कम समय में तैयार होगी जीरा की नई किस्म, खेती की लागत में भी आएगी कमी

Divendra Singh | Feb 24, 2021, 08:11 IST
अब किसानों को जीरा की पुरानी किस्मों पर ही निर्भर नहीं रहना होगा, वैज्ञानिकों द्वारा विकसित नई किस्म न केवल जल्दी तैयार होगी, बल्कि कीटनाशक और सिंचाई का खर्च भी कम हो जाएगा।
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राजस्थान और गुजरात के बड़े हिस्से में जीरा की खेती होती है, लेकिन पिछले कई वर्षों से किसान जीरा की पुरानी किस्मों की खेती करते आ रहे हैं, जिनमें कई तरह के रोग-कीट लगने से उत्पादन पर भी असर पड़ता है। ऐसे में वैज्ञानिकों ने जीरा की नई किस्म विकसित की है, जिससे किसानों को ज्यादा उत्पादन मिलेगा।

जीरा की फसल को तैयार होने में 130-140 दिन का समय लगता है, लेकिन नई किस्म 90-100 दिन में ही तैयार हो जाएगी। राजस्थान के जोधपुर में स्थित केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने जीरा की नई किस्म 'सीजेडसी-94' विकसित की है।

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केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI) के प्रधान वैज्ञानिक डॉ राजेश कुमार काकाणी नई किस्म की खासियत बताते हैं, "अभी ज्यादातर किसान जीरा की किस्म 'जीसी-4' की खेती करते हैं, जिसे तैयार होने में 130-140 दिन तक लग जाते हैं, लेकिन नई किस्म 100 दिन में ही तैयार हो जाती है। पुरानी किस्म में लगभग 70 दिनों में फूल आते थे, लेकिन नई किस्म में 40 दिन में ही फूल आ जाते हैं। करीब तीन साल के शोध के बाद इस नई किस्म को विकसित कर पाएं हैं। ऐसे में जब रबी की फसल 30-40 दिन पहले ही तैयार हो जाती है, जो किसानों के लिए फायदेमंद है।"

जीरा की खेती में ज्यादा समय लगने पर इसमें कई तरह के रोग-कीट लगते हैं, जो नई किस्म में नहीं लगेंगे। पुरानी किस्म में फरवरी के आखिर में माहू कीट (एफिड) लगता है, क्योंकि उसम समय फूल लगते हैं, लेकिन नई किस्म में फरवरी के अंत तक फल लग जाते हैं।

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भारत, विश्व का सबसे बड़ा जीरा उत्पादक देश है, पूरी दुनिया का लगभग 70% जीरे का उत्पादन भारत में होती है। एपीडा के अनुसार गुजरात और राजस्थान भारत के दो सबसे बड़े जीरा उत्पादक राज्य हैं। देश के कुल जीरा उत्पादन का 55.95% गुजरात और 43.97% उत्पादन राजस्थान में होता है।

काजरी के वैज्ञानिकों पुरानी और नई किस्म को एक साथ लगाकर ट्रायल भी किया है। इसके लिए नवंबर 2020 को पुरानी किस्म 'जीसी-4' और नई किस्म 'सीजेडसी-94' की आसपास बुवाई की, इसके बाद लगभग 100 दिन बाद फरवरी, 2021 को पुरानी किस्म में जहां फूल आने शुरू हुए थे, नई किस्म पूरी तरह से तैयार हो गई थी।

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केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI) के वैज्ञानिकों ने इसकी बुवाई की और अच्छा परिणाम भी मिला। Photo: CAZRI, Jodhpur

वैज्ञानिकों की माने तो इसकी बुवाई से किसानों की लागत में भी कमी आएगी। डॉ राजेश कुमार काकाणी आगे कहते हैं, "जीरा की खेती करना बहुत मुश्किल काम होता है, जब तक फसल खेत में रहती है किसान परेशान ही रहता है और अब अगर तीस दिन पहले फसल तैयार हो जाती है तो किसान की परेशानी भी कम हो जाती है। जीरा में तीन बार कीटनाशक के छिड़काव की जरूरत पड़ती है, लेकिन क्योंकि नई किस्म पहले तैयार हो जाती है, इसलिए इसमें तीसरे छिड़काव की जरुरत नहीं पड़ेगी। साथ ही पानी की भी बचत हो जाती है।"

"किसान जीरा की बुवाई छिड़काव विधि से करते हैं, जिसमें बीज भी ज्यादा लगता है, लेकिन अगर किसान लाइन में बुवाई करता है, तो बीज की मात्रा आधी हो जाती है। यही नहीं लाइन से बुवाई करने पर इसमें निराई-गुड़ाई में समय कम लगता है, जिससे मजदूरी का खर्च भी कम आता है, "डॉ राजेश कुमार काकाणी ने आगे कहा।

केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI) ने अभी इस नई किस्म का जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर में ट्रायल कर लिया है। अभी देश के दूसरे हिस्सों में भी इस किस्म का ट्रायल होना है, इसके बाद करीब दो साल में ये किस्म किसानों तक पहुंच जाएगी।

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