ये देसी अरहर एक बार बोइए , पांच साल मुनाफा कमाइए
Neetu Singh | Jan 21, 2018, 14:58 IST
मध्य प्रदेश के युवा किसान आकाश चौरसिया ने आदिवासी जंगलों से एक देसी अरहर की ऐसी प्राजाति संरक्षित की है जिसे किसान एक बार लगाकर पांच साल तक अच्छी पैदावार ले सकते हैं। इस अरहर से एक साल में 15 से 18 कुंतल उपज होती है। आकाश के फॉर्म हाउस पर देश के कई राज्यों से सीखने आ चुके एक हजार से ज्यादा किसान तीन हजार से ज्यादा एकड़ में देसी अरहर का उत्पादन कर रहे हैं।
आकाश न सिर्फ खुद खेती में कई तरह के नवाचार कर रहे हैं बल्कि देश के कई राज्यों के किसानों को हर महीनें की 27,28 तारीख़ को अपने फॉर्म हाउस पर फ्री में ट्रेनिंग भी देते हैं। अब तक ये 42 हजार से ज्यादा किसानों को जैविक खेती के लिए प्रशिक्षित कर चुके हैं। आकाश द्वारा संरक्षित देसी अरहर अगर किसी किसान को चाहिए तो वो आकाश से सम्पर्क कर सकते हैं। किसान इस अरहर की बुवाई नीचे दिए तरीकों को अपनाकर कर सकते हैं।
अगर इस देसी अरहर का बीज किसान सीधे खेत में बोते हैं तो पहली बारिश में जून के आख़िरी सप्ताह या जुलाई के पहले सप्ताह में बो सकते हैं। अगर इसकी नर्सरी लगाकर बुवाई करनी है तो अप्रैल या मई में इसकी नर्सरी लगाएं और जुलाई में इसकी रोपाई करें। नर्सरी से रोपाई करने पर पैदावार में एक से डेढ़ कुंतल का इजाफा होता है।
आकाश चौरसिया अपने अरहर खेत में किसानों को जानकारी देते हुए।देसी अरहर को 5/5 फीट की दूरी पर लगाते हैं। दूरी अधिक होने की वजह से इसमें सब्जियों से लेकर और भी कई फसलें ली जा सकती हैं। छाया वाली फसल इसमें पूरे साल से सकते हैं। आकाश बताते हैं, "अरहर में फूल लगने के समय अनुकूल तापमान 20 से 25 डिग्री का होना चाहिए। ये तापमान पहली बार फसल को अक्टूबर-नवम्बर में मिल जाता है, जिससे इसकी पहले उत्पादन की कटाई दिसम्बर के आख़िरी सप्ताह से जनवरी के पहले सप्ताह तक हो जाती है।
दूसरा तापमान, 15 फरवरी से 15 मार्च तक मिल जाता है, दूसरी कटाई मार्च आख़िरी से अप्रैल प्रथम सप्ताह तक हो जाती है।" अरहर की दोनों फसलों की कटाई के बाद इसमें कई प्रकार की सब्जियां उगा सकते हैं। ये पूरी तरह से जैविक तरीके से किया जाता है जिसकी वजह से इसमें लागत कम आती है। स्प्रिंकलर से इसकी सिंचाई की जाती है जिसकी वजह से खरपतवार नहीं होता है। अरहर की जो पत्तियां खेत में गिरती हैं वो डीकम्पोज होकर खाद का काम करती हैं जो फसल को जरूरत होती है।
किसान देसी अरहर से पांच साल अच्छा उत्पादन तो लेते ही हैं। साथ ही पांच साल बाद एक पौधे से पांच से छह किलो लकड़ी भी निकलती है। किसान इस लकड़ी को बेचकर भी कुछ कमाई कर सकते हैं।
आकाश न सिर्फ किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण देते हैं बल्कि उन किसानों द्वारा उगाई फसलों का सही भाव भी देते हैं। अरहर बाजार में साढ़े तीन से चार हजार रुपए प्रति कुंतल में हैं, सरकारी दाम पांच हजार रुपए प्रति कुंतल में हैं। वहीं आकाश सरकारी दामों से 25 प्रतिशत ज्यादा भाव में किसानों का देसी अरहर खरीदते हैं। आकाश बताते हैं, "हम किसानों को सरकारी दाम से ज्यादा भाव देते हैं। प्रति कुंतल 6200 रुपए का भाव किसानों को देते हैं। किसान अगर देसी अरहर का बीज हमारे यहां से ले जाते हैं तो उसकी खरीददारी मैं खुद करता हूँ जिससे उन्हें भटकना न पड़े।"
ये है देसी अरहर जिसे एक बार लगाने पर पांच साल उत्पादन लिया जा सकता है।
आकाश न सिर्फ खुद खेती में कई तरह के नवाचार कर रहे हैं बल्कि देश के कई राज्यों के किसानों को हर महीनें की 27,28 तारीख़ को अपने फॉर्म हाउस पर फ्री में ट्रेनिंग भी देते हैं। अब तक ये 42 हजार से ज्यादा किसानों को जैविक खेती के लिए प्रशिक्षित कर चुके हैं। आकाश द्वारा संरक्षित देसी अरहर अगर किसी किसान को चाहिए तो वो आकाश से सम्पर्क कर सकते हैं। किसान इस अरहर की बुवाई नीचे दिए तरीकों को अपनाकर कर सकते हैं।
नर्सरी बोने से उत्पादन ज्यादा
आकाश चौरसिया अपने अरहर खेत में किसानों को जानकारी देते हुए।
साथ ले सकते हैं और भी कई फसलें
दूसरा तापमान, 15 फरवरी से 15 मार्च तक मिल जाता है, दूसरी कटाई मार्च आख़िरी से अप्रैल प्रथम सप्ताह तक हो जाती है।" अरहर की दोनों फसलों की कटाई के बाद इसमें कई प्रकार की सब्जियां उगा सकते हैं। ये पूरी तरह से जैविक तरीके से किया जाता है जिसकी वजह से इसमें लागत कम आती है। स्प्रिंकलर से इसकी सिंचाई की जाती है जिसकी वजह से खरपतवार नहीं होता है। अरहर की जो पत्तियां खेत में गिरती हैं वो डीकम्पोज होकर खाद का काम करती हैं जो फसल को जरूरत होती है।