गेहूं चना और सरसों की एक साथ बुवाई का ये है सही समय, किसान कम लागत में ले सकते हैं अच्छी उपज

चने की फसल सबसे ज्यादा नाइट्रोजन छोड़ती है और गेहूं को सबसे ज्यादा नाइट्रोजन चाहिए होता है अगर ये दोनों फसलें एक साथ करते हैं तो गेहूं में यूरिया डालने की बहुत कम जरूरत पड़ेगी

Neetu SinghNeetu Singh   24 Oct 2018 5:23 AM GMT

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सरसों, गेहूं और चना की सहफसल लेकर किसान कमा सकते हैं कम लागत में अच्छा मुनाफा

लखनऊ। किसान एक नवम्बर से 15 दिसम्बर के बीच चना गेहूं और सरसों की एक साथ मिश्रित खेती करके कम लागत में अच्छी उपज ले सकते हैं। एक एकड़ में केवल गेहूं की बुवाई करके 30 हजार की आमदनी होती है वहीं अगर मिश्रित खेती की जाए तो 70 हजार रुपए तक की पैदावार होगी।

"पिछले साल मैंने एक एकड़ खेत में चना गेहूं और सरसों की एक साथ सहफसल ली थी जिसमें 25 कुंतल गेहूं, पांच कुंतल चना और चार कुंतल सरसों की पैदावार हुई। फसल की बुवाई से लेकर कटाई तक लगभग 20 हजार रुपए लागत आयी थी जबकि 70 हजार की आमदनी हुई।" मध्य प्रदेश के युवा किसान आकाश चौरसिया (29 वर्ष) ने मिश्रित खेती को लेकर अपना अनुभव साझा किया, "चना, गेहूं और सरसों की बुवाई अगर किसान जैविक तरीके से करते हैं तो लागत बहुत कम आयेगी और भाव अच्छा मिलेगा। चने की फसल सबसे ज्यादा नाइट्रोजन छोड़ती है और गेहूं को सबसे ज्यादा नाइट्रोजन चाहिए होता है अगर ये दोनों फसलें एक साथ करते हैं तो गेहूं में यूरिया डालने की बहुत कम जरूरत पड़ेगी।"

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मध्य प्रदेश के सागर जिला के रेलवे स्टेशन से छह किलोमीटर दूर राजीव नगर तिली सागर के रहने वाले आकाश चौरसिया के फॉर्म हाउस पर देश के अलग-अलग हिस्सों के हजारों किसानों की भीड़ लगी रहती है क्योंकि वो खेती की कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने की विधियां समझाते हैं। आकाश ने बताया, "मिश्रित खेती करने से एक फसल में जितनी खाद डालते हैं उतनी ही खाद से तीन या चार फसलें हो जाती हैं, पानी भी एक फसल जितना ही खर्च होता है। इस तरीके से 70 प्रतिशत पानी की बचत होती है।" उन्होंने बताया, "अगर हम एक साथ कई फसलें लेते हैं तो एक दूसरी फसल से एक दूसरे को पोषक तत्व मिल जाते हैं, जमीन में जब खाली जगह नहीं रहती तो खरपतवार भी नहीं निकलता।" आकाश के द्वारा शुरू किये इस मिश्रित खेती के मॉडल को सैकड़ों किसान अपना रहे हैं।

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ऐसे करें चना सरसों और गेहूं की बुवाई में खेत की तैयारी

खेत की बुवाई से एक सप्ताह पहले 100 किलो चूना या 100 किलो जिप्सम में 50 किलो नीम का पाउडर मिलाकर एक एकड़ में डालने के बाद खेत की पलेवा कर दें। इसके अलावा अगर किसान के पास वर्मी कम्पोस्ट या फास्फो कम्पोस्ट है तो एक एकड़ में एक टन डालने से पैदावार अच्छी होगी।

बीज शोधन के लिए अपनाएं ये तरीका

एक एकड़ खेत में बुवाई के लिए गेहूं 40 किलो, चना 15 किलो और सरसों चार किलो लगेगा। बुवाई से पहले बीज को दो घंटे तेज धूप में जरुर सुखाएं। बीज शोधन के लिए एक लीटर देसी गाय का गोमूत्र, आधा किलो गुड़, 250 ग्राम पीसी धनियां। सभी सामग्री को आपस में मिलाकर बीज में मिला दें। मिश्रण मिलाने के एक घंटे बाद और पांच घंटे तक बीज की बुवाई कर सकते हैं। बीज शोधन करने से फसल में कई तरह कीड़े नहीं लगते और बीज का जमाव अच्छा होता है।

जिन क्षेत्रों में बुवाई सीड ड्रिल के द्वारा होती है वहां पर चना और गेहूं की बुवाई सीड ड्रिल के द्वारा करें और सरसों की छिड़क कर बुवाई करें। अगर सीड ड्रिल का उपयोग नहीं हो रहा है तो तीनों चीजों की छिड़क कर ही बुवाई करें।

        

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