बड़े काम का है ये पौधा, पशुओं को मिलेगा हरा चारा व बढ़ेगी खेत की उर्वरता
Divendra Singh | May 10, 2018, 18:36 IST
इसको खेत के मेड़ पर लगाकर किसान एक साथ कई फायदे पा सकता है, पशु इसकी पत्तियों को बहुत चाव से खाते हैं।
किसी भी आम पौधे जैसे दिखने वाला ये पौधा बड़े काम का साबित हो सकता है, पशुओं के लिए चारे के काम तो आएगा ही आपके खेत के मिट्टी को भी उपजाऊ बनाएगा।
ये है टेफ्रोसिया का पौधा, जिसे हिंदी में शरपुंखा या सरफोंका कहते हैं, झारखंड के बक्सर जिले में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक इसका प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। वहां के कृषि वैज्ञानिक डॉ. देवकरन बताते हैं, "देखने में ये पौधा किसी जंगली पौधे जैसे लगता है, लेकिन ये कई तरह के रोगों के इलाज में काम आता है, इसके अलावा ये किसानों के भी बड़े काम का हो सकता है।
किसान इसे बीज के जरिए लगा सकते हैं, यह बलुई, दोमट, चट्टानी किसी भी तरह की मिट्टी में की जा सकती है। जून के महीने में गहरी जुताई करके इसकी बुवाई करनी चाहिए। इसकी फसल के लिए प्रति एकड़ चार किलो बीज पर्याप्त रहता है। एक बार लगा देने पर आगे बीज की समस्या नहीं होती है, क्योंकि जून में बुवाई के बाद चार महीने बाद अक्टूबर-नवंबर में बीज मिल जाता है।
ये है टेफ्रोसिया का पौधा, जिसे हिंदी में शरपुंखा या सरफोंका कहते हैं, झारखंड के बक्सर जिले में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक इसका प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। वहां के कृषि वैज्ञानिक डॉ. देवकरन बताते हैं, "देखने में ये पौधा किसी जंगली पौधे जैसे लगता है, लेकिन ये कई तरह के रोगों के इलाज में काम आता है, इसके अलावा ये किसानों के भी बड़े काम का हो सकता है।
डॉ. देवकरन, कृषि वैज्ञानिक, कृृषि विज्ञान केन्द्र, बक्सर डॉ. देवकरन आगे बताते हैं, "बहुवर्षीय दलहनी कुल का पौधा है, इस पौधे की विशेषता ये होती है, जहां पर मिट्टी कटान होता है वहां पर किसान भाई पौधरोपण कर देता है तो मिट्टी का कटान नहीं होता है, जिससे उपजाऊ मिट्टी का कटान नहीं होता है, और जो खेत में उपजाऊपन कम हो गया तो उसकी उपजाऊ बढ़ाने के लिए इसे हरी खाद के रूप में प्रयोग कर सकते हैं, जिससे जैव कार्बन की मात्रा बढ़ जाती है।"
पशुपालकों के सामने सबसे बड़ी समस्या हरे चारे की आती है, इसे पशुओं को चारे के रूप में भी दे सकते हैं। देवकरन कहते हैं, "इसको खेत के मेड़ पर लगाकर किसान एक साथ कई फायदे पा सकता है, पशु इसकी पत्तियों को बहुत चाव से खाते हैं, इसके कई औषधीय महत्व होते हैं, ऐसे में जब इसे पशुओं को खिलाते हैं तो ये उनके लिए पौष्टिक होता है।"
किसान इसे बीज के जरिए लगा सकते हैं, यह बलुई, दोमट, चट्टानी किसी भी तरह की मिट्टी में की जा सकती है। जून के महीने में गहरी जुताई करके इसकी बुवाई करनी चाहिए। इसकी फसल के लिए प्रति एकड़ चार किलो बीज पर्याप्त रहता है। एक बार लगा देने पर आगे बीज की समस्या नहीं होती है, क्योंकि जून में बुवाई के बाद चार महीने बाद अक्टूबर-नवंबर में बीज मिल जाता है।