इस महीने करें जायद के मक्का की बुवाई
Divendra Singh | Mar 28, 2018, 11:15 IST
रबी की फसलों की कटाई के बाद जब खेत खाली हो जाते हैं, तब किसानों को जायद के मक्का की बुवाई कर देनी चाहिए। इससे कम समय में किसानों को ज्यादा मुनाफा हो जाता है।
हरदोई जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी दूर संडीला ब्लॉक के महिगवां गाँव के किसान अमरेन्द्र बहादुर सिंह (45 वर्ष) आलू की फसल के बाद मक्का की बुवाई की तैयारी कर रहे हैं। अमरेन्द्र बहादुर सिंह बताते हैं, "इस बार तीन एकड़ में मक्का की बुवाई करने जा रहा हूं, आलू की फसल खोदने के बाद हम लोग मक्का की बुवाई करते हैं, इसमें सिंचाई ज्यादा लगती है, लेकिन पैदावार अच्छी हो जाती है।"
औरैया जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनंत कुमार मक्का की खेती के बारे में बताते हैं, "किसानों को आलू और सरसों की फसल के बाद जल्द से जल्द मक्का की बुवाई कर लेनी चाहिए, क्योंकि जैसे तापमान बढ़ता है। बुवाई में परेशानी हो जाती है।
मक्का की उन्नत किस्में- मक्का की किस्मों में नवजोत, नवीन, श्वेता, आजाद उत्तम, कंचन, गौरव व संकर किस्मों में एच.क्यू.पी.एम.-15, दक्कन-115, एम.एम.एच.-133, प्रो-4212, मालवीय संकर मक्का-2, हरे भुट्टे के लिए माधुरी, प्रिया और बेबी कार्न के लिए प्रकाश, पूसा अगेती संकर मक्का-2, आजाद कमल मुख्य किस्में होती हैं।
बीज को बोने से पहले फंफूदनाशक दवा जैसे थायरम या एग्रोसेन जी.एन. 2.5-3 ग्राम प्रति किलो बीज का दर से उपचारीत करके बोना चाहिए। एजोस्पाइरिलम या पीएसबी कल्चर 5-10 ग्राम प्रति किलो बीज का उपचार करें।
भूमि की तैयारी करते समय पांच से आठ टन अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद खेत मे मिलाना चाहिए तथा भूमि परीक्षण के बाद जहां जस्ते की कमी हो वहां 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर जिंक सल्फेट डालना चाहिए।
मक्का के फसल को पूरे फसल अवधि मे लगभग 400-600 मिमी पानी की जरूरत होती है और इसकी सिंचाई की महत्वपूर्ण अवस्था पुष्पन और दाने भरने का समय है। इसके अलावा खेत मे पानी का निकासी भी जरूरी होती है।
मक्का के मुख्य फसल के बीच उड़द, बरबटी, ग्वार, मूंग (दलहन), सोयाबीन, तिल (तिलहन), सेम, भिण्डी, हरा धनिया (सब्जी), बरबटी, ग्वार (चारा) अन्तरवर्ती फसलें ली जा सकती है। इससे किसान एक समय में मुनाफा ले सकते हैं।
बोने के 15-20 दिन बाद डोरा चलाकर निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। एट्राजीन का उपयोग हेतु अंकुरण पूर्व 600-800 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। इसके उपरांत लगभग 25-30 दिन बाद मिट्टी चढ़ाएं।
हरदोई जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी दूर संडीला ब्लॉक के महिगवां गाँव के किसान अमरेन्द्र बहादुर सिंह (45 वर्ष) आलू की फसल के बाद मक्का की बुवाई की तैयारी कर रहे हैं। अमरेन्द्र बहादुर सिंह बताते हैं, "इस बार तीन एकड़ में मक्का की बुवाई करने जा रहा हूं, आलू की फसल खोदने के बाद हम लोग मक्का की बुवाई करते हैं, इसमें सिंचाई ज्यादा लगती है, लेकिन पैदावार अच्छी हो जाती है।"
मक्का खरीफ की मुख्य फसल होती है, जहां सिंचाई के साधन हैं वहां रबी और खरीफ की अगेती फसल के रूप में मक्का की खेती की जा सकती है। प्रदेश में कानपुर नगर, कानपुर देहात, औरैया, कन्नौज, हरदोई जैसे कई जिलों में किसान मक्का की खेती करते हैं।
औरैया जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनंत कुमार मक्का की खेती के बारे में बताते हैं, "किसानों को आलू और सरसों की फसल के बाद जल्द से जल्द मक्का की बुवाई कर लेनी चाहिए, क्योंकि जैसे तापमान बढ़ता है। बुवाई में परेशानी हो जाती है।
जायद में बोई जाने वाली मक्का किस्में कम समय लेती हैं और किसानों को 14 से 15 सौ रुपए एक कुंतल के मिल जाते हैं।"
मक्का की उन्नत किस्में- मक्का की किस्मों में नवजोत, नवीन, श्वेता, आजाद उत्तम, कंचन, गौरव व संकर किस्मों में एच.क्यू.पी.एम.-15, दक्कन-115, एम.एम.एच.-133, प्रो-4212, मालवीय संकर मक्का-2, हरे भुट्टे के लिए माधुरी, प्रिया और बेबी कार्न के लिए प्रकाश, पूसा अगेती संकर मक्का-2, आजाद कमल मुख्य किस्में होती हैं।