कपास किसानों को प्रशिक्षण देकर आमदनी बढ़ाने की तैयारी

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
कपास किसानों को प्रशिक्षण देकर आमदनी बढ़ाने की तैयारीफोटो साभार: इंटरनेट

नई दिल्ली। उद्योग संगठन कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) अगले पांच साल में कपास उत्पादकों के प्रशिक्षण पर 1.25 करोड़ रुपये खर्च करेगा। एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अतुल गंतरा का कहना है कि किसानों को प्रशिक्षित करने से कपास की उत्पादकता में वृद्धि होगी, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी।

सीएआई प्रेसिडेंट अतुल गंतरा ने बातचीत में बताया, “कपास उत्पादकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था एसोसिएशन के मुंबई स्थित कार्यालय भवन में ही की गई है और प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन इसी महीने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस करेंगे।“

उन्होंने बताया, “प्रशिक्षण केंद्र खोलने की सूचना देते हुए एसोसिएशन की ओर से महाराष्ट्र के राज्य कृषि लागत मूल्य आयोग के प्रमुख पाशा पटेल को एक पत्र भेजा गया है और मुख्यमंत्री से इसका उद्घाटन करने का आग्रह किया गया है।“

कपास बेहतर दाम दिलाने वाली फसल

प्रशिक्षण केंद्र खोलने के उद्देश्य के संबंध में पूछे गए एक सवाल पर अतुल गंतरा ने कहा, "हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक देश के किसानों की आय दोगुनी करने का संकल्प लिया है। जाहिर है कि कपास बेहतर दाम दिलाने वाली फसल है, जिसकी खेती से आगामी वर्षों में किसानों की आमदनी बढ़ सकती है। मगर पिंकबॉल वर्म के हमले से फसल नष्ट हो जाती है और यह किसानों के लिए घाटे का सौदा बन जाता है। प्रशिक्षण मिलने से कपास उत्पादक पिंकबॉल वर्म के प्रकोप से बचाव करने में समर्थ होंगे और नुकसान से बचेंगे।"

ये भी पढ़ें- कपास किसानों के लिए बड़ा दिन, बीटी कपास के बीज पर मोनसेंटों कंपनी का पेटेंट लागू करने की याचिका खारिज

उन्होंने बताया, “प्रशिक्षण के दौरान किसानों को फसल लगाने से लेकर और खेतों से कपास के डंठल यानी कॉटन स्ट्रॉ निकालने तक की पूरी जानकारी दी जाएगी। उन्हें बताया जाएगा कि कब क्या करना है।“

कब कपास की फसल लगानी चाहिए

गंतरा ने कहा, "विशेषज्ञ उन्हें बताएंगे कि कब कपास की फसल लगानी चाहिए। दरअसल, किसान मानसून-पूर्व बारिश में ही कपास की बोआई शुरू कर देते हैं जिससे नुकसान होता है। किसानों को मानसून उतर जाने पर ही बोआई शुरू करनी चाहिए। उसके बाद कीटों के हमले के दौरान बचाव के तरीके बताए जाएंगे। फिर उन्हें यह बताया जाएगा कि कितनी बार कपास की पिकिंग करनी है।"

यहां पिकिंग का मतलब पौधे से कपास पिंड (कॉटन बॉल) को तोड़ने से है। उन्होंने बताया, “कभी-कभी किसानों दो से तीन या उससे भी अधिक पिंकिंग लेते हैं, जिससे पिंकबॉल वर्म का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए दो पिकिंग के बाद डंटल को खेतों से निकाल देना बेहतर होता है।“

महाराष्ट्र के किसानों को उठाना पड़ा था नुकसान

कपास सीजन 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) में पिंकबॉल वर्म के हमले के कारण महराष्ट्र और तेलंगाना में कपास की फसल नष्ट होने से किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था।

उन्होंने कहा, "विशेषज्ञ किसानों को बताएंगे कि दो पौधों के बीच कितनी दूरी होनी चाहिए। इसके अलावा कपास की खेती से संबंधित अन्य तकनीक की भी जानकारी दी जाएगी।" गंतरा ने कहा, “किसानों को ऐसी तकनीक बताने की जरूरत है कि उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हो।“

ये भी पढ़ें- कीट के प्रकोप से बर्बाद हुई कपास की फसल, दूसरी फसलें ओलावृष्टि के भेंट चढ़ गईं

उन्होंने कहा, "हमारी यह योजना मोदी सरकार के संकल्प से प्रेरित है। सरकार ने पांच साल में किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। हमने भी किसानों के प्रशिक्षण के लिए पांच साल की अवधि तय की है। हर साल कपास उत्पादकों के प्रशिक्षण पर एसोसिएशन 25 लाख रुपये खर्च करेगा। इसका उद्देश्य सरकार के लक्ष्य को हासिल करने में सहायक बनकर किसानों की आमदनी बढ़ाना है।"

उन्होंने कहा कि कपास उत्पादकों को उचित प्रशिक्षण मिलने से नि:संदेह उनकी आमदनी अगामी वर्षों में दोगुनी होगी क्योंकि भारतीय रूई का बाजार दुनियाभर में है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा कपास उत्पादक है मगर रूई के निर्यात में अव्वल अमेरिका है।

(एजेंसी)

ये भी पढ़ें- कपास पर कीटों का असर, भारतीय व्यापारियों को रद्द करना पड़ा चार लाख गांठों का निर्यात सौदा

ये भी पढ़ें- 100 दिन में तैयार होने वाली कपास की नई किस्म विकसित

ये भी पढ़ें- जहां बीटी कॉटन फेल, पारंपरिक कपास हुई पास

 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.