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इस राज्य में सबसे अधिक पशुओं को लगा लंपी स्किन डिजीज का टीका, कई राज्यों में अभी है संक्रमण

Gaon Connection | Jul 31, 2025, 11:38 IST
लंपी स्किन डिजीज (LSD) ने देशभर में दुधारू पशुओं की सेहत और पशुपालन पर गंभीर असर डाला है। 2022 से अब तक 28 करोड़ से ज्यादा पशुओं का टीकाकरण किया गया है, जिसमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश अग्रणी हैं, वहीं नागालैंड, मिज़ोरम और अंडमान जैसे क्षेत्रों में टीकाकरण बेहद कम हुआ है।
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पिछले कुछ वर्षों में भारत के कई हिस्सों में लंपी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease - LSD) ने पशुपालकों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। यह वायरस संक्रमित मच्छरों, मक्खियों, संक्रमित पानी, लार और चारे के ज़रिए तेजी से फैलता है और खासकर गाय-भैंस जैसे दुधारू पशुओं को प्रभावित करता है।

इस बीमारी के लक्षणों में शरीर पर गांठें बनना, बुखार, दूध उत्पादन में गिरावट, गर्भपात और यहां तक कि पशु की मृत्यु तक शामिल हैं।

भारत में कहाँ-कहाँ फैली बीमारी?

भारत में पहली बार लंपी वायरस का मामला 2019 में पश्चिम बंगाल में सामने आया था। तब से यह बीमारी राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर सहित 15 से अधिक राज्यों में फैल चुकी है। सबसे ज्यादा प्रभाव राजस्थान और गुजरात में देखा गया, जहां हजारों मवेशियों की मौत हुई। अगर सही समय पर पशुओं का खयाल रखा जाए और दूसरे पशुओं से दूर रखा जाए तो पशुओं को बचाया जा सकता है।

यह बीमारी सबसे पहले 1929 में अफ्रीका में पाई गई थी। पिछले कुछ सालों में ये बीमारी कई देशों के पशुओं में फैल गई, साल 2015 में तुर्की और ग्रीस और 2016 में रूस जैसे देश में इसने तबाही मचाई। जुलाई 2019 में इसे बांग्लादेश में देखा गया, जहां से ये कई एशियाई देशों में फैल रहा है।

White bovine ox grazing in an agricultural field in Goa, India
White bovine ox grazing in an agricultural field in Goa, India
क्या इंसानों के लिए यह खतरनाक है?

वैसे तो अभी तक लंपी स्किन डिजीज से ग्रस्त पशुओं से इंसानों में बीमारी फैलने का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन फिर भी पशु चिकित्सक सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं

विशेषज्ञों की मानें तो बाजार से दूध खरीकर कम से कम 100 डिग्री सेंटीग्रेड तक गरम करना या उबालना चाहिए। दूध में मौजूद घातक बैक्टीरिया और वायरस को खत्म करने के लिये सिर्फ यही नुस्खा काफी है इसलिये लंपी संक्रमित गाय-भैंसों का दूध पीने से पहले सावधानियों पर अमल करना फायदेमंद रहता है।

राज्यवार टीकाकरण स्थिति: कौन आगे, कौन पीछे?

भारत सरकार ने लंपी स्किन डिजीज की रोकथाम के लिए बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाया है। 24 जुलाई 2025 तक देशभर में 2817.15 लाख (28.17 करोड़) पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। आइए देखें कौन-से राज्य सबसे आगे हैं:

टॉप 5 राज्य (लाख में टीकाकरण):

  • उत्तर प्रदेश: 469.87
  • महाराष्ट्र: 413.41
  • मध्य प्रदेश: 300.94
  • बिहार: 284.04
  • राजस्थान: 268.46
सबसे कम टीकाकरण (लाख में):

  • नागालैंड: 0.02
  • दमन और दीव: 0.01
  • अंडमान निकोबार: 0.01
  • मिज़ोरम: 0.11
  • दिल्ली: 0.25
कुल टीकाकरण: 2817.15 लाख पशु

क्या है लंपी स्किन डिजीज और इसके लक्षण?

यह एक वायरल रोग है जो मुख्यतः गाय और भैंस को प्रभावित करता है।

शरीर पर गांठें, तेज़ बुखार, आंखों और नाक से स्राव, जननांगों के पास सूजन और कभी-कभी जानलेवा घाव।

दूध उत्पादन में भारी गिरावट और मादा पशुओं में गर्भपात जैसी जटिलताएं।

बचाव के उपाय:

संक्रमित पशु को तुरंत अन्य पशुओं से अलग करें।

पशुशाला में साफ-सफाई और मच्छरों-मक्खियों को नियंत्रित रखें।

संक्रमित पशु से जुड़ा कोई भी सामान खुले में न फेंकें।

मेले, मंडियों में संक्रमित पशुओं की आवाजाही पर रोक लगाएं।

क्या है लंपी का टीका?

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की दो संस्थाओं — हिसार स्थित नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्वाइन और इज्जतनगर स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) ने मिलकर एक घरेलू वैक्सीन "लंपी-प्रोवैकइंड" विकसित की है।

संक्रमित पशु की मृत्यु के बाद क्या करें?

अगर लम्पी स्किन डिजीज से संक्रमित पशु की मौत हो जाती है, तो उसकी बॉडी को सही तरीके से डिस्पोज करना चाहिए ताकि ये बीमारी और ज्यादा न फैले। इसलिए पशु की मौत के बाद उसे जमीन में दफना देना चाहिए। यदि कोई पशु लम्बे समय तक त्वचा रोग से ग्रस्त होने के बाद मर जाता है, तो उसे दूर ले जाकर गड्डे में दबा देना चाहिए।

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