कन्नौज के मटर की मिठास पहुंच रही देश के अन्य राज्यों में
Ajay Mishra | Dec 22, 2017, 12:17 IST
कन्नौज। आलू बेल्ट के नाम से मशहूर कन्नौज में इस बार मटर की मिठास दूर-दूर तक घुल रही है। किसानों को भी इस फसल से फायदा हुआ है। दिल्ली और लखनऊ समेत कई इलाकों के व्यापारियों ने यहां दस्तक दे दी है। जिला मुख्यालय कन्नौज से करीब आठ किमी दूर मड़हरपुर गाँव के किताबुद्दीन (25 वर्ष) बताते हैं, ‘‘इस बार सात बीघा खेत में मटर की है। 120 रुपए तक पसेरी मटर बिक रही है। अक्टूबर में फसल लगाई थी। ढाई महीने की है।’’
मियांगंज निवासी शाहबुद्दीन (62 वर्ष) कहते हैं, ‘‘20 वर्ष से अधिक यह फसल कर रहा हूं। पहले 200 रुपए पसेरी मटर बिकी, बाद में 150 और अब रेट 100 के करीब है। ताजा माल मिलने की वजह से दिल्ली, कानपुर, शाहजहांपुर और गोला गोकरन से लोग मटर खरीदने आते हैं। मैंने दो-ढाई बीघे में फसल की है।’’ 47 वर्षीय किसान मोहम्मद अनीस वारसी बताते हैं, ‘‘करीब 20 साल से मटर की खेती करता आ रहा हूं। आलू से मटर लाख गुना अच्छी है। इस बार नुकसान नहीं है। नई मटर 200 रूपए पसेरी (पांच किलो) बिकी थी। बारावफात में तो 220 तक बिकी। अब रेट 100 रूपए के आस-पास है। शाहजहांपुर, हरदोई, लखनऊ और दिल्ली तक से लोग खरीदने आते हैं।’’
मनोज चतुर्वेदी, जिला उद्यान अधिकारी- कन्नौज
अनीस आगे बताते हैं, ‘‘बाजार की कोई दिक्कत नहीं है। गांव से एक किमी दूर आढ़त है, यहां से लोडर पर माल की लदान होती है। इस बार करीब साढ़े सात बीघा खेत में फसल की है। साढे़ तीन बीघा खेत बंटाई पर लेकर मटर की है। पिछले साल सिर्फ साढे़ तीन बीघा में ही फसल की थी।’’
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 150 किमी दूर कन्नौज जिले के मानीमऊ निवासी 20 साल के शीलू बताते हैं, ‘‘चार बीघा खेत में मटर की है। करीब 12 हजार लागत आई है। फिलहाल 90 से 105 रूपए पसेरी मटर बिक रही है। मियांगंज मंडी में बिक्री करते हैं। लखनऊ, हरदोई व कानपुर आदि के व्यापारी यहां से खरीदने आते हैं। रात में पिकप से मटर जाती है। बोली लगती है, उसी हिसाब से बिक्री होती है।” 60 वर्षीय रामजानकी बताती हैं, ‘‘भाव ठीक है। पिछले साल भाव कम था। बाजार में 35-40 रूपए प्रति किलो मटर बिकती है।’’
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मियांगंज निवासी शाहबुद्दीन (62 वर्ष) कहते हैं, ‘‘20 वर्ष से अधिक यह फसल कर रहा हूं। पहले 200 रुपए पसेरी मटर बिकी, बाद में 150 और अब रेट 100 के करीब है। ताजा माल मिलने की वजह से दिल्ली, कानपुर, शाहजहांपुर और गोला गोकरन से लोग मटर खरीदने आते हैं। मैंने दो-ढाई बीघे में फसल की है।’’ 47 वर्षीय किसान मोहम्मद अनीस वारसी बताते हैं, ‘‘करीब 20 साल से मटर की खेती करता आ रहा हूं। आलू से मटर लाख गुना अच्छी है। इस बार नुकसान नहीं है। नई मटर 200 रूपए पसेरी (पांच किलो) बिकी थी। बारावफात में तो 220 तक बिकी। अब रेट 100 रूपए के आस-पास है। शाहजहांपुर, हरदोई, लखनऊ और दिल्ली तक से लोग खरीदने आते हैं।’’
किसानों के लिए मटर फायदे की खेती है। अभी रेट भी अच्छा मिल रहा है। कन्नौज में करीब 500 हेक्टेयर जमीन पर खेती हुई है। करीब 30 फीसदी रकबा बढ़ा है। खुली सिंचाई की अपेक्षा अगर स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई करें तो और फायदा होगा।
अनीस आगे बताते हैं, ‘‘बाजार की कोई दिक्कत नहीं है। गांव से एक किमी दूर आढ़त है, यहां से लोडर पर माल की लदान होती है। इस बार करीब साढ़े सात बीघा खेत में फसल की है। साढे़ तीन बीघा खेत बंटाई पर लेकर मटर की है। पिछले साल सिर्फ साढे़ तीन बीघा में ही फसल की थी।’’
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 150 किमी दूर कन्नौज जिले के मानीमऊ निवासी 20 साल के शीलू बताते हैं, ‘‘चार बीघा खेत में मटर की है। करीब 12 हजार लागत आई है। फिलहाल 90 से 105 रूपए पसेरी मटर बिक रही है। मियांगंज मंडी में बिक्री करते हैं। लखनऊ, हरदोई व कानपुर आदि के व्यापारी यहां से खरीदने आते हैं। रात में पिकप से मटर जाती है। बोली लगती है, उसी हिसाब से बिक्री होती है।” 60 वर्षीय रामजानकी बताती हैं, ‘‘भाव ठीक है। पिछले साल भाव कम था। बाजार में 35-40 रूपए प्रति किलो मटर बिकती है।’’
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