कृषि विशेषज्ञों की सलाह : अगर अब तक नहीं तैयार की धान की नर्सरी तो कम समय में तैयार होने वाली किस्मों का करें चयन

Divendra Singh | Jun 27, 2018, 07:13 IST
जिन किसानों ने मानसून के देरी होने के कारण अभी तक नर्सरी की बुवाई अभी तक नहीं हो सकी है तो इस समय कम समय में तैयार होने वाली किस्मों की बुवाई करें, ये किस्में कम समय में तैयार हो जाती हैं।
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इस समय ज्यादातर क्षेत्रों में बारिश शुरू हो गई है, इसलिए धान रोपाई वाले खेत में एक फीट ऊंची मेड़ बनाएं जिससे बारिश के पानी को इकट्ठा किया जा सके। खरीफ मौसम की फसलों की बुवाई व देखरेख का समय होता है, ऐसे में किसान क्या कर सकते हैं, वैज्ञानिकों किसानों को कुछ सुझाव दिए हैं।

मौसम आधारित राज्य स्तरीय कृषि परामर्श समूह की वर्ष 2018 की पांचवीं बैठक में उपकार के सचिव ज्ञान सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर के मौसम वैज्ञानिक, कृषि विश्वविद्यालय, फैजाबाद के मौसम व पादप प्रजनन वैज्ञानिक, पशुपालन विभाग, मत्स्य विभाग, गन्ना विभाग, रेशम विभाग, उद्यान विभाग और परिषद के अधिकारियों/वैज्ञानिकों ने भाग लिया।

नरेन्द्र देव कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह बताते हैं, "जिन किसानों ने मानसून के देरी होने के कारण अभी तक नर्सरी की बुवाई अभी तक नहीं हो सकी है तो इस समय कम समय में तैयार होने वाली किस्मों की बुवाई करें, ये किस्में कम समय में तैयार हो जाती हैं।"

धान की खेती

नर्सरी की बुवाई के 10 दिन के अंदर ट्राईकोडर्मा का एक छिड़काव करें। धान की रोपाई के लिए मौसम अनुकूल है, इसलिए किसान रोपाई करें। 20-25 दिन वाली पौध की रोपाई प्रत्येक वर्गमीटर में 50 हिल और 2-3 पौधा प्रति हिल 3-4 सेमी. की गहराई तक करें। रोपाई के उपरान्त संकरी व चौड़ी पत्ती दोनों प्रकार के खरपतवारों के नियंत्रण के लिए ब्यूटाक्लोर 50 प्रतिशत ईसी 3-4 लीटर अथवा प्रोटिलाक्लोर 50 प्रतिशत ई.सी. 1.60 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 500 ली. पानी में घोलकर फ्लैटफैन नॉजिल से 2 इंच भरे पानी में रोपाई के 2-3 दिन के अन्दर छिड़काव करें।

मक्का की खेती

मध्यम अवधि की संकर प्रजातियों यथा-दकन-107, मालवीय संकर मक्का-2, प्रो-303 (3461), के.एच.-9451, के.एच.-510, एम.एम.एच.-69, बायो-9637, बायो-9682 एवं संकुल प्रजातियों नवजोत, पूसा कम्पोजिट-2, श्वेता सफेद, नवीन की बुवाई करें।

ज्वार की खेती

ज्वार की संस्तुत प्रजातियों यथा वर्षा, सी.एस.वी.-13, सी.एस.वी.-15, एस.पी.बी.-1388 (बुन्देला), विजेता और संकर प्रजातियों की सीएसएच-16, सीएसएच-9, सीएसएच-14, सीएसएच-18, सीएसएच-13 व सीएसएच-23 की बुवाई करें।

सोयाबीन की खेती

सोयाबीन की उन्नत एवं अधिक उपज देने वाली प्रजातियों जैसे पीके-472, पूसा-20, पीके-416, पीएस-1024, पीएस-1042, जेएस-335 तथा पीके-262 की बुवाई करें।

तिल की खेती

तिल की उन्नत व अधिक उपज वाली प्रजातियों जैसे आरटी-351, प्रगति, शेखर, टा-78, टा-13, टा-4 व टा-12 की बुवाई करें। फाइलोडी रोग से बचाव के लिए बुवाई के समय कूड़ में फोरेट 10 जी. 15 किग्रा. प्रति हेक्टेयर. की दर से प्रयोग करें।

मूंगफली की खेती

मूंगफली की उन्नतिशील प्रजातियों चन्द्रा उपरहार, उत्कर्ष, एम-13, अम्बर, चित्रा (एम.ए.10), कौशल (जी.201), टी.जी. 37ए, प्रकाश की बुवाई जुलाई पहले सप्ताह तक कर लें। इसके उपरान्त बुवाई करने पर फसल में बडनिक्रोसिस बीमारी लगने की संभावना ज्यादा होती है।

गन्ना की खेती

चोटी बेधक के प्रभावी नियंत्रण के लिये फ्यूराडान 1 किग्रा. (सक्रिय तत्व) या क्लोरेंटेन्लीप्रोल 375 एम.एल. प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में पर्याप्त नमी की अवस्था में प्रयोग करें। शरदकालीन गन्ने में हल्की मिट्टी चढ़ाए जिससे बढ़वार के साथ गन्ना ना गिरे और देर से निकलने वाले कल्ले कम से कम निकलें क्योंकि जुलाई के उपरान्त निकलने वाले कल्ले से उस वर्ष गन्ना नहीं बन पाता है।

सब्जियों की खेती

खरीफ सब्जियों जैसे बैंगन, मिर्च एवं फूलगोभी की अगेती किस्मों की नर्सरी में बुवाई करें। भिण्डी व लोबिया की बुवाई करें। हल्दी और अदरक की बुवाई जून में समाप्त करें, नये बागों में भी इनकी बुवाई की जा सकती है। वर्षाकालीन सब्जियों लौकी, तोरई, काशीफल व टिण्डा की बुवाई करें।

बागवानी

आम के बागों में फल मक्खी की संख्या जानने और उसके नियंत्रण के लिए कार्बरिल 0.2 प्रतिशत प्रोटीन हाइड्रोलाइसेट या सीरा 0.1 प्रतिशत अथवा मिथाइल यूजीनाल 0.1 प्रतिशत मैलाथियान 0.1 प्रतिशत के घोल को डिब्बों में डालकर पेड़ों पर ट्रैप लगाएं। पौध प्रवर्धन हेतु आम में ग्राफ्टिंग का कार्य करें।

पशुपालन

बड़े पशुओं में गला घोटू बीमारी की रोकथाम के लिए एच.एस. वैक्सीन व लंगड़ी रोग की रोकथाम के लिए वी.क्यू. वैक्सीन से टीककरण करवायें। बकरियों में ई.टी. रोग की रोकथाम के लिए टीकाकरण बरसात से पहले करवाना सुनिश्चित करें। यह सुविधा सभी पशु चिकित्सालयों पर निःशुल्क उपलब्ध है।

मत्स्य पालन

हैचरी स्वामी भारतीय मेजर कार्प मत्स्य प्रजातियों का उत्प्रेरित प्रजनन का कार्य प्रारम्भ कर दें और नर्सरियों की तैयारी करा लें। 11 जुलाई से मत्स्य वितरण किया जायेगा। सभी मत्स्य पालक अपने तालाबों में मत्स्य बीज संचय करने के लिए तैयारी पूरी कर ले और मत्स्य बीज का मांग पत्र जनपद स्तर पर मत्स्य विभाग को कार्यालय में जमा कर दें।

रेशम पालन

जनपद सोनभद्र व झांसी के टसर बीजू कीटपालक 5 जुलाई तक कीट पालन की आवश्यक तैयारियां पूरी कर लें और 10-15 जुलाई हैचिंग तिथि के कीटों के अंडे प्राप्त करने के लिए जनपद के सहायक निदेशक (रेशम) कार्यालय अथवा नजदीकी केन्द्र प्रभारी को मांग पत्र उपलब्ध करा दें।

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