आठवीं पास किसान ने बनाई छोटे किसानों के लिए फसल कटाई मशीन

vineet bajpai | Apr 22, 2018, 13:23 IST
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खेती-बाड़ी में सबसे मेहनत का काम होता है फसल की कटाई करना। इसमें समय के साथ-साथ पैसा भी अधिक लगता है और साथ ही यह डर रहता है कि कहीं ऐसे में अगर बारिश या आंधी-तूफान आ गया तो पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी।

इन समस्याओं से निबटने के लिए जो मशीनें बनाई गईं वो सिर्फ बड़े किसानों के लिए ही लाभदायक थीं क्योंकि वह काफी महंगी होती हैं। ऐसे में छोटे किसानों की समस्यों को ध्यान में रखते हुए एक किसान ने ऐसा यन्त्र बनाया जिसे छोटे किसान आसानी से खरीद सकते हैं।

''खेत में सबसे ज्यादा समस्या कटाई में आती है। बाकी सभी काम के लिए मशीन हैं, कटाई के हार्वेस्टर (कटाई मशीन) बड़े किसान ही खरीद सकते हैं, इसलिए मुझे छोटे किसानों के लिए रिपर यानी कटाई मशीन मार्केट में लाना था।''

मध्य प्रदेश के विदिशा ज़िले के सोजनवाले गाँव के किसान भगवान सिंह डांगी (63 वर्ष) बताते हैं, ''हमारे यहां सोयाबीन की खेती हेती है मैं भी करता हूं। इसकी कटाई करना काफी मुश्किल होता है था, इस लिए मैंने ऐसी मशीन बनाने का फैसला किया और पांच वर्ष पहले यह मशीन बनाई।'' भगवान सिंह भले ही सिर्फ आठवी तक पढ़ें हैं, लेकिन मशीनों के प्रति उनका रुझान बचपन से ही था।

उनका रिपर विंडरोअर एक ऐसी मशीन है जो फसल काटती है और कटे अनाज की लाइन को बीच में जमा कर देता है। इस अविष्कार के लिए उन्हें तीन अवार्ड भी मिले, जिसमें उन्हें वर्ष 2013 में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

उनके गाँव के आस पास के क्षेत्र में सोयाबीन एक बड़ी फसल है। फसल कटाई के व्यस्त समय में मजदूर की कमी एक बड़ी समस्या है। इसका समाधान निकालने के लिए भगवान सिंह ने एक ऐसी मशीन चाहते थे जो दो मुख्य कार्य कर सके- कटाई और विंड्रोइंग यानी कटी फसलों को एक जगह जमा करना। कटाई में पूरी फसल को व्यवस्थित तरीके से काटना और जबकि विंड्रोइंग का मतलब कटी फसल को एक लाइन में जमा करना ताकि आसानी से पैक किया जा सके और कटाई के बाद की प्रक्रिया को पूरा किया जा सके। इसके बाद उन्होंने इस रिपर को बनाने का फैसला किया।

उन्होंने बताया, ''इस मशीन से सोयाबीन, चना और गेहूं की कटाई की जा सकती है। इससे एक दिन में 10 एकड़ फसल की कटाई आसानी से की जा सकती है और अगर मज़दूरों से फसल की कटाई की जाए तो एक दिन में 20 मज़दूर सिर्फ एकड़ फसल की कटाई कर पाएंगे।''

मशीन को चलाने के लिए सिर्फ एक आदमी की जरूरत पड़ती है और मशीन के पीछे दो लोग चाहिए जो फसल को जमा करने का काम करेंगे। यह छोटे से खेत में, खड़ी फसल को नुकसान पहुंचाए बिना तेज गति से मुड़ने में सक्षम है। परंपरागत रिपर यूनिट में, प्राइमर मूवर तक पहुंचे में कटी फसल सीधे नीचे गिर जाती है जिससे अनाज का नुकसान होता है। नई खोज में विंड्रोइंग अटैचमेंट में नयापन डिजाइन और स्थानिक उपायों में मौजूद होती है, इससे अनाज नुकसान बहुत कम होता है। जमा किया गया अनाज दोनों टायर के बीच साफ-सुथरी लाइन में गिरता है जिससे जमा करने समेत दूसरे कार्य आसानी हो जाता हैं।

भगवान सिंह का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। वो बचपन की बातें याद करते हुए कहते हैं, ''मुझे बचपन से ही मशीनों के प्रति रुझान था। जब खेती की खराब मशीन को ठीक करने के लिए मिस्त्री आता था तो मैं उन्हें काम करते ध्यान से देखा करता था और जब मैं बड़ा हुआ तो खुद से खराब मशीनों को बनाने की कोशिश करता था।'' उन्होंने 8वीं क्लास के बाद पढ़ाई छोड़ दी और परिवार की मदद करने के लिए खेती करने लगे। इसके साथ ही उन्होंने मशीन के प्रति अपने लगाव को जारी रखा और कृषि उपकरणों के साथ जोड़-तोड़ का काम शुरू कर दिया।

उन्होंने रिपर विंडरोअर को विकसित करने से पहले कई वर्ष तक छोटी मशीनों और कृषि उपकरणों को ठीक करने का काम जारी रखा। भगवान सिंह के गाँव में खेती करना एक चुनौती भरा काम था। कई परेशानियों में पहली परेशानी ये थी कि उन्हें गड्ढों वाली उबड़-खाबड़ खेत से सामना करना पड़ता था। इसलिए उन्होंने ट्रैक्टर के आगे फलक या ब्लेड लगाने के खास तरीके की इजाद की ताकि जमीन को समतल किया जा सके और बांध बनाया जा सके।

वो कहते हैं कि बेहतर प्रगति के लिए खेती के तरीकों में बदलाव किया जाना चाहिए। उनका मानना है कि आज खेती का ढंग अच्छा नहीं है, हमें तरक्की करने के लिए खेती करने का तरीका बदलना पड़ेगा और वो इस बदलाव में भागीदारी निभाना चाहते हैं जैसे कि, खेती के नए तरीके विकसित करके, कृषि कार्यप्रणाली और बीज की किस्मों में बदलाव कर।

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