बीजोपचार के बाद ही करें इस समय उड़द की बुवाई, नहीं रहेगा मोजेक का खतरा
खरीफ में जुलाई के पहले सप्ताह से अगस्त के मध्य तक सफलतापूर्वक की जा सकती है।
Divendra Singh 28 Jun 2020 7:30 AM GMT
उड़द की खेती जायद और खरीफ दोनों मौसम में की जाती है, खरीफ में बोई गई फसल में सिंचाई की जरूरत कम पड़ती है, इस समय कीट व रोग लगने की संभावना भी कम रहती है। खरीफ में जुलाई के पहले सप्ताह से अगस्त के मध्य तक सफलतापूर्वक की जा सकती है।
खेत का चयन व तैयारी : समुचित जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए सब से सही होती है। वैसे दोमट से ले कर हलकी जमीन तक में इसकी खेती की जा सकती है। खेत की तैयारी के लिए सबसे पहले जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से के 2-3 जुताई देशी हल या हैरो से करें और उस के बाद ठीक से पाटा लगा दें।
ये भी पढ़ें : धान को रोग, कीटों से बचाने का ये उपाय है सबसे उम्दा
बीज की दर : बुवाई के लिए उड़द के बीज की सही दर 12-15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, खेत में अगर किसी वजह से नमी कम हो, तो 2-3 किलोग्राम बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर बढ़ाई जा सकती है।
बुवाई का समय : खरीफ मौसम में उड़द की बुवाई का सही समय जुलाई के पहले हफ्ते से ले कर 15-20 अगस्त तक है। अगस्त महीने के अंत तक भी इस की बुवाई की जा सकती है।
बीजोपचार : कवक जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए बीजों का कवकनाशी से शोधन करना जरूरी है। बीजशोधन के लिए 2.5 ग्राम कार्बंडाजिम या 2.5 ग्राम थीरम का प्रति किलोग्राम की दर से इस्तेमाल करना चाहिए।
ये भी पढ़ें : कृषि विशेषज्ञों की सलाह : अगर अब तक नहीं तैयार की धान की नर्सरी तो कम समय में तैयार होने वाली किस्मों का करें चयन
राइजोबियम उपचार : दलहनी फसल होने के नाते अच्छे जमाव, पैदावार व जड़ों में जीवाणुधारी गांठों की सही बढ़ोतरी के लिए राइजोबियम कल्चर से बीजों को उपचारित करना जरूरी होता है। एक पैकेट (200 ग्राम) कल्चर 10 किलोग्राम बीज के लिए सही रहता है। उपचारित करने से पहले आधा लीटर पानी का 50 ग्राम गुड़ या चीनी के साथ घोल बना लें। उस के बाद उस में कल्चर को मिला कर घोल तैयार कर लें। अब इस घोल को बीजों में अच्छी तरह से मिला कर सुखा दें। ऐसा बुवाई से 7-8 घंटे पहले करें।
बुवाई का तरीका : हल के पीछे कूंड़ में बुवाई करनी चाहिए, कूंड़ से कूंड़ की दूरी 35 से 45 सेंटीमीटर के बीच रखनी चाहिए। पौधे से पौधे के बीच की दूरी 10 सेंटीमीटर होनी चाहिए। बुवाई के बाद तीसरे हफ्ते में पासपास लगे पौधों को निकाल कर सही दूरी बना लें।
सिंचाई : उड़द की फसल में सिंचाई की जरूरत नहीं रहती है, लेकिन फिर भी यदि सितंबर महीने के बाद बारिश न हुई हो तो फलियां बनते समय एक बार हलकी सिंचाई जरूर करें। अधिक बारिश व जल भराव की स्थिति में पानी के निकलने की व्यवस्था करें, वरना फसल को नुकसान हो सकता है।
निराई-गुड़ाई : उड़द की अच्छी पैदावार के लिए 2 बार गुड़ाई करनी चाहिए. पहली बुवाई के 20-22 दिनों बाद और दूसरी बुवाई के 40-45 दिनों बाद। ऐसा करने से खरपतवार खत्म हो जाते हैं, जोकि अच्छी फसल व अच्छी पैदावार के लिए जरूरी है।
ये भी पढ़ें : कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में ज्यादा मुनाफे के लिए करें बाजरा की खेती
More Stories