मध्य प्रदेश: कोरोना संकट में बढ़ी किसानों की मुश्किलें, उड़द की फसल को बर्बाद कर रहा पीला मोजेक रोग

मध्य प्रदेश के कई जिलों में पीला मोजेक रोग उड़द की फसल को नुकसान पहुंचा रहा है, दूर-दूर तक फसलें पीली पड़ गईं हैं।

Sachin Tulsa tripathiSachin Tulsa tripathi   2 Sep 2020 6:52 AM GMT

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सतना (मध्य प्रदेश)। कोरोना संकट में किसानों की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं, किसी तरह किसानों ने कर्ज लेकर उड़द की बुवाई की थी, अब पीला मोजेक रोग की वजह से ज्यादातर किसानों की उड़द की फसल पीली पड़ गई है।

मध्य प्रदेश के सतना जिले में लक्ष्य से 5 फीसदी ज्यादा बोनी करने के बाद उड़द के पौधों की पत्तियां पीली पड़ गईं। दूर से खेत का पीलापन नज़र आने लगता है। सतना जिले के एक दर्जन से अधिक गांवों तक गांव कनेक्शन पहुंचा। इस यात्रा में कोई ऐसा गांव नहीं मिला जहां की उड़द के पौधों की पत्तियां पीली न रही हों।

ज़िला मुख्यालय से 50 किमी दूर ग्राम गहिरा के 22 वर्षीय युवा किसान विपिन बताते हैं, "पिछले साल भी यही हो गया था। इस साल तो सलाह पर दवा भी डाली। इसमें 2700 से लेकर 2800 रुपए तक खर्च भी किये लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। प्रशासनिक अधिकारियों से मिला भी लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है।


रैगांव विधानसभा के गांव मसनहा के किसान राम सिंह बागरी ने 'गांव कनेक्शन' को बताया, "उड़द की खेती पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है। एक तो बारिश नहीं हुई। फसल पिछड़ी। बारिश हुई तो लेट हुई जिससे जो फसल बो गई थी वो भी बर्बाद हो गई। अब किसी तरह कर्ज लेकर खेती कर रहे हैं तो प्रकृति मार रही है। कोई अन्य व्यवसाय नहीं है। तो खेती ही करनी पड़ रही है।

इस साल सतना जिले में उड़द की फसल की बोनी लक्ष्य से 5 फीसदी से भी ज्यादा हुई है। किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के आंकड़ों की मानें तो खरीफ फसल सीजन 2020 में उड़द का लक्ष्य 100.000 हेक्टेयर का रखा गया था जिसकी पूर्ति 105.470 हेक्टेयर हुई है। इस फसल का लक्ष्य बीते खरीफ फसल सीजन में 99.190 हेक्टेयर था। वर्तमान सीजन में मूंग का लक्ष्य 8.280 हेक्टेयर और पूर्ति 100 फीसदी। इसी तरह अरहर का लक्ष्य 15.400 हेक्टेयर रखा गया था। इस जीन्स का भी लक्ष्य 100 फीसदी रहा जबकि की कुल दलहन फसलों का लक्ष्य 123.650 हेक्टेयर रखा गया था। इसकी पूर्ति 129.120 हेक्टेयर के साथ हुई। यानि की 5.47 फीसदी ज्यादा बोनी की गई।


जिला मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर ग्राम चंदई के 45 वर्षीय किसान सत्यनारायण बताते हैं, "फसल को कुछ आवारा जानवर चर गए जो बचा उसे पीला रोग लग गया। 2 एकड़ में उड़द बोई थी। पूरी पीली पड़ गई है। फूल भी नहीं लग रहा है। यही परेशानी है।"

उड़द के इस पीले रोग को देखने गांव कनेक्शन जिन गांव में पहुंचा उनमें चित्रकूट विधान सभा के किटहा, अमिलिया, दुदुआर, अतरार, चंदई, बरौंधा, गहिरा, गलबल, बम्होरी, खुटहा, तेलनी, गोरसरी, रामपुर बघेलान के माजन, लखनवाह, कोटर, तिहाई, अबेर, रैगांव विधान सभा के मसनहा, शिवपुर, सितपुरा, छींदा, बचवई आदि शामिल हैं।

पीला मोजेक रोग से पौधे की वृद्धि रुक जाती है, पौधों का पीलापन, ऐंठ जाना, सिकुड़ जाना इसके लक्षण हैं। कभी-कभी पत्तियां भी खुरदरी हो जाती हैं, मोटापन लिए गहरा हरा रंग धारण कर लेती है और सलवट पड़ जाती है। रोग के लक्षण शुरू में फसल पर कुछ ही पौधों पर दिखायी होते हैं और धीरे-धीरे बढ़ते ही जाते हैं। रोगग्रस्त फसल में शुरू में खेत में कहीं-कहीं स्थानों पर कुछ पौधों में चितकबरे गहरे हरे पीले धब्बे दिखाई देते हैं और एक दो दिन बाद में संपूर्ण पौधे बिल्कुल पीले हो जाते हैं और पूरे खेत में फैल जाते हैं।

सितपुरा के 24 वर्षीय किसान करण ने 'गांव कनेक्शन' से कहा कि नागौद ब्लॉक के दर्जनों गांव हैं जहां उड़द की फसल बर्बाद हो गई है। पीला मोजेक नामक बीमारी से ग्रस्त है। इस फसल में अब तक फल नहीं आये हैं पौधे पूरी तरह से पीले पड़ गए हैं।


पीला मोजेक रोग सफेद मक्खी द्वारा फैलती है, मक्खी एक रोगग्रस्त पौधे की पत्ती पर बैठती है और मक्खी जब दूसरे पौधे पर बैठती है तो पूरे खेत में संक्रमण फैल जाता है।

किटहा के किसान दिलीप ने कहा कि पूरा का पूरा उड़द पीला पड़ गया है। इसमें कीड़े भी लग गए हैं। बोने के 10-15 दिन बाद ही पत्तियों का रंग पीला हो गया था। साल दो साल से खरीफ की खेती करने का मन नहीं कर रहा है पर मजबूर हैं। मरवा के मुन्ना डोहर फूल तक पीले पड़ गए है। फल जो भी उसमें में भी दाना नहीं पड़ रहा। 8 किलो के करीब बोया था। पूरा बर्बाद हो गया।

गांव कनेक्शन को फोन में कृषि वैज्ञानिक डॉ. वेद प्रकाश सिंह ने बताया कि उर्द की फसल पीला मोजैक रोग से संक्रमित है इसके प्रभावी नियंत्रण के लिए सर्वप्रथम रोगग्रस्त पौधों को उखाड़ कर खेत से अलग कर देना चाहिए, इसके बाद- एफिडोपायरोपेन (सेफिना) 400 मिली या पाईमेट्रोजीन (चेस) 120 ग्राम या डिनोटेफ्युरान (ओशीन) 80 ग्राम अथवा फ्लोनिकामिड (उलाला/पनामा) 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ प्रभावित फसल पर छिड़काव करें।

     

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