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बारिश के महीने में सूख रहा है अमरूद का पेड़ तो हो सकती है ख़तरनाक बीमारी

Dr SK Singh | Jul 27, 2024, 11:45 IST
इस समय अमरूद के पौधों में एक रोग पाया जाता है, जिसके कारण उसकी डालियों के अंत में जो छोटी और कोमल नवजात पत्तियाँ होती हैं, उन पर काले या चॉकलेट रंग के धब्बे बन जाते हैं, जिससे पत्तियाँ पीली हो जाती हैं और आखिर में कमजोर होकर गिर जाती हैं।
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जुलाई-अगस्त के महीने में अमरुद में एन्थ्रक्नोज़ रोग का प्रकोप दिखाई देने लगता है। कोमल नवजात पत्तियों के आस-पास धब्बे होने के कारण दूसरी आस पास की पत्तियाँ भी काली भूरे रंग की हो जाती हैं और ऊपर की टहनियाँ काली पड़ जाती है। जो नई कलियाँ है वह फूल बनने से पहले ही कमजोर होकर गिर जाती हैं। अगर इनका समय पर इलाज न करें तो धीरे धीरे पहले पूरी डाली सूख जाती है।

एन्थ्रक्नोज़ रोग के कारण फलों के ऊपर छोटे छोटे काले धब्बें दिखाई पड़ते है जो धँसे होते हैं और फल अंदर से सड़ जाते हैं। छोटी बिना खिली कलियाँ और फूल भी इस रोग के कारण समय से पहले ही सूख कर गिर जाती है। यह एक फफूंदजनित रोग है, जो कोलेटोट्राईकम नामक फफूंद की वजह से होता है। यह वसंत ऋतु में जब मौसम ठंडा और नमीयुक्त होता है, मुख्य रूप से पौधों की पत्तियों और टहनियों पर हमला करता है। बारिश के मौसम (जुलाई अगस्त-सितंबर) में इसका प्रकोप अधिक होता है।

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इस मौसम में लगातार नमी बने रहने के कारण रोग की उग्रता में भारी वृद्धि होता है। एन्थ्रेक्नोज रोग का अगर इसका समय पर इलाज न किया गया तो मोटी टहनियाँ भी सूख जाती हैं। जब यह रोग पत्तियों पर दिखाई दे उसी अवस्था में इसका इलाज करने से लाभ मिलता है। जब यह रोग फलों को भी प्रभावित करने लगे तो इसका मतलब है इस रोग का समय से रोकथाम नहीं किया गया। जब यह रोग फलों पर दिखाई देता है तो उस अवस्था में बागवान को भारी नुकसान होता है और फसल खराब हो जाती है जिसके कारण वह बाज़ार में बिकने के लायक नहीं रहता है।

अमरूद एन्थ्रेक्नोज के प्रबंधन में निवारक उपायों और उपचार रणनीतियों का संयोजन शामिल है। एन्थ्रेक्नोज एक कवक रोग है जो कोलेटोट्राइकम ग्लियोस्पोरियोइड्स के कारण होता है और यह पत्तियों, तनों और फलों सहित अमरूद के पेड़ के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित कर सकता है। अमरूद एन्थ्रेक्नोज को प्रबंधित करने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए।

स्वच्छता

अमरूद के पेड़ के आसपास के क्षेत्र को साफ रखने से शुरुआत करें। कवक के प्रसार को कम करने के लिए किसी भी गिरी हुई पत्तियों, फलों, या संक्रमित पौधे सामग्री को जमीन से हटा दें।

कटाई छंटाई

वायु परिसंचरण और सूर्य के प्रकाश के प्रवेश को बेहतर बनाने के लिए अमरूद के पेड़ की नियमित रूप से छंटाई करें। यह आर्द्रता को कम करने में मदद करता है और एन्थ्रेक्नोज कवक के विकास और प्रसार के लिए कम अनुकूल वातावरण बनाता है। पूर्ण रूप से फल की तुड़ाई करने के बाद अमरूद के पेड़ से सूखी और रोगग्रस्त टहनियों की तेज चाकू या सिकेटियर से कटाई छटाई करने के बाद कॉपर ऑक्सीक्लोराइड के गाढ़े पेस्ट से कटे हिस्से की पुताई करें।

पानी देना

जब भी संभव हो ऊपर से पानी देने से बचें, क्योंकि पत्तियों और फलों पर नमी एन्थ्रेक्नोज के विकास को बढ़ावा दे सकती है। इसके बजाय, पेड़ के आधार के आसपास की मिट्टी को पानी दें।

उर्वरीकरण

सुनिश्चित करें कि अमरूद के पेड़ में पर्याप्त पोषक तत्व हैं। एक स्वस्थ पेड़ संक्रमण का प्रतिरोध करने और उससे उबरने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित होता है। पेड़ की उम्र के अनुसार खाद और उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। एन पी के 19:19:19 की 4 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से भी रोग की उग्रता में कमी आती है। यह छिड़काव या तो फूल आने के पहले करे या पेड़ में पूरी तरह से फल लग जाने के बाद करें।

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मल्चिंग

मिट्टी की नमी को संरक्षित करने, तापमान को नियंत्रित करने और बारिश के दौरान मिट्टी से पैदा होने वाले बीजाणुओं को पेड़ से गिरने से रोकने के लिए पेड़ के आधार के चारों ओर जैविक गीली घास लगाएँ।

प्रतिरोधी किस्में

यदि आप अमरूद के पेड़ लगा रहे हैं, तो एन्थ्रेक्नोज-प्रतिरोधी किस्मों को चुनने पर विचार करें। ये किस्में बीमारी के प्रति कम संवेदनशील और सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत प्रदान करती हैं।

रोग का शीघ्र पता लगाना

एन्थ्रेक्नोज संक्रमण के लक्षणों के लिए नियमित रूप से अपने अमरूद के पेड़ का निरीक्षण करें। यदि आपको कोई प्रभावित पत्तियाँ तना या फल दिखाई दें, तो उन्हें तुरंत हटा दें और आगे फैलने से रोकने के लिए उनका उचित तरीके से नष्ट कर दें।

कवकनाशी द्वारा रोग का प्रबंधन

यदि अमरूद का पेड़ एन्थ्रेक्नोज से गंभीर रूप से प्रभावित है, तो अंतिम उपाय के रूप में कवकनाशी का उपयोग करने पर विचार करें। कॉपर-आधारित या प्रणालीगत कवकनाशी जैसे सक्रिय तत्व वाले कवकनाशी रोग के प्रसार को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। हेक्साकोनाजोल या प्रोपिकोनाजोल नामक प्रणालीगत (सिस्टमिक) फफूंदनाशी की 2 मिली दवा को प्रति लीटर पानी मे घोलकर उसे आधा मिली लीटर स्टीकर मिला कर दो छिड़काव करना चाहिए।

पहला छिड़काव फूल आने के 15 दिन पहले और दूसरा पेड़ में पूरी तरह से फल लग जाने के बाद करने से रोग की उग्रता में भारी कमी आती है। अमरूद के पौधों में 25 जून के आस पास इसका स्प्रे करने से यह बरसात के मौसम में इस रोग से बचाव करता है और सर्दियों की फसल सुरक्षित रहती है।

साफ (Carbendazim 12% + Mancozeb 63%) जो कि एक संपर्क + प्रणालीगत (Contact + Systemic ) फफूंदनाशी है इसकी 3 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से भी रोग की उग्रता में भारी कमी आती है। हालाँकि, हमेशा निर्माता के निर्देशों का पालन करें और लाभकारी कीड़ों और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए जिम्मेदारी से कवकनाशी का उपयोग करें। याद रखें कि रोकथाम अक्सर किसी स्थापित संक्रमण को ठीक करने की कोशिश से अधिक प्रभावी होती है।

स्वस्थ बढ़ते वातावरण को बनाए रखकर और सक्रिय उपाय करके, आप अपने पेड़ों पर अमरूद एन्थ्रेक्नोज के प्रभाव को कम कर सकते हैं। यदि समस्या बनी रहती है या बिगड़ जाती है, तो उपयुक्त सलाह और उपचार विकल्पों के लिए स्थानीय बागवानी विशेषज्ञ या पादप रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।

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