आतंकवाद से जूझ रहे अफगानिस्तान में महिलाएं सीख रहीं खेती से कमाई के तरीके

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
आतंकवाद से जूझ रहे अफगानिस्तान में महिलाएं सीख रहीं खेती से कमाई के तरीकेअपने खेत में कृषि कार्य करती महिला किसान।

युद्धग्रस्त और तालिबानियों के जकड़न में फंसे अफगानिस्तान में वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की मदद से लगभग 100 महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत बनने के लिए बिजनेस मैनेजमेंट सीख रही हैं। ये महिलाएं सब्जी पैदावार, खाद्य प्रसंस्करण और कृषि के नए तरीके, फसलों को पैक करना और उन्हें बाजार तक पहुंचने का तरीका सीख रही हैं।

लीड रोल में महिलाएं

वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने अपनी वेबासइट पर बताया कि ऐतिहासिक दार-उल-अमन सड़क के नीचे राजा अमानुल्लाह के पैलेस के अवशेष काबुल में युद्ध और अस्थिरता के दिनों की याद दिलाते हैं। थोड़ा आगे बढ़ेंगे तो आप यूएनडीपी और कृषि सिंचाई जीवनरक्षा मंत्रालय (एमईएल) की साझेदारी में डब्ल्यूएफपी की सहायता से 100 महिलाओं द्वारा प्रबंधित किए जा रहे 80 एकड़ का विस्तार देखेंगे। इस खेत को इसका लोकेशन विशेष नहीं बनाता, यह विशेष इसलिए है क्योंकि यह अफगानिस्तान की पहला महिला-प्रबंधित कार्बनिक खेत है।

ये भी पढ़ें- शानदार : एक साल में 15 फसलें उगाती है यह महिला किसान

अप्रैल 2016 में शुरू हुई इस छह महीने की परियोजना में 100 कमजोर महिलाओं को सब्जी की खेती, खाद्य प्रसंस्करण और नई कृषि तकनीक के उपयोग और पैसे कमाने वाले कौशल सीखाए जा रहे हैं। इसमें इन्हें बाजार के लिए सब्जियों का उत्पादन और पैकेज तैयार करना भी सीखाया जा रहा है। अब ये महिलाएं अपनी कमाई से अपने परिवार का भरण-पोषण करेंगी और उन्हें आत्मनिर्भर बनाएंगी।

सबकी अपनी कहानी

परियोजना में शामिल सभी महिलाओं की एक अनोखी कहानी है। कुछ महिलाएं अपने परिवार के लिए खाना उपलब्ध कराने के लिए एकलौती हैं तो काई घर में विवाद होने कारण घर से बाहर है तो कोई संघर्ष के कारण अपने घर से दूर है। नोओरिया (45) कहती हैं कि खेत में काम करने का उनका मुख्य कारण ये है कि वे अपनी पांच बेटियों को स्कूल भेजना चाहती हैं।

लोगरा प्रांत का अपना घर छोड़ने के बाद नोओरिया काबुल में एक किराए के घर में रहती हैं। नोओरिया कहती हैं "मुझे फसल के लिए दो महीने का और इंतजार करना पड़ेगा, उसके बाद मैं बाजार में सब्जियां बेच सकूंगी।" "यह इंतजार करने का एक लंबा समय है, लेकिन जब मुझे लगता है कि अंत में मैं कमाऊंगी तो मन खुशी से उछल पड़ता है।"

परियोजना के दौरान महिलाओं को डब्लूएफपी से खाद्य सहायता मिलती है, जिसमें 83 किलो भोजन की आपूर्ति शामिल है, इसमें गढ़वाले गेहूं का आटा, दाल, गढ़वाले वनस्पति तेल और आयोडीनयुक्त नमक शामिल है। इस परियोजना से अभी तक 240 लोगों को रोजगार मिल चुका है।

ये भी पढ़ें- वेस्ट डी कम्पोजर की 20 रुपए वाली शीशी से किसानों का कितना फायदा, पूरी जानकारी यहां पढ़िए

महिलाओं को लाभ कमाने के तरीके सिखाए जा रहे हैं।

क्षमता को विकसित किया जा रहा

मेल (कृषि सिंचाई एवं पशुधन मंत्रालय) से किसानों को तकनीकी सहायता दी जा रही है जबकि डब्ल्यूएफपी और यूएनडीपी संयुक्त रूप से स्थानीय महिला कृषि प्रोड्यूसर्स ग्रुप के माध्यम से इस परियोजना को कार्यान्वित करते हैं। यह साझेदारी सामुदायिक स्तर पर महिलाओं को सशक्त तो बना ही रहा है साथ ही स्थानीय प्रशिक्षकों की क्षमता को भी विकसित कर रहा है।

अफगानिस्तान की महिलाएं व्यापार कौशल में भी पारंगत हो रही हैं। 40 वर्षीय जुबैदा बताती है कि "मेरे जमीन पर प्याज, टमाटर, बैंगन, मिर्च और मूली की पैदावार हो रही है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि ये संभव हो पाएगा। जुबैदा के पति बीमार हैं, इसलिए वे अपने खेत की जिम्मेदारी खुद उठा रही हैं।

ये भी पढ़ें- खेत में काम करने वाली महिलाएं भी बनेंगी वर्किंग वुमन, सरकार हर साल 15 अक्टूबर को मनाएगी महिला किसान दिवस

लाल-ओ-साराजंगल जिले से जुबैदा और उनके परिवार को सात साल पहले असुरक्षा और बेरोजगारी के कारण काबुल जाने के लिए मजबूर होना पड़ा था। खेत में आने के लिए वह हर सुबह और शाम तक एक लंबा सफर तय करती है। खेत में अपने काम के शीर्ष पर, वह टमाटर पेस्ट का उत्पादन करती है, ये अफगानी खाने के लिए आवश्यक होता है। जुबैदा इसे बाज़ार में या अपने पड़ोसियों को बेचती हैं।

सब्जियों को पैक करना भी सीखाया जा रहा ताकि सब्जियां अन्य बाजारों तक पहुंच पाएं।

अफगान सरकार परियोजना को देगी विस्तार

2017 तक परियोजना की स्थिरिता सुनिश्चित करने के लिए लाभार्थियों को व्यापार प्रबंधन प्रशिक्षण और मशीनरी देने, खाद्य उत्पादों को और बढ़िया पैक करने और उन्हें राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेचने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इस परियोजना से लोगों को बहुत लाभ हुआ है ऐसे में अफगान सरकार इसे एक से तीन साल तक और विस्तार देने पर विचार कर रही है। डब्लूएफपी चाहता है कि लोग प्राकृतिक आपदाओं के बाद भी मजबूत रहें।

समुदायों के लचीलेपन को और मजबूत किया जाए और कृषि की बुनियादी सुविधाओं के सुधार के लिए सिंचाई प्रणाली को उन्नत करने, मिट्टी की उत्पादकता बढ़ाने और आजीविका के विकल्प पर और ध्यान दिया जाए।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

       

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.