करें हरी खाद का इस्तेमाल, पाएं कम लागत में अच्छा उत्पादन

Astha Singh | Jan 05, 2018, 15:40 IST
green manure
लगातार बढ़ते रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरकता घटती जा रही है। ऐसे में किसान इस समय हरी खाद का प्रयोग करके न केवल अच्छा उत्पादन पा सकते हैं, साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ाई जा सकती है।हरी खाद मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए उम्दा और सस्ती जीवांश खाद है। हरी खाद का अर्थ उन पत्तीदार फसलों से है, जिन की बढ़वार जल्दी व ज्यादा होती है। ऐसी फसलों को फल आने से पहले जोत कर मिट्टी में दबा दिया जाता है।यह सूक्ष्म जीवों द्वारा विच्छेदित हो कर पौधों के पोषक तत्वों में वृद्धि करती है। ऐसी फसलों का इस्तेमाल में आना ही हरी खाद देना कहलाता है।

क्या है हरी खाद

सनई अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार त्रिपाठी बताते हैं, "हरी खाद उस सहायक फसल को कहते हैं, जिसकी खेती मिट्टी में पोषक तत्वों को बढ़ाने और उसमें जैविक पदाथों की पूर्ति करने के लिए की जाती है। इस से उत्पादकता तो बढ़ती ही है, साथ ही यह जमीन के नुकसान को भी रोकती है। यह खेत को नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम, जस्ता, तांबा, मैगनीज, लोहा और मोलिब्डेनम वगैरह तत्त्व भी मुहैया कराती है। यह खेत में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ा कर उस की भौतिक दशा में सुधार करती है। हरी खाद को अच्छी उत्पादक फसलों की तरह हर प्रकार की भूमि में जीवांश की मात्रा बढ़ाने में इस्तेमाल कर सकते हैं, जिस से भूमि की सेहत ठीक बनी रह सकेगी।"

हरी खाद देने की विधियां

पहली विधि

इस विधि में हरी खाद जिस खेत में देनी होती है, उसी खेत में हरी खाद की फसल पैदा की जाती है और उसी में सड़ाई जाती है।इस तरह की फसलें अकेली या किसी दूसरी मुख्य फसल के साथ मिश्रित रूप में बोई जाती हैं। जिन क्षेत्रों में बारिश अधिक होती है, वहां इस विधि को अपनाया जाता है।

दूसरी विधि

इस विधि में किसी अन्य खेत में उगाई गई हरी खाद की फसल को काट कर उस खेत में फैलाते हैं, जिस में हरी खाद देनी होती है। फैलाने के बाद हरी खाद वाली फसल को मिट्टी में दबा दिया जाता है। ऐसा खास हालात में किया जाता है। जब सघन कृषि प्रणाली के कारण हरी खाद वाली फसलों को उगा कर उन्हें पलटने का समय कम होता है तब और न्यूनतम वर्षा वाले क्षेत्रों में हरी खाद इसी विधि से दी जाती है।

हरी खाद के लिए सही फसलें

डॉ मनोज कुमार त्रिपाठी ने बताया कि, "सनई, ढैंचा, लोबिया, मूंग व ग्वार वगैरह हरी खाद के लिहाज से उम्दा फसलें होती हैं। इन फसलों को उगाने व उन की अच्छी बढ़वार के लिए 30-40 डिगरी सेंटीग्रेड तापमान की जरूरत होती है। फसलों के लिए समय अंतराल करीब 45-60 दिनों का होता है। "

हरी खाद वाली फसलें कैसे उगाएं

  • हरी खाद की मात्रा पर्याप्त व गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए।
  • हरी खाद को खेत में अपघटन के लिए मिलाने के बाद नाइट्रोजन का नुकसान कम से कम हो।

फसल तैयार होने के बाद खेत में हरी खाद देने की विधि

डॉ मनोज कुमार त्रिपाठी आगे बताते हैं, "जब फसल की बढ़वार अच्छी हो गई हो और फूल आने के पहले इसे हल या डिस्क हैरो से खेत में पलट कर पाटा चला देना चाहिए। यदि खेत में पांच-छह सेमी. पानी भरा रहता है तो पलटने व मिट्टी में दबाने में कम मेहनत लगती है। जुताई उसी दिशा में करनी चाहिए जिसमें पौधों को गिराया गया हो। इसके बाद खेत में आठ-दस दिन तक चार-छह सेमी पानी भरा रहना चाहिए जिससे पौधों के अपघटन में सुविधा होती है। यदि पौधों को दबाते समय खेत में पानी की कमी हो या देर से जुताई की जाती है तो पौधों के अपघटन में अधिक समय लगता है।"

हरी खाद के लाभ

  • इस से मिट्टी की संरचना अच्छी हो जाती है. और उस की पानी रखने की कूवत बढ़ जाती है।
  • मिट्टी में नाइट्रोजन की बढ़ोतरी होती है।
  • मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा में इजाफा होता है।
  • मिट्टी का नुकसान कम हो जाता है, नतीजतन जमीन का ऊपरी भाग महफूज रहता है।
  • खरपतवार की रोकथाम होती है।
  • क्षारीय व लवणीय मिट्टी में सुधार होता है, क्योंकि हरी खाद के विघटन से कई अम्ल पैदा हो कर मिट्टी को उदासीन करते हैं।
  • खेत को हरी खाद से पोषक तत्त्व देना दूसरी विधियों के मुकाबले सरल व सस्ता है।

हरी खाद में बरतें सावधानियां

  • हरी खाद 45-60 दिनों के अंदर खेत में जरूर मिला दें।
  • खेत में हरी खाद वाली फसलों को पलटते समय भरपूर नमी बनाए रखें।
  • हरी खाद की फसलों को हलकी बलुई मिट्टी में अधिक गहराई पर और भारी मिट्टी में कम गहराई पर दबाना चाहिए।
  • हरी खाद वाली फसलों को सूखे मौसम में ज्यादा गहराई पर पर नम मौसम में कम गहराई पर दबाना चाहिए।
  • हरी खाद वाली फसलों को खेत में मिलाने के लिए फूल आने से पहले की अवस्था सब से अच्छी होती है।
  • स्थानीय जलवायु व हालात के मुताबिक हरी खाद की फसलों की बिजाई करनी चाहिए।
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