धान रोपाई में हो गई हो देरी तो श्रीविधि से करें खेती, मिल सकता है डेढ़ गुना अधिक उत्पादन

Divendra Singh | Jul 17, 2018, 11:54 IST
दूसरी विधियों से धान की रोपाई करने पर जहां ज्यादा सिंचाई की जरूरत होती है, वहीं पर श्रीविधि में नाममात्र की सिंचाई करनी पड़ती है। दूसरी विधियों के मुकाबले इसमें डेढ़ गुना अधिक उत्पादन मिलता है।
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अगर किन्हीं कारणों से आप की धान की खेती पिछड़ रही है तो परेशान न हों, परंपरागत विधियों के अलावा आप श्रीविधि से के जरिए आप देरी से भी धान की फसल उगा सकते हैं।

उत्तर प्रदेश में महराजगंज जिले के प्रगतिशील किसान नागेंद्र पांडेय श्रीविधि से धान की खेती के फायदों के बारे में बताते हैं, "धान की खेती पिछड़ने पर किसान श्रीविधि से खेती कर सकते हैं, इसकी नर्सरी दस-बारह दिन में तैयार हो जाती है, इसकी नर्सरी बेड पर डाली जाती है, इसमें दूसरी विधियों के मुकाबले बीज भी कम लगते हैं।"

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इसी मशीन की सहायता से बनाए जाते हैं निशान

दूसरी विधियों से धान की रोपाई करने पर जहां ज्यादा सिंचाई की जरूरत होती है, वहीं पर श्रीविधि में नाममात्र की सिंचाई करनी पड़ती है। दूसरी विधियों के मुकाबले इसमें डेढ़ गुना अधिक उत्पादन मिलता है।

केंद्रीय कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी खरीफ फसलों की बुवाई के साप्ताहिक अपडेट के अनुसार, देशभर में किसानों ने 67.25 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई की है। जबकि पिछले साल की समान अवधि में देशभर में धान का रकबा 79.08 लाख हेक्टयर था। इस प्रकार धान के रकबे में 14.95 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।

नर्सरी की तैयारी

जमीन से चार इंच ऊंची बेड पर नर्सरी तैयार करनी चाहिए, जिसके चारों ओर नाली हो। केंचुआ खाद डाल कर भुरभुरा बनाएं। नर्सरी की सिंचाई करें, सिंचाई के बाद उनमें बीज का छिड़काव करें। ऐसे में दस-बारह दिनों में नर्सरी तैयार हो जाती है।

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बेड पर तैयार करें नर्सरी

खेती की तैयारी


खेती की तैयारी परंपरागत तरीके से की जाती है, केवल इतना ध्यान रखा जाता है कि ज़मीन समतल हो। पौध रोपण के 12 से 24 घंटे पहले खेत की तैयारी करके एक से तीन सेमी से ज्यादा पानी खेत में नहीं रखा जाता है। धान के पौधों की रोपाई करने से पहले 25 गुणा 25 की दूरी पर निशान लगाया जाता है। पौधे के बीच उचित लाइन बना ली जाती है। इससे निशान बनाने में आसानी होती है।

नर्सरी में पौधा उठाने का तरीका

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इसमें लगभग 12 दिन की तैयार नर्सरी को लगाया जाता है, जब पौधे में दो पत्तियां निकल आती हैं। नर्सरी से पौधों को निकालते समय इस बात की सावधानी रखी जाती है कि पौधों के तने व जड़ के साथ लगा बीज न टूटे व एक-एक पौधा आसानी से अलग करना चाहिए और पौधे को एक घंटे के अंदर लगाना चाहिए।

खेत में रोपाई

पौधा रोपण के समय हाथ के अंगूठे व वर्तनी अंगुली का प्रयोग किया जाता है। खेत में डाले गए निशान की प्रत्येक चौकड़ी पर एक पौधा रोपा जाता है। नर्सरी से निकाले पौधे की मिट्टी धोए बिना लगाएं और धान के बीज सहित पौधे को ज्यादा गहराई पर रोपण नहीं किया जाता है।



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