बिना डिग्री और डिप्लोमा वाले कीटनाशक विक्रेताओं को ट्रेनिंग दे रही सरकार

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बिना डिग्री और डिप्लोमा वाले कीटनाशक विक्रेताओं को ट्रेनिंग दे रही सरकारबिना सुरक्षा कवच के रसायन प्रयोग ना करने दें। 

सीतापुर। भारत सरकार ने हाल ही में कीटनाशक और खाद की बिक्री करने वाले दुकानदारों के लिए नया मापदंड तैयार किया है। इसी तहत कई जिलों में पेस्टीसाइड विक्रेताओं को जिनके पास डिग्री और डिप्लोमा नहीं है उनको प्रशिक्षण देने का कार्य कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा किया जा रही है।

केंद्र सरकार के मानकों के अनुसार कृषि या विज्ञान विषय के डिग्री और डिप्लोमाधारी ही खाद व कीटनाशक की दुकान के लिए लाइसेंस पा सकेंगे। विभाग द्वारा डिग्री के आधार पर उन्हें लाइसेंस दिया जाएगा।

सीतापुर जिले के कटिया कृषि विज्ञान केंद्र में फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ दया शंकर ने बताया, "किसानों को रसायनिक खाद बीज, कीटनाशक की उपयोगिता और कीटनाशकों का सही मात्रा में छिड़काव की सही जानकारी नहीं मिल पाती है ऐसे में किसानों की फसल प्रभावित होती है और किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में जिन विक्रताओं के पास डिप्लोमा या डिग्री नहीं उनको प्रशिक्षण देने का काम किया जा रहा है।"

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डॉ दया आगे बताते हैं, ज्यादातर किसान पेस्टीसाइड विक्रेताओं के संपर्क में रहता है। इसलिए उनका प्रशिक्षित होना बहुत जरूरी है। हम विक्रेताओं को पेस्टीसाइड के प्रयोगों के अलावा भी नई-नई तकनीकों के बारे में भी जानकारी उपलब्ध करा रहे है। ताकि वह समुचित ज्ञान प्राप्त कर और पेस्टीसाइड नियमावली को ध्यान में रखते हुए किसानों की मदद कर सकें।"

डॉ श्रीवास्तव जानकारी देते हुए बताते हैं, "जैविक कीटनाशी की यह विशेषता होती हैं कि वह केवल लक्ष्य आधारित दुश्मन कीटों पर हमला करता है और इनसे मित्र कीटों को कोई नुकसान नहीं है, जबकि रसायनों से दुश्मन कीटों के साथ-साथ पर्यावरण हितैषी जीवों का भी विनाश हो जाता है। हमें दुश्मन कीटों को कम करने के लिए और मित्र कीटों को बढ़ाने के लिए एकीकृत प्रबंधन विधियों पर जोर देना होगा। जैविक कीटनाशी पर्यावरण और किसान हितेषी के साथ-साथ अधिक कारगर हैं।

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पेस्टीसाइड विक्रेता इन 10 बातों का रखें ध्यान

  • बिना सुरक्षा कवच के रसायन प्रयोग ना करने दें।
  • अपनी मर्जी से दवाओं की संस्तुति ना करें विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
  • केवल सुबह और शाम में ही दवाओं का प्रयोग करने की सलाह दें। जब हवा चल रही हो या बारिश होने की संभावना हो तो कीटनाशकों का प्रयोग ना करने की सलाह दें।
  • निर्धारित मात्रा एवं फसल विशेष संस्तुति रसायन का ही प्रयोग करवाएं।
  • पीडकनाशकों के डिब्बों पर अंकित दिशानिर्देशों को किसानों को पढ़ने के लिए अवश्य कहें
  • फसल तुडाई के एक सप्ताह पहले दवाओं का प्रयोग ना करने की सलाह दें।
  • हरे निशान वाले पीडकनाशकों को प्राथमिकता दें।
  • जैविक कीटनाशी संस्तुति करने पर किसानों को जैविक खाद या केंचुआ खाद के साथ मिलाकर खेत मे नमी की अवस्था में ही प्रयोग करने की सिफारिश करें और प्रयोग करानें से पहले स्प्रेयर को अच्छी तरह साफ करने की सलाह दें।
  • किसानों को हरी खाद, नाडेप, सी.पी.पी., केंचुआ खाद, अजोला, डिकमपोजर, नील हरित शैवाल एवं जैव उर्वरको के लिए भी प्रेरित करते रहें।
  • विक्रेता अपने-अपने बिक्री केंद्रों पर केंद्रीय कीटनाशी बोर्ड एवं पौध संरक्षण संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के दिशानिर्देशों को अंकित करें ताकि जन जागरूकता लाई जा सके।

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