किराये की जमीन पर सब्जियों की खेती कर बनाई अलग पहचान, आज दूसरे किसानों को देते हैं सलाह
बिहार के कैमूर जिले के शिवमुनि 12 सालों से सब्जी की खेती कर रहे हैं। किराये की जमीन पर भी खेती करते हुए उन्होंने और किसानों से अलग अपनी पहचान बनाई है।
Ankit Kumar Singh 27 Aug 2020 2:06 PM GMT

कैमूर (बिहार)। सब्जियों के सही दाम न मिलने के कारण कई किसान जहाँ धान और गेहूं की खेती की ओर रुख करते हैं, वहीं बिहार के कैमूर जिले का एक किसान ऐसा भी है जो किराए की जमीन पर भी सब्जियों की खेती कर अच्छी आमदनी कमा रहा है।
यह किसान हैं बिहार के कैमूर जिले के लबेहदही गांव के रहने वाले 41 वर्षीय शिवमुनि साहनी। शिवमुनि के पास खेती करने के लिए खुद की जमीन नहीं है, मगर खेती करने की चाह में उन्होंने अपने गाँव से तीन किलोमीटर दूर 40 बीघा जमीन किराये पर ली है जहाँ वे 12 सालों से सब्जियों की खेती कर रहे हैं।
सब्जियों की खेती करने के कारण शिवमुनि आज अपने क्षेत्र में किसानों के बीच अलग पहचान बना चुके हैं। पढ़े-लिखे न होने के बावजूद भी शिवमुनि कई किसानों को सब्जियों की खेती के बारे में सलाह देते रहते हैं। अपनी जमीन न होने के बावजूद शिवमुनि सिर्फ सब्जियों की खेती से पूरे साल में पांच से छह लाख रुपये तक कमा लेते हैं।
शिवमुनि 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "बारह साल पहले मैं भी और किसानों की तरह धान और गेहूं की खेती करता था, मगर मुझे लगा कि धान और गेहूं की खेती में इतना फायदा नहीं है। तब मैंने नगदी फसल यानी सब्जियों की खेती करने का फैसला किया।"
सब्जियों की खेती के बारे में दूसरे किसानों को भी सलाह देते हैं शिवमुनि। फोटो : गाँव कनेक्शन
"मैं कहीं पढ़ा-लिखा नहीं हूँ, मगर इतने सालों में मुझे खेती ने ही सिखाया कि कैसे सब्जियों की खेती की जानी चाहिए, सब्जियों की खेती में कोई तय मुनाफा नहीं होता, फिर भी साल में कभी तीन लाख तो कभी सात लाख रुपये तक 40 बीघे से कमा लेता हूँ। धान और गेहूं के मुकाबले सब्जियों की खेती में मेहनत कहीं ज्यादा है, इसके अलावा थोड़ा ध्यान देने की, सावधानी बरतने की भी जरूरत है, " शिवमुनि कहते हैं।
शिवमुनि मौसम के अनुसार ही सब्जियों की खेती करते हैं। इनमें लौकी, करेला, मटर, खीरा, भिंडी, टमाटर, कद्दू प्रमुख हैं। वह केवल अकेले ही खेती नहीं करते, बल्कि उनका परिवार भी खेती-बाड़ी में उनका साथ देता है।
किराये की जमीन होने के बावजूद कैसे कमा लेते हैं, के सवाल पर शिवमुनि कहते हैं, "मुझे एक लाख रुपये करीब जमीन के किराए का देना होता है, इसके अलावा करीब दो लाख रुपये खेती में लगता है, जुताई से लेकर बीज तक, मिला जुला कर साल का करीब पांच-छह लाख रुपये का मुनाफा हो जाता है।"
क्या लॉकडाउन के दौरान भी अपनी सब्जियां बेच पाए, के सवाल पर शिवमुनि बताते हैं, "कोरोना काल में सब्जियों का काफी नुकसान हुआ, बाजार में उस हिसाब से कीमत नहीं मिली जिसकी हमें उम्मीद थी। हालाँकि दुकानदारों ने सब्जियां महंगी बेचीं।"
शिवमुनि सरकार से मांग करते हैं, "सरकार को सब्जी किसानों से खरीदने के लिए एक सरकारी केंद्र बनाने की जरूरत है। इससे हम किसानों को सब्जी का उचित मूल्य भी मिलेगा और आम लोगों के लिए सब्जी का दाम भी कम रहेगा।"
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