठी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, बंगाली, असमिया, मैथिली और नेपाली के करीब 50 स्कोप प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल हुए। इनमें देशभर के विश्वविद्यालयों, विज्ञान व प्रौद्योगिकी केंद्रों और राज्य के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभागों के प्रतिनिधि शामिल हैं।